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भारतीय सेना के सैन्य संचालन महानिदेशक- डी जी एम ओ, लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने कहा है कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में नौ आतंकी ठिकानों पर हमले किए गए। इनमें निशाने पर रहे सौ से अधिक बड़े आतंकवादी मारे गए। इन आतंकवादियों में यूसुफ अजहर, अब्दुल मलिक रऊफ और मुदासिर अहमद जैसे आतंकवादी शामिल हैं, जो आईसी-814 के अपहरण और पुलवामा विस्फोट में शामिल थे।
उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर की अवधारणा आतंकवाद के अपराधियों तथा योजनाकारों को दंडित करने और उनके आतंकी ढांचे को नष्ट करने के स्पष्ट सैन्य उद्देश्य के साथ की गई थी। ऑपरेशन सिंदूर ने सीमा पार आतंकी ढांचे पर बहुत मेहनत और सूक्ष्मता से निशाने साधे और आतंकी शिविरों तथा प्रशिक्षण स्थलों की पहचान की।
डीजीएमओ ने कहा कि उन्होंने कल दोपहर बाद पाकिस्तान के डीजीएमओ से बात की, जिन्होंने युद्ध की स्थिति समाप्त करने का प्रस्ताव दिया। उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप दोनों पक्षों की ओर से सीमा पार से गोलीबारी और हवाई घुसपैठ बंद हो गई। दोनों पक्षों ने कल दोपहर 12 बजे बातचीत करने का भी फैसला किया, ताकि इस सहमति को लंबे समय तक बनाए रखने के तौर-तरीकों पर चर्चा की जा सके।
लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने इस बात पर निराशा जताई कि पाकिस्तानी सेना को, सीमा तथा नियंत्रण रेखा के पार गोलीबारी करने और उसके बाद ड्रोन घुसपैठ करके इन व्यवस्थाओं का उल्लंघन करने में केवल कुछ घंटे लगे। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के डी जी एम ओ को एक और हॉटलाइन संदेश भेजा गया है, जिसमें बताया गया कि अगर आज रात या बाद में सहमति का उल्लंघन होता है, तो इसका जवाब सख्ती से और दंडात्मक तरीके से दिया जाएगा।
डी जी एम ओ ने बताया कि सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने पाकिस्तान द्वारा किसी भी उल्लंघन के मामले में जवाबी कार्रवाई के लिए सेना कमांडरों को पूरा अधिकार दिया है। डी जी एम ओ ने ऑपरेशन सिंदूर में जान गंवाने वाले सशस्त्र बलों के पांच शहीदों और नागरिकों को श्रद्धांजलि दी।
यह पूछे जाने पर कि कितने पाकिस्तानी विमान मार गिराए गए, एयर ऑपरेशन महानिदेशक, एयर मार्शल ए.के. भारती ने कहा कि उनके विमानों को सीमा के अंदर प्रवेश करने से रोका गया और कुछ विमानों को निश्चित रूप से मार गिराया गया। उन्होंने यह भी कहा कि वायु सेना ने अपने उद्देश्य हासिल कर लिए हैं और सभी पायलट वापस लौट आए हैं।
लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने ऑपरेशन सिंदूर के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि केवल आतंकवादियों को निशाना बनाने और अन्य क्षति को रोकने के लिए लगाया गया प्रतिबंध था। उन्होंने कहा कि दुश्मन की अनिश्चित और घबराई हुई प्रतिक्रिया नागरिकों, आबादी वाले गांवों और धार्मिक स्थलों को निशाना बनाने से स्पष्ट थी, इन हमलों में कई लोगों की जान चली गई।
