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प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने लोगों से अंगदान के लिए आगे आने की अपील की है। आज आकाशवाणी से मन की बात कार्यक्रम की 99वीं कड़ी में उन्‍होंने कहा कि ऐसे जरूरतमंद लोगों की संख्‍या काफी अधिक है जो अंगदान की प्रतीक्षा कर रहे हैं। श्री मोदी ने कहा कि भारत में परमार्थ को इतना अधिक मूल्‍य दिया गया है कि लोग दूसरों के सुख के लिए अपना सर्वस्‍व दान करने से भी संकोच नहीं करते। उन्‍होंने इस बात पर संतोष व्‍यक्‍त किया कि केन्‍द्र सरकार अंगदान के लिए देश में एक समान नीति लाने पर काम कर रही है। श्री मोदी ने यह भी कहा कि अंगदान के लिए राज्‍यवासी होने की शर्त को हटाने का निर्णय लिया गया है। इससे लोग किसी भी राज्‍य में अंगदान के लिए अपना पंजीकरण करा सकेंगे। सरकार ने अंगदान के लिए उम्र 65 वर्ष से कम होने की शर्त को भी समाप्‍त करने का निर्णय लिया है। श्री मोदी ने कहा कि देश में अंगदान के प्रति जागरूकता बढ़ रही है। देश में वर्ष 2013 में पांच हजार से भी कम लोगों ने अंगदान किए थे, लेकिन वर्ष 2022 में यह संख्‍या बढ़कर 15 हजार से अधिक हो गई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि वे अंगदान का पुण्य कार्य करने वालों के मन की बात जानने के लिए लंबे समय से इच्‍छुक थे।

उन्‍होंने उस अभिभावक से भी बात की जिन्‍होंने अपनी 39 दिन की बेटी के गुजर जाने पर उसका अंगदान किया था। पंजाब में अमृतसर के निवासी श्री सुखबीर सिंह संधू और उनकी पत्‍नी सुप्रीत कौर के घर बिटिया का जन्‍म हुआ था जिसका नाम अबाबत कौर नाम रखा था। श्री सुखबीर ने प्रधानमंत्री से कहा कि अबाबत के दिमाग में नाड़ियों का एक ऐसा गुच्छा बना हुआ था जिसकी वजह से उनकी बेटी के दिल का आकार बड़ा हो रहा था और उसे महज 39 दिन की अवस्था में दिल का दौरा पड़ गया। श्री सुखबीर ने महसूस किया कि उनकी बेटी का जन्‍म किसी प्रयोजन विशेष से हुआ है और इसलिए उन्‍होंने उसके अंगदान का निर्णय लिया। प्रधानमंत्री ने श्री सुखबीर की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनके इस नेक कार्य की जानकारी मिलने के बाद कई लोग अंगदान के लिए प्रेरित होंगे। श्री सुखबीर ने कहा कि उन्‍हें उस वक्‍त बहुत गर्व का अनुभव हुआ जब डॉक्‍टरों ने उनसे कहा कि उनकी बेटी देश की सबसे कम उम्र की अंगदान करने वाली बन गई है और उसके अंगों का सफलतापूर्वक प्रत्‍यारोपण कर दिया गया है।

प्रधानमंत्री ने झारखंड की अभिजीत चौधरी से भी बातचीत की जिनकी मां स्‍नेहलता चौधरी ने 63 वर्ष की उम्र में अपना हृदय, गुर्दा और लीवर दान किया। श्री अभिजीत ने प्रधानमंत्री से कहा कि उनकी मां के अंगदान के कारण चार लोगों को जान बची और दो लोगों को आंखें मिल गईं। श्री मोदी ने कहा कि समाज को ऐसे लोगों पर गर्व है।

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