AMN नई दिल्ली

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था में बड़े सुधार की घोषणा की। मौजूदा 12% और 18% की दरों को मिलाकर अब इसे दो-स्तरीय ढांचे (5% और 18%) में बदल दिया गया है। वहीं, विलासिता और तथाकथित “पाप उत्पादों” (sin goods) पर 40% की उच्च दर बरकरार रखी गई है।

वित्त मंत्री ने इसे “नेक्स्ट-जनरेशन जीएसटी” करार दिया और कहा कि यह कदम आम आदमी के जीवन को किफायती बनाने, खपत बढ़ाने, आर्थिक दक्षता सुधारने और व्यवसायों के लिए अनुपालन (compliance) आसान करने की दिशा में है।


आम आदमी को बड़ी राहत

दैनिक उपयोग की वस्तुएँ अब या तो जीएसटी मुक्त होंगी या बेहद कम दर पर आएंगी:

  • सिर्फ 5% जीएसटी: बालों का तेल, साबुन, शैम्पू, टूथब्रश, टूथपेस्ट, साइकिल और रसोई के बर्तन।
  • पूरी तरह जीएसटी मुक्त: अल्ट्रा हाई टेम्प्रेचर दूध, पनीर, छैना और भारतीय रोटियाँ (जैसे रोटी और पराठा)।

इसके अलावा, पैक्ड खाद्य पदार्थों में भी भारी कमी की गई है। नमकीन, भुजिया, सॉस, पास्ता, नूडल्स, चॉकलेट, कॉफी, कॉर्नफ्लेक्स, मक्खन और घी अब केवल 5% जीएसटी में आएंगे।


उपभोक्ता टिकाऊ सामान और वाहन

महंगे उपभोक्ता सामान और गाड़ियों पर भी कर का बोझ घटा है:

  • एयर कंडीशनर, डिशवॉशर और छोटी कारें: 28% से घटाकर 18%
  • 350 सीसी तक की मोटरसाइकिलें: अब केवल 18%

विशेषज्ञों का मानना है कि इससे उपभोक्ता टिकाऊ (consumer durables) और ऑटोमोबाइल क्षेत्र में मांग बढ़ेगी और रोजगार सृजन को भी बल मिलेगा।


प्रमुख क्षेत्रों को फायदा

सीतारमण ने बताया कि इस सुधार से श्रम-प्रधान उद्योगों, कृषि क्षेत्र और स्वास्थ्य सेवाओं को विशेष लाभ होगा। उन्होंने कहा, “आम आदमी की रोजमर्रा की उपयोगी वस्तुओं पर कर का गहन पुनरीक्षण किया गया है और ज्यादातर मामलों में दरों को घटाया गया है।”


अनुपालन में सरलता और स्थिरता

सरकार ने लंबे समय से चली आ रही उलटी शुल्क संरचना (Inverted Duty Structure) और वर्गीकरण विवादों को भी सुलझा लिया है। अब व्यवसायों को रजिस्ट्रेशन, रिटर्न फाइलिंग और रिफंड प्रक्रियाओं में आसानी होगी।


राजनीतिक व आर्थिक पृष्ठभूमि

यह घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस भाषण के अनुरूप है, जिसमें उन्होंने दिवाली तक जीएसटी सरलीकरण और रोजमर्रा की वस्तुओं पर कर घटाने का आश्वासन दिया था।

विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम न केवल आम उपभोक्ता को राहत देगा बल्कि एमएसएमई और स्थानीय विक्रेताओं को भी मजबूती देगा, जिससे “जन-हितैषी अर्थव्यवस्था” की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा।

केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारामन की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद्‌ की 56वीं बैठक नई दिल्ली में आयोजित हुई। जीएसटी परिषद् ने अन्य विषयों के अतिरिक्त, लोगों, आम आदमी, महत्वाकांक्षी मध्यम वर्ग को राहत प्रदान करने और जीएसटी में व्यापार को सुगम बनाने के उपायों के लिए जीएसटी टैक्स दरों में बदलाव से संबंधित सिफारिशें कीं। संशयों के समाधान के लिए एफएक्यू भी जारी किए जा रहे हैं। 56वीं जीएसटी परिषद् की ओर से की गई सिफारिशें निम्नलिखित हैं:

  1. वस्तुओं और सेवाओं की जीएसटी दरों में बदलाव
  2. वस्तुओं पर जीएसटी दरों से संबंधित सिफारिशें
  3. वस्तुओं की जीएसटी दरों में बदलाव

एचएसएन-वार दरों में बदलाव अनुलग्नक-I में और क्षेत्रवार दरों में बदलाव अनुलग्नक-II में दिए गए हैं।

2. वस्तुओं से संबंधित अन्य बदलाव

  1. यह निर्णय लिया गया है कि पान मसाला, गुटखा, सिगरेट, अनमैन्युफैक्चर्ड तंबाकू, जर्दा जैसे चबाने वाले तंबाकू पर लेन-देन मूल्य के बजाय खुदरा बिक्री मूल्य (आरएसपी) पर जीएसटी लगाया जाएगा।
  2. भारत के राष्ट्रपति के लिए राष्ट्रपति सचिवालय की ओर से आयात की गई नई बख्तरबंद सेडान कार पर एडहॉक आईजीएसटी और क्षतिपूर्ति उपकर से छूट देने का निर्णय लिया गया है।
  3. सेवाओं पर जीएसटी दरों से संबंधित सिफारिशें
  4. सेवाओं की जीएसटी दरों में बदलाव