डी जी एम ओ ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारतीय वायु सेना ने इनमें से कुछ शिविरों पर हमला करके इन हमलों में प्रमुख भूमिका निभाई और भारतीय नौसेना ने सटीक हथियारों के मामले में साधन उपलब्ध कराए।
एयर ऑपरेशन के महानिदेशक एयर मार्शल ए.के. भारती ने बताया कि लक्ष्यों का सावधानीपूर्वक चयन किया गया था। भारतीय वायु सेना को जो लक्ष्य प्रणालियाँ दी गई थीं, वे बहावलपुर और मुरीदके के कुख्यात प्रशिक्षण शिविर थे। उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण लक्ष्य प्रणाली विश्लेषण के माध्यम से, वायु सेना ने उन सभी चीजों का विश्लेषण किया जो लक्ष्यों को नष्ट करने के लिए किए जाने की आवश्यकता थी।
एयर मार्शल ए.के. भारती ने बताया कि उन्होंने इन लक्ष्यों को हवा से सतह पर सटीक निर्देशित हथियारों से निशाना बनाने की योजना बनाई ताकि अन्य क्षति से बचा जा सके।
एयर मार्शल भारती ने मुरीदके आतंकी शिविर और बहवलपुर आतंकी शिविर पर मिसाइल के प्रभाव के विस्तृत वीडियो दिखाए। उन्होंने बताया कि इसका उद्देश्य आतंकी ढांचे को निशाना बनाना था, किसी अन्य ढांचे को नहीं। उन्होंने कहा कि 7 मई की शाम को नागरिक क्षेत्रों और सैन्य प्रतिष्ठानों में पाकिस्तानी मानवरहित हवाई वाहनों और छोटे ड्रोनों की भरमार थी।
एयर मार्शल भारती ने कहा कि इन सभी को सफलतापूर्वक रोक दिया गया। उन्होंने बताया कि जब भारत ने आतंकवादियों को निशाना बनाया तो विरोधी, नागरिकों और सैन्य बुनियादी ढांचे को निशाना बना रहे थे। एयर मार्शल भारती ने बताया कि इसलिए उसी रात एक त्वरित और संतुलित प्रतिक्रिया में भारत ने लाहौर और गुजरांवाला में पाकिस्तानी रडार प्रतिष्ठानों पर हमला किया।
डी जी एम ओ लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने कहा कि 8 और 9 मई की रात को पाकिस्तान ने भारत के हवाई क्षेत्र में ड्रोन तथा विमान उड़ाए और कई सैन्य बुनियादी ढांचों को निशाना बनाने के बड़े पैमाने पर असफल प्रयास किए। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान द्वारा नियंत्रण रेखा पर उल्लंघन फिर से शुरू हुआ और भयंकर झडपों में बदल गया।
डी जी एम ओ ने कहा कि 7 से 10 मई के बीच नियंत्रण रेखा पर तोपखाने और छोटे हथियारों से गोलीबारी की, जिसमें पाकिस्तानी सेना के लगभग 35 से 40 कर्मियों के मारे जाने की खबर है। एयर मार्शल ए.के. भारती ने कहा कि भारत की वायु रक्षा तैयारियों ने यह सुनिश्चित किया कि जमीन पर या दुश्मन द्वारा नियोजित किसी भी लक्षित लक्ष्य को कोई नुकसान न हो।
उन्होंने बताया कि 8 मई की शाम को कई पाकिस्तानी मानवरहित हवाई प्रणालियों और ड्रोनों ने भारतीय वायुसेना के कई अड्डों पर हमला किया। इनमें जम्मू, उधमपुर, पठानकोट, अमृतसर, बठिंडा, डलहौजी, जैसलमेर शामिल हैं। प्रशिक्षित चालक दल ने वायु रक्षा प्रणालियों का उपयोग करके इन्हें बेअसर कर दिया।
एयर मार्शल भारती ने कहा कि जहां क्षति पहुंचाई जा सकती थी, वहां हमला करने का फैसला किया गया और भरतीय वायु सेना ने, पाकिस्तान के हवाई ठिकानों, कमांड सेंटरों, सैन्य बुनियादी ढांचे और वायु रक्षा प्रणालियों पर हमला किया।
उन्होंने कहा कि भारत की ओर से दुश्मन को यह स्पष्ट संदेश था कि आक्रामकता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।