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केंद्र ने उच्चतम न्यायालय से आग्रह किया है कि समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने संबंधी याचिकाओं पर कार्यवाही में सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को पक्ष बनाया जाए। उच्चतम न्यायालय में दाखिल हलफनामे में केंद्र ने बताया कि कल सभी राज्यों को इस संबंध में पत्र जारी कर याचिका में उठाए गए मुद्दों पर उनके विचार मांगे गए हैं। केंद्र की ओर से महाधिवक्ता तुषार मेहता ने मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ से अनुरोध किया कि कार्यवाही के दौरान राज्यों को पक्ष बनाया जाए। उच्चतम न्यायालय ने दो समलैंगिक जोड़ों की अलग-अलग याचिकाओं पर 25 नवम्बर को केंद्र की प्रतिक्रिया मांगी थी। याचिकाओं में विवाह करने की अनुमति देने और इसे विशेष विवाह अधिनियम के तहत पंजीकृत करने की मांग की गई है।

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