अशफाक कायमखानी / जयपुर

muslim educationकुछ परम्परावादियो के विरोध के बावजूद राजस्थान के मुसलमानों के बीच तालीम की जावला जलने लगी है, तमाम तर विरोध के बावजूद इस समाज के लोग तालीम की शमा को रौशन करने में कोई कसार नहीं छोड़ रहे हैं, यही वजह है के अब इस समुदाय में शिक्षा की चाहत रफ्तार पकड़ने लगा है।

अब जरुरत इस बात की है कि एक उम्र मे बच्चे की जब दिशा तय होती है उस समय विशेष ध्यान देकर उनकी सही counseling करने व गलत राह से दूर रखने पर विशेष ख्याल रखना होगा। बच्चे के नवी से सिनियर पास करते करते वालदेन व बच्चो मे दोस्त वाले रिस्ते रखने होगे ताकि सभी प्रोब्लम्स पर खुलकर विचार करके हल निकाला जा सके।

स्टूडेन्टस के यह तीन-चार साल केरीयर के लिये महत्वपुर्ण माने जाते है। इस समय मे की गई सकारात्मक कड़ी मेहनत खुद, परिवार व देश हित मे उपयोगी साबित होगी। वही दुसरी तरफ इस उम्र के पड़ाव पर बरती लापरवाही, आरामपरस्ती या पैर लड़खड़ाने से बच्चो के भविष्य पर प्रश्न चिन्ह लगाता है। कुछ उदाहरण देखने व समाचार पत्रो मे पढने को मिलते रहे है कि इस उम्र मे बच्चे नेटवर्किंग के चलते भाऊकता मे बहकर गलत संगत के सम्पर्क मे आकर अपना भविष्य चोपट कर लेते है।तभी तो कहते है कि इस समय वालदेन व बच्चो मे दोस्ताना रिश्ते हो ताकी आपसी विचार विमर्श के चलते बच्चा नेटवर्किग के मार्फत गलत संगत पकड़ नही पायेगा। साथ ही वालदेन को बच्चो पर एक खास नजर भी रखनी चाहिये की उसकी ऊंगली कम्पयूटर पर कहा चल रही है।

वेसे राजस्थान के खासतोर पर शेखावाटी जनपद मे आधुनिक तालीम जिसमे गलर्स तालीम का विरोध करने वालो की आवाज अब मंद पड़ने लगी है और युवा वर्ग हालात की ठोकरें खाकर अब मुश्किल हालात मे भी तालीम हासिल करना अपना कर्तव्य समझने लगे हैं । जिसके चलते इस क्षेत्र के लड़के-लड़की भारतीय प्रशासनीक सेवा से लेकर राजस्थान प्रशासनीक सेवाओ से होते हुये मेडीकल, वेज्ञानिक, इंन्जिनियरिंग सहित हर मैदान मे जाकर देश की खिदमत कर रहे है।

आज फतेहपुर शेखावाटी की बेटी मशरत दाऊद पीनारा तालीम की ताकत पर ब्रिटिश सदन मे विचार रखती है तो नुआ झुंझूनु की बेटी फराह हुसैन व बलारा का सपूत जाकीर भारयीय सिविल सेवा मे गये है। खैड़ी राडान का इन्जिनियर मुशताक खान ने अमेरीका मे बडा नाम कमाया है। अशफाक हुसैन दोसा कलेक्टर है तो अनेक लोग पुलिस व सिविल सेवा मे प्रशासनीक अधिकारी व न्यायीक सेवा मे जज है। वही सुजानगढ के लाल मोहम्मद रफीक साहेब राजस्थान हाईकोर्ट मे सिनियर जस्टिस है।

तालीम की ही ताकत है कि बडी तादाद मे टिचर सलेक्ट हो रहे है जो निरंतर सिविल सेवा की परीक्षा देने मे प्रयासरत है। वही नीट,रीप,रीट, नेट, स्लेट जैसे अनेक मुकाबलाती परीक्षा मे हमारी भागीदारी बढ रही है।शेखावाटी जनपद की माओ की तालीम के प्रती ललक व लगन को देखना हो तो सीकर के फतेहपुर रोड़ के आस पास बनी उन बस्तियो व दिसावर मे रहने वाले लोगो के मकानो मे रहने वाले परीवार जिनके मुखीया अरब मे मजदूरी या फौज मे सिपाही की नौकरी कर रहे है और उनकी महिलाऐ बच्चो को सीकर लाकर यहा लाकर आला तालीम दिलवा रही है। ऐसे हजारो महिलाऐ इस इलाके मे देहाती सभी घरेलू सुविधाऐ त्याग कर सीकर मे किराये का या अपना छोटा सा मकान बनाकर उसमे रहकर केवल आला तालीम अपने बच्चो को दिलाने मे प्रयासरत है। काफी लड़कीया अपने नजदीकी रिस्तेदारो के पास रहकर मेडिकल व इंजिनियरिंग की तैयारी कर रही है।

उन सबके वालीद तो मामूली मजदूरी व नौकरी के लिये बाहर है लेकिन वहां जाने से उन्हे तालीम का एहसास होने पर वो सब अपने बच्चो को पढाने की क़सम ले चुके है।

कुल मिलाकर यह है कि बच्चो का भविष्य संवारने, मुल्क व मिल्लत की खिदमत करने के लिये बच्चो के अलग थलग रहने की बचाय सभी समाज व समुदायो मे मिलजुल कर रहने की आदत डालनी होगी वही किशोर अवस्था मे उनकी संगत व उनकी उचित counciling पर विशेष नजर रखनी होगी।

हालाकि क्षेत्र मे खास तोर पर गलर्स ऐजुकेसन के लिये अवामी बेदारी पैदा करने के लिये सीकर के सपूत मुम्बई प्रवासी Wahid Chowhan ने अपना जीवन भर का कमाया करीब करीब सारा सरमाया लगाकर सीकर मे ऐक्सीलेंस स्कूल/कालेज बनाकर कर जो हमारी बेटियो को फ्री एजुकेशन देने का इंतेजाम पिछले 22 से कर रहे है वह मील का पत्थर साबीत हो रहा है। अब

जरुरत है कि दो महिने, चार महिने या अन्य कोई समय सिमा बनाकर हर मुकाबलाती परीक्षा की तैयारी कराने का पुख्ता इंतेजाम किया जाये