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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि वित्तीय समावेशन से जुड़ी सरकार की नीतियों ने करोड़ों लोगों को औपचारिक वित्तीय प्रणाली का हिस्सा बनाया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपये से अधिक का मुद्रा ऋण देकर करोड़ों युवाओं के सपनों को पूरा करने में मदद की है और पहली बार 40 लाख से अधिक रेहड़ी-पटरी वालों और छोटे दुकानदारों को पीएम स्वनिधि योजना के माध्यम से बैंकों से मदद मिली है। प्रधानमंत्री मोदी ने विकास के अवसर सृजित करने के लिए वित्तीय सेवाओं की दक्षता बढ़ाना विषय पर बजट-उपरांत वेबिनार को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने हितधारकों से लागत कम करने और ऋण की गति बढ़ाने के लिए सभी प्रक्रियाओं को फिर से आकार देने का आह्वान किया ताकि यह छोटे उद्यमियों तक सुगमता से पहुंच सके।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पूरी दुनिया कोविड महामारी के दौरान भारत की राजकोषीय और मौद्रिक नीति के प्रभाव को देख रही है और पिछले नौ वर्षों में अर्थव्यवस्था के मूल सिद्धांतों को मजबूत करने में सरकार के प्रयासों की प्रशंसा कर रही है। श्री मोदी ने कहा कि पहले भारत की अर्थव्यवस्था, बजट और लक्ष्यों पर चर्चा अक्सर एक प्रश्न के साथ शुरू और समाप्त होती थी। उस समय दुनिया भारत को संदेह की दृष्टि से देखती थी।

प्रधानमंत्री ने वित्तीय अनुशासन, पारदर्शिता और समावेशी दृष्टिकोण में आए बदलाव का उल्लेख करते हुए कहा कि चर्चा के आरम्भ और अंत में आने वाले प्रश्न चिह्न की जगह अब विश्वास और अपेक्षाओं ने ले लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जोर देकर कहा कि आज भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था का ब्राइट- स्पाट कहा जा रहा है।