
सुधीर कुमार / SUDHIR KUMAR
नई दिल्ली, 28 सितंबर: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि आज पूर्वोत्तर और जम्मू-कश्मीर विकास और शांति की राह पर आगे बढ़ रहे हैं। वे नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन “नक्सल मुक्त भारत: मोदी के नेतृत्व में लाल आतंक का अंत” के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे।
श्री शाह ने बताया कि केंद्र सरकार ने संवाद, सुरक्षा और समन्वय – इन तीन स्तंभों पर कार्य किया है, जिसके परिणामस्वरूप 2014 से 2024 के बीच पूर्वोत्तर में सुरक्षा बलों की शहादतों में 70 प्रतिशत और नागरिक हत्याओं में 85 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।
पूर्वोत्तर क्षेत्र की प्रगति का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक में 12 बड़े शांति समझौते हुए हैं और 10,500 से अधिक युवाओं ने आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा का हिस्सा बनने का रास्ता चुना है। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पर केंद्रित कार्रवाई से उल्लेखनीय परिणाम मिले हैं। इस दौरान सुरक्षा बलों की शहादतों में 65 प्रतिशत और नागरिक हत्याओं में 77 प्रतिशत की गिरावट आई है।
गृह मंत्री ने नक्सलवाद पर अंकुश की जानकारी भी दी। उन्होंने कहा कि 2014 में देश के 126 जिले नक्सल प्रभावित थे, जिनमें अधिकांश छत्तीसगढ़ के थे। अब इन जिलों की संख्या 18 कम हो गई है, जबकि सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों की संख्या 36 से घटकर केवल 6 रह गई है।
श्री शाह ने कहा कि 2014 में मोदी सरकार के सामने तीन बड़ी आंतरिक सुरक्षा चुनौतियाँ थीं—जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर और वामपंथी उग्रवाद। उन्होंने जोर देकर कहा कि लम्बी रणनीति और राजनीतिक इच्छाशक्ति के दम पर इन तीनों मोर्चों पर अभूतपूर्व सफलता मिली है।
अपने संबोधन के अंत में गृह मंत्री ने आश्वासन दिया कि 31 मार्च अगले वर्ष तक वामपंथी उग्रवाद का पूरी तरह से उन्मूलन कर दिया जाएगा और नक्सल मुक्त भारत का लक्ष्य प्राप्त होगा।
