न्यूयॉर्क के मेयर पद के लिए पहले भारतीय-मुस्लिम उम्मीदवार बनने की पूरी संभावना

वेब टीम
33 वर्षीय ज़ोहरान क्वामे ममदानी, जो डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट हैं और वर्तमान में न्यूयॉर्क स्टेट असेंबली के सदस्य हैं, न्यूयॉर्क सिटी के मेयर पद की दौड़ में सबसे आगे निकल चुके हैं। हाल ही में हुए डेमोक्रेटिक प्राइमरी में उन्होंने शानदार जीत हासिल की है, जिससे वह आगामी नवंबर 2025 के मेयर चुनाव के संभावित डेमोक्रेटिक उम्मीदवार बन गए हैं।
अगर ज़ोहरान ममदानी इस चुनाव में जीतते हैं, तो वे न्यूयॉर्क सिटी के पहले मुसलमान और भारतीय मूल के मेयर होंगे। साथ ही, वे पिछले एक सदी में शहर के सबसे युवा मेयर भी बन जाएंगे।
ज़ोहरान का जन्म युगांडा के कंपाला शहर में हुआ और वे दक्षिण अफ्रीका के केप टाउन में पले-बढ़े। सात साल की उम्र में वे न्यूयॉर्क आ गए। वे प्रसिद्ध विद्वान और कोलंबिया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर महमूद ममदानी और मशहूर फिल्मकार मीरा नायर के बेटे हैं।
उन्होंने ब्रॉन्क्स हाई स्कूल ऑफ साइंस और बोउडॉइन कॉलेज से पढ़ाई की, जहाँ उन्होंने अफ्रीकी-अमेरिकी अध्ययन (Africana Studies) में डिग्री ली। कॉलेज के दिनों में ही उन्होंने “स्टूडेंट्स फॉर जस्टिस इन पैलेस्टाइन” नामक संगठन की स्थानीय शाखा की स्थापना की थी।
राजनीति में आने से पहले ज़ोहरान ने क्वींस में फोरक्लोज़र-प्रिवेंशन काउंसलर के रूप में काम किया, जहाँ वे कम आय वाले मकान मालिकों को बेदखली से बचाने में मदद करते थे। इसी अनुभव ने उन्हें सामाजिक न्याय और समानता की लड़ाई के लिए राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया।
2021 में विधानसभा सदस्य के रूप में चुने जाने के बाद से उन्होंने आवास और परिवहन सुधार पर ध्यान केंद्रित करते हुए 20 से अधिक विधेयकों को पेश किया, जिनमें से कई कानून का रूप ले चुके हैं। वे न्यूयॉर्क विधानमंडल में सेवा देने वाले पहले दक्षिण एशियाई पुरुष और तीसरे मुस्लिम सदस्य बने।
ज़ोहरान की मुहिम ने युवाओं, खासकर जेनरेशन Z को खासा प्रभावित किया है। उन्होंने TikTok जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों का बेहतरीन इस्तेमाल करते हुए एक जमीनी स्तर की अभियान चलाई, जिसमें छोटी-छोटी जनता की मदद से कोष जुटाया गया। उनकी तुलना अक्सर अलेक्जेंड्रिया ओकासियो-कोर्टेज़ और बर्नी सैंडर्स जैसी “विद्रोही” नेताओं से की जाती है।
उनके चुनावी वादों में “$30 बाय ’30” न्यूनतम वेतन, किराए पर नियंत्रण, मुफ्त सिटी बसें, सार्वजनिक बाल देखभाल केंद्र और सरकारी स्वामित्व वाले ग्रॉसरी स्टोर जैसी योजनाएं शामिल हैं।
हालांकि, ज़ोहरान की नीतियाँ वॉल स्ट्रीट और व्यापारिक वर्ग को चिंता में डाल रही हैं। आलोचक कहते हैं कि इससे करों में वृद्धि और आर्थिक अस्थिरता का खतरा हो सकता है।
इसके अलावा, उनकी कुछ राजनीतिक टिप्पणियाँ भी विवादों में रही हैं। “ग्लोबलाइज़ द इंतिफादा” जैसे नारों से दूरी न बनाना, कुछ उदारपंथी और रूढ़िवादी समूहों के बीच नाराज़गी का कारण बना है। ब्रैड लैंडर जैसे कुछ समर्थकों ने भी इस पर सार्वजनिक असहमति जताई है।
इसके बावजूद, ज़ोहरान ममदानी एक नए दौर के प्रतीक बनकर उभरे हैं, जो विविधता, सामाजिक न्याय और प्रगतिशील राजनीति की ओर न्यूयॉर्क सिटी को ले जाने का सपना देख रहे हैं।

महमूद ममदानी: उपनिवेशवाद और विमुक्ति के प्रख्यात विद्वान
महमूद ममदानी, ज़ोहरान ममदानी के पिता, कोलंबिया यूनिवर्सिटी में हर्बर्ट लेहमन प्रोफेसर ऑफ गवर्नमेंट हैं। वे 2010 से 2022 तक कंपाला स्थित मेकेरे इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल रिसर्च के निदेशक भी रहे। उन्होंने 1974 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी प्राप्त की और उपनिवेशवाद, विरोधी-उपनिवेशवाद और विमुक्ति जैसे विषयों में विशेषज्ञता रखते हैं। कोलंबिया से पहले, वे तंज़ानिया के दर-एस-सलाम विश्वविद्यालय, युगांडा की मेकेरे यूनिवर्सिटी और दक्षिण अफ्रीका की केप टाउन यूनिवर्सिटी में पढ़ा चुके हैं। उन्हें कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाज़ा गया है — 2008 में Foreign Policy (अमेरिका) और Prospect (यूके) पत्रिकाओं ने उन्हें “शीर्ष 20 सार्वजनिक बुद्धिजीवियों” में स्थान दिया। 2021 में Prospect पत्रिका ने उन्हें “दुनिया के 50 शीर्ष विचारकों” में नामित किया। महमूद ममदानी का जन्म 23 अप्रैल 1946 को बॉम्बे (अब मुंबई), भारत में हुआ था। वे युगांडा के कंपाला में पले-बढ़े। वे भारतीय-युगांडन मूल के हैं और उनके माता-पिता गुजराती मुसलमान हैं।