एचएसएन-वार दरों में बदलाव अनुलग्नक-III में और क्षेत्र-वार दरों में बदलाव अनुलग्नक-IV में दिए गए हैं।

2. सेवाओं से संबंधित अन्य बदलाव

  1. परिषद् ने रेस्टोरेंट सेवाओं की कर-देयता के संदर्भ में ‘निर्देशित परिसर’ की परिभाषा में स्पष्टीकरण जोड़ने की सिफारिश की है, जिससे यह स्थिति स्पष्ट की जा सके कि एक स्टैंड-अलोन रेस्टोरेंट खुद को ‘निर्देशित परिसर’ घोषित नहीं कर सकता है और फलस्वरूप, आईटीसी के साथ 18% की दर से जीएसटी का भुगतान करने का विकल्प नहीं प्राप्त कर सकता है।
  2. परिषद् ने मूल्यांकन नियमों को लॉटरी टिकटों पर लागू कर की दर में बदलाव के आधार पर बनाने की सिफारिश की है, जीएसटी मूल्यांकन नियमों में कुछ संशोधन किए जा रहे हैं।
  1. कार्यान्वयन की तारीख से जुड़ी सिफारिशें

परिषद् का विचार था कि वस्तुओं और सेवाओं की जीएसटी दरों में बदलाव 22 सितंबर 2025 से लागू किए जाने चाहिए। हालांकि, क्षतिपूर्ति उपकर खाते के अंतर्गत दायित्व को पूरा करने हेतु फंड्स की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए, परिषद् ने निर्णय लिया कि जीएसटी दरों में बदलाव निम्नलिखित चरणबद्ध तरीके से लागू किए जा सकते हैं:

  1. सेवाओं पर जीएसटी दरों में बदलाव 22 सितंबर 2025 से लागू होंगे।
  2. पान मसाला, गुटखा, सिगरेट, जर्दा जैसे चबाने वाले तंबाकू उत्पाद, अनमैन्युफैक्चर्ड तंबाकू और बीड़ी को छोड़कर सभी वस्तुओं की जीएसटी दरों में बदलाव 22 सितंबर 2025 से लागू होंगे।
  3. पान मसाला, गुटखा, सिगरेट, जर्दा जैसे चबाने वाले तंबाकू उत्पाद, अनमैन्युफैक्चर्ड तंबाकू और बीड़ी पर जीएसटी और क्षतिपूर्ति उपकर की मौजूदा दरें लागू रहेंगी, जब तक क्षतिपूर्ति उपकर खाते के अंतर्गत लोन और ब्याज भुगतान दायित्वों का पूरी तरह भुगतान नहीं हो जाता।
  4. उपरोक्त (सी) के आधार पर, केंद्रीय वित्त मंत्री और जीएसटी परिषद् के अध्यक्ष ऊपर बताई गई वस्तुओं के लिए परिषद् की ओर से मंजूर की गई जीएसटी की संशोधित दरों में बदलाव की वास्तविक तिथि तय कर सकते हैं।
  5. सीजीएसटी अधिनियम, 2017 में अपेक्षित संशोधन लंबित होने तक, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) प्रणाली की ओर से किए गए डेटा विश्लेषण और जोखिम मूल्यांकन के आधार पर इन्वर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर से आए 90% प्रोविजनल रिफंड प्रदान करने की संशोधित प्रणाली का प्रशासनिक रूप से कार्यान्वयन शुरू करेगा, जैसा कि शून्य-रेटेड आपूर्ति के चलते जोखिम आधारित प्रोविजनल रिफंड के मामले में होता है।

B. व्यापार को सुविधाजनक बनाने के उपाय

  1. प्रक्रिया में सुधार
  1. जीएसटी परिषद् ने व्यापार को सुविधाजनक के लिए कई निर्णय लिए हैं और विभिन्न उपायों की सिफारिश की है। जीएसटी कानून और प्रक्रिया से संबंधित प्रक्रिया सुधार और अन्य उपाय अनुलग्नक-V में दिए गए हैं। इन प्रक्रिया सुधारों के कार्यान्वयन की तारीख यथासमय अधिसूचित की जाएगी।
  1. वस्तु एवं सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण (जीएसटीएटी) का संचालन

वस्तु एवं सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण (जीएसटीएटी) सितंबर के अंत से पहले अपील स्वीकार करने के लिए चालू हो जाएगा और इस वर्ष दिसंबर के अंत से पहले सुनवाई शुरू कर देगा। परिषद् ने लंबित अपीलों को दायर करने की समय-सीमा के लिए 30.06.2026 की तारीख की भी सिफारिश की। जीएसटीएटी की प्रधान पीठ एडवांस रूलिंग के लिए राष्ट्रीय अपीलीय प्राधिकरण के तौर पर भी कार्य करेगी। ये उपाय विवाद समाधान के लिए एक मजबूत तंत्र प्रदान कर, अग्रिम निर्णयों में एकरूपता सुनिश्चित करके और करदाताओं को अधिक निश्चितता प्रदान करके जीएसटी के संस्थागत फ्रेमवर्क को विशेष रूप से मजबूत करेंगे। इससे जीएसटी व्यवस्था के अंतर्गत भरोसा, पारदर्शिता और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस बढ़ेगा।

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