
स्टाफ रिपोर्टर / न्यूज़ डेस्क
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुलिस के प्रति जनता की धारणा—विशेष रूप से युवाओं के बीच—को सकारात्मक रूप से बदलने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि पुलिस बल में पेशेवर क्षमता, संवेदनशीलता और त्वरित प्रतिक्रिया को और मजबूत किया जाना चाहिए। उन्होंने शहरी पुलिसिंग को सुदृढ़ करने, टूरिस्ट पुलिस इकाइयों को पुनर्गठित करने और देश में लागू नए आपराधिक कानूनों के बारे में जन-जागरूकता बढ़ाने की जरूरत पर भी जोर दिया।
रायपुर में आयोजित डीजीपी/आईजीपी की 60वीं अखिल भारतीय कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की पुलिस बलों से कहा कि वे राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए नवीन और नवाचार-आधारित रणनीतियाँ अपनाएँ। इसमें निर्जन द्वीपों को सुरक्षा ढांचे में शामिल करना, नैटग्रिड से जुड़े डेटाबेस का अधिकतम उपयोग करना और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) की मदद से अधिक प्रभावी इंटेलिजेंस तैयार करना शामिल है।
प्रधानमंत्री ने विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों को पुलिस जांच में फॉरेंसिक विज्ञान के उपयोग पर विस्तृत केस स्टडी करने के लिए प्रोत्साहित किया। उनका कहना था कि फॉरेंसिक क्षमताओं को मजबूत करने से आपराधिक न्याय प्रणाली को अधिक सक्षम और प्रभावी बनाया जा सकेगा।
उन्होंने प्रतिबंधित संगठनों की नियमित निगरानी, वामपंथी उग्रवाद से मुक्त क्षेत्रों के समग्र विकास, और तटीय सुरक्षा के लिए नए मॉडल अपनाने की आवश्यकता को भी दोहराया। प्रधानमंत्री ने कहा कि नशीली दवाओं के दुरुपयोग से निपटने के लिए सरकार के सभी विभागों की संयुक्त कार्रवाई जरूरी है, जिसमें प्रवर्तन, पुनर्वास और सामुदायिक हस्तक्षेप शामिल हैं।
‘विकसित भारत: सुरक्षा आयाम’ थीम पर आयोजित इस सम्मेलन में राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की गई। इसमें विज़न 2047 के तहत पुलिसिंग के दीर्घकालिक रोडमैप, आतंकवाद और कट्टरपंथ-रोधी रणनीतियों के उभरते रुझानों, महिलाओं की सुरक्षा के लिए तकनीक के इस्तेमाल, विदेश में रह रहे भारतीय भगोड़ों की वापसी की रणनीतियों, और प्रभावी जांच व अभियोजन के लिए फॉरेंसिक क्षमताओं को मजबूत करने जैसे विषय शामिल थे।
प्रधानमंत्री ने प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए बेहतर तैयारी और समन्वय पर जोर दिया। उन्होंने पुलिस प्रमुखों से कहा कि वे चक्रवात, बाढ़ और अन्य प्राकृतिक आपदाओं—जिसमें मौजूदा चक्रवात ‘दितवाह’ भी शामिल है—से निपटने के लिए आपदा प्रबंधन तंत्र को मजबूत करें। उन्होंने कहा कि सक्रिय योजना, वास्तविक समय समन्वय, त्वरित प्रतिक्रिया और सरकार के सभी विभागों का समग्र दृष्टिकोण जीवन बचाने और नुकसान कम करने के लिए अत्यंत आवश्यक है।
प्रधानमंत्री ने पुलिस नेतृत्व से आग्रह किया कि वे देश की विकास आकांक्षाओं और ’विकसित भारत’ के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए पुलिसिंग के तरीके को पुनर्परिभाषित करें।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने खुफिया ब्यूरो के अधिकारियों को राष्ट्रपति पुलिस पदक (विशिष्ट सेवा) प्रदान किए। इसके अलावा शहरी पुलिसिंग में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले तीन शहरों को विशेष पुरस्कार भी दिए गए, जिन्हें पहली बार इस उद्देश्य के लिए स्थापित किया गया है, ताकि शहरी पुलिसिंग में नवाचार और सुधार को बढ़ावा दिया जा सके।
सम्मेलन में केंद्रीय गृह मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, गृह राज्य मंत्री, केंद्र सरकार के गृह सचिव, सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के डीजीपी और आईजीपी, तथा केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और अन्य केंद्रीय पुलिस संगठनों के प्रमुखों ने भाग लिया। देशभर के 700 से अधिक अधिकारी वर्चुअली जुड़े।
