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दिल्ली

केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से राष्ट्रपति शासन हटाने का फैसला लिया है। हाल ही में 10 साल बाद कराए गए विधानसभा चुनाव के नतीजों की घोषणा के बाद नए मुख्यमंत्री की नियुक्ति का रास्ता साफ हुआ है।

मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह से पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य के लिए लागू आदेश को निष्प्रभावी करने की घोषणा की।केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर से राष्ट्रपति शासन हटाने की घोषणा की। इस फैसले के बाद प्रदेश में नए मुख्यमंत्री की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है।

रविवार देर रात गृह मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के संबंध में 31 अक्टूबर, 2019 को जारी आदेश तुरंत निरस्त हो जाएगा। बयान के मुताबिक जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 54 के तहत मुख्यमंत्री की नियुक्ति से पहले ही नए नियम प्रभावी हो जाएंगे।बता दें कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) उपाध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ल ने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल को 55 विधायकों के समर्थन का पत्र भी सौंपा है।दस साल बाद जम्मू-कश्मीर विधानसभा के चुनाव में एनसी-कांग्रेस गठबंधन ने पूर्ण बहुमत हासिल किया था।

90 सदस्यीय सदन में एनसी-कांग्रेस गठबंधