
BIZ DESK
भारतीय शेयर बाजार ने बुधवार को मजबूती के साथ कारोबार खत्म किया। खुदरा महंगाई दर (CPI) के आठ साल के निचले स्तर पर आने और मिडकैप शेयरों में जोरदार खरीदारी से निवेशकों का रुझान सकारात्मक रहा। जुलाई में CPI घटकर 1.55 प्रतिशत पर आ गई, जो जून 2017 के बाद से खुदरा मुद्रास्फीति का सबसे निचला स्तर है। खाद्य वस्तुओं की कीमतों में गिरावट ने इसमें अहम भूमिका निभाई।
सेंसेक्स 304 अंक (0.38%) की बढ़त के साथ 80,539.91 पर बंद हुआ। यह पिछले सत्र के 80,235.59 के मुकाबले 80,492.17 पर मजबूती के साथ खुला था और पूरे दिन ऑटो व मेटल सेक्टर में चुनिंदा खरीदारी के चलते सीमित दायरे में रहा। निफ्टी 50 भी 131.95 अंक (0.54%) बढ़कर 24,619.35 पर बंद हुआ।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च हेड विनोद नायर ने कहा कि रिकॉर्ड-निचले CPI स्तर ने विवेकाधीन खर्च (डिस्क्रेशनरी स्पेंडिंग) में तेजी की उम्मीद बढ़ाई है, खासकर ऑटो और मेटल सेक्टर में। मिडकैप शेयरों में निवेशकों की मजबूत दिलचस्पी देखी गई। वैश्विक स्तर पर भी चीन की टैरिफ डेडलाइन बढ़ाए जाने और कच्चे तेल की कीमतों में नरमी से सेंटीमेंट को सहारा मिला।
उन्होंने कहा कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्यापार नीति और भू-राजनीतिक जोखिमों को लेकर अनिश्चितता के बावजूद, भारत की वृद्धि और मुद्रास्फीति का संतुलन FY26 के लिए सकारात्मक बना हुआ है। हालांकि, टैरिफ बदलाव की स्थिति में मामूली गिरावट का जोखिम है। निवेशकों की नजर 15 अगस्त को प्रस्तावित ट्रंप-पुतिन बैठक पर भी है।
सेंसेक्स के प्रमुख बढ़त वाले शेयरों में BEL, ईटरनल, महिंद्रा एंड महिंद्रा, कोटक बैंक, पावर ग्रिड, टाटा मोटर्स, भारती एयरटेल, बजाज फाइनेंस, सन फार्मा, एशियन पेंट्स और ट्रेंट शामिल रहे। जबकि ITC, अल्ट्राटेक सीमेंट और टाइटन में गिरावट दर्ज हुई।
सेक्टोरल इंडेक्स में भी ज्यादातर तेजी रही। निफ्टी फाइनेंशियल सर्विसेज 103 अंक (0.39%) बढ़ा, निफ्टी बैंक 137 अंक (0.25%) मजबूत हुआ और निफ्टी ऑटो 266 अंक (1.12%) उछला। निफ्टी आईटी और निफ्टी एफएमसीजी स्थिर रहे। व्यापक बाजार में भी तेजी दिखी—निफ्टी नेक्स्ट 50 398 अंक (0.60%) ऊपर, निफ्टी 100 में 137 अंक (0.25%) की बढ़त, निफ्टी मिडकैप 100 में 356 अंक (0.63%) की तेजी और निफ्टी स्मॉलकैप 100 में 115 अंक (0.66%) का इजाफा हुआ।
रुपया 0.23 पैसे मजबूत होकर 87.51 पर बंद हुआ। एलकेपी सिक्योरिटीज के जतिन त्रिवेदी के मुताबिक, भारत और अमेरिका दोनों में CPI के नरम आंकड़े और रूस-यूक्रेन संघर्ष पर सकारात्मक प्रगति की उम्मीदों ने रुपये को सहारा दिया। ट्रंप-पुतिन बैठक से पहले रुपया 87.25 से 88.00 के दायरे में रह सकता है।
विश्लेषकों का मानना है कि घटती महंगाई, मजबूत घरेलू मांग और बेहतर होते वैश्विक संकेत निकट भविष्य में बाजार को समर्थन दे सकते हैं, हालांकि भू-राजनीतिक घटनाक्रम और टैरिफ नीतियां निवेशक धारणा को प्रभावित कर सकती हैं।
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