
SUDHIR KUMAR
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के दूसरे वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा सम्मेलन का उद्घाटन कल नई दिल्ली के भारत मंडपम में हुआ। इस सम्मेलन का आयोजन विश्व स्वास्थ्य संगठन और आयुष मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है। उद्घाटन अवसर पर आयुष मंत्री प्रतापराव जाधव ने पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में भारत के दीर्घकालिक योगदान को रेखांकित करते हुए अनुसंधान, गुणवत्ता मानकों और वैश्विक सहयोग को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 से शुरू हुआ यह सहयोग पारंपरिक चिकित्सा को वैश्विक मंच पर आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण साबित हुआ है।
श्री जाधव ने छात्रवृत्तियों, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और आयुष ग्रिड जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से पारंपरिक चिकित्सा की शिक्षा, अनुसंधान और क्षमता निर्माण में भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका को भी उजागर किया।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसस ने कहा कि संगठन हजारों वर्षों पुराने चिकित्सा ज्ञान को आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के साथ एकीकृत करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने विज्ञान और परंपरा, ज्ञान और जीवन के अनुभवों के बीच सेतु बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
सम्मेलन स्थल पर एक भव्य आयुष प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है, जिसमें आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध, सोवा-रिग्पा और होम्योपैथी सहित भारत की आयुष प्रणालियों के साथ-साथ विश्व की विभिन्न पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों का प्रदर्शन किया जा रहा है। डॉ. टेड्रोस ने विश्व स्वास्थ्य सभा द्वारा वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा नीति 2025-2034 को अपनाए जाने और इसके क्रियान्वयन हेतु भारत में वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा केंद्र की स्थापना का भी उल्लेख किया।
इस सम्मेलन के दौरान महत्वपूर्ण वैज्ञानिक पहलों की घोषणा के साथ-साथ पारंपरिक चिकित्सा के सुरक्षित, प्रभावी और साक्ष्य-आधारित उपयोग को बढ़ावा देने के लिए नई वैश्विक प्रतिबद्धताओं की घोषणा किए जाने की संभावना है। सम्मेलन का विषय है — “संतुलन की बहाली: स्वास्थ्य और शारीरिक देखभाल का विज्ञान और उसका उपयोग।”
आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने बताया कि इस दूसरे वैश्विक शिखर सम्मेलन में विश्व स्वास्थ्य संगठन के 100 से अधिक सदस्य देशों के लगभग 25 स्वास्थ्य मंत्री भाग ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सम्मेलन के समापन सत्र में शामिल होंगे। श्री कोटेचा ने पारंपरिक चिकित्सा के वैश्विक प्रचार-प्रसार में भारत की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि भारत ने कई साझेदार देशों को नियामक ढांचा विकसित करने, क्षमता निर्माण, शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में सहयोग प्रदान किया है। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि सम्मेलन के दौरान लगभग 16 देशों के साथ द्विपक्षीय बैठकें होंगी और तंजानिया के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाएंगे।
