
सुधीर कुमार / Sudhir Kumar
नई दिल्ली, 28 सितंबर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज आकाशवाणी पर प्रसारित मन की बात के 126वें संस्करण में कहा कि आत्मनिर्भर भारत का रास्ता केवल स्वदेशी अपनाने से होकर जाता है। उन्होंने नागरिकों से अपील की कि आने वाले त्योहारी सीजन में स्थानीय उत्पादों को खरीदें और वोकल फॉर लोकल को अपना मंत्र बनाएं।
प्रधानमंत्री ने लोगों से संकल्प लेने को कहा कि वे देश में बने सामान ही खरीदें। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि त्योहारों में सफाई केवल घरों तक सीमित न रहे, बल्कि गली, मोहल्लों, बाजारों और गांवों तक फैले।
गांधी जयंती का उल्लेख करते हुए श्री मोदी ने याद दिलाया कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी हमेशा स्वदेशी पर जोर देते थे और खादी उसका सबसे बड़ा प्रतीक रही। उन्होंने कहा कि पिछले 11 वर्षों में खादी के प्रति आकर्षण और मांग में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
महिलाओं की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि बेटियाँ आज व्यापार, खेल, शिक्षा और विज्ञान सहित हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही हैं। उन्होंने नौसेना की दो अधिकारी लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना और लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा का उदाहरण दिया, जिन्होंने नविका सागर परिक्रमा के तहत आठ महीने समुद्र में रहकर दुनिया का चक्कर लगाया। दोनों अधिकारियों ने इसे जीवन का अविस्मरणीय अनुभव बताया।
विजयादशमी के अवसर का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह पर्व इस बार विशेष महत्व रखता है क्योंकि इस दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की स्थापना के 100 वर्ष पूरे हो रहे हैं। उन्होंने आरएसएस की शताब्दी यात्रा को “अद्वितीय और प्रेरणादायी” बताया।
श्री मोदी ने इस अवसर पर कई महान विभूतियों को भी श्रद्धांजलि दी। उन्होंने शहीद भगत सिंह की जयंती पर उन्हें याद करते हुए कहा कि वे हर भारतीय, विशेषकर युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। उन्होंने भारत रत्न लता मंगेशकर को भी नमन किया और कहा कि उनके गीत मानवीय भावनाओं को जगाते हैं और उनके देशभक्ति गीत लोगों को प्रेरित करते हैं। प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि लता जी वीर सावरकर से अत्यधिक प्रेरित थीं और उन्हें स्नेह से तात्या कहती थीं।
प्रधानमंत्री ने कुछ दिन पहले दिवंगत हुए कन्नड़ के प्रख्यात लेखक और चिंतक डॉ. एस. एल. भैरप्पा को भी श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि उनके साहित्यिक कार्य युवा पीढ़ी का मार्गदर्शन करते रहेंगे और उनके कई कन्नड़ ग्रंथों के अनुवाद अन्य भाषाओं में भी उपलब्ध हैं।
