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SERAJ ANWAR IN PATNA

सेराज अनवर

नीतीश कुमार इतने व्याकुल क्यों हैं? एक निर्णायक लड़ाई का आग़ाज़ करने के बाद जिस तरह का नैरेटिव गढ़ रहे हैं उसे प्रेशर पॉलिटिक्स कहते हैं.कभी G 20 के डिनर में चले जाना,कभी दीनदयाल उपाध्याय की जयंती में कभी वन नेशन,वन एलेक्शन पर गोलमोल बात करना.महिला आरक्षण बिल को दो क़दम आगे बढ़ कर समर्थन देना.सवाल तो उठेंगे,सवाल उठना लाज़िमी है और फिर एनडीए से क़रीबी के सवाल पर कहते हैं क्या फ़ालतू बात करते हैं.जब मालूम है कि इंडिया गठबंधन के विचारधारा से हट कर कोई काम करेंगे तो लोग बातें बनायेंगे,फ़ालतू बात करेंगे तो उसे हवा देने की ज़रूरत किया है?

कोई नैतिक या संवैधानिक बाध्यता भी नहीं है कि उक्त कार्यक्रमों में शामिल हुआ जाये.इसी तरह से जदयू नेता और विधानसभा के डिप्टी स्पीकर महेश्वर हजारी ने बयान दे दिया कि आईएनडीआईए गठबंधन के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नीतीश कुमार होंगे!यह एक तरह से गठबंधन पर दबाव बनाने का प्रयास है.दूसरी तरफ़ नीतीश कुमार कहते हैं कि हमारी कोई इच्छा नहीं है तो बग़ैर उनके इच्छा के पार्टी नेता बयान दे रहे हैं?उसे रोका क्यों नहीं जा रहा है कि बेवजह के बयान से गठबंधन में ग़लतफहमी पैदा होगी.यदि कोई इच्छा है तो बजाबता प्रस्ताव लाकर खुलेआम कह देना चाहिए,गठबंधन से निकलने के लिए सेफ पैसेज ढूँढने की ज़रूरत क्या है?लालू और इंडिया गठबंधन दोनों पर एक साथ नीतीश कुमार दबाव की राजनीति का इस्तेमाल कर रहे हैं और अपने उपर से दबाव हलका करने की जुगत में हैं.नीतीश कुमार कबका इंडिया गठबंधन का संयोजक बन गये होते.जिस वक़्त जदयू ने भाजपा से गठबंधन तोड़ा था उसी वक़्त यह चर्चा चली थी.पटना की बैठक में ही नीतीश कुमार को संयोजक पद सौंपने की बात थी.उस वक़्त नीतीश विपक्ष को गोलबंद करने में मसरुफ थे,देश भर में घूम कर नरेन्द्र मोदी के विरुद्ध माहौल बनाने में सक्रीय हो गये थे.हर कोई को लग रहा था कि नीतीश कुमार का संयोजक बनना तय है और इस पद पर उनका वाजिब हक़ भी था.इसी बीच लालू प्रसाद सक्रीय हो गये.कहते हैं कि उन्होंने ही नीतीश के संयोजक बनने पर वीटो लगा दिया.संयोजक पद के बदले मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने की शर्त है शायद.लालू सियासत के माहिर खिलाड़ी हैं तो नीतीश बिहार की राजनीति के चाणक्य हैं.यूं ही अट्ठारह सालों से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं जमे हैं.अब जदयू ने प्रेशर पॉलिटिक्स शुरू कर दी है.नीतीश को मालूम है उनके हर क़दम पर मीडिया की निगाह है.सो,वह हर उस कार्यक्रम में जा रहे हैं जिससे एक साथ राजद और इंडिया गठबंधन पर दबाव बन सके.नीतीश कुमार पलटी मारेंगे या नहीं?लालू और गठबंधन को उनके पास पलट कर आना होगा कि आप जो कहें वही होगा.तब तक एनडीए और इंडिया के प्रति नरमी-गरमी चलती रहेगी.नीतीश कुमार चाहे भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए में रहें या राजद की अगुआई वाले महागठबंधन या विपक्षी गठबंधन इंडिया में, प्रेशर पॉलिटिक्स उनका आजमाया नुस्खा रहा है.

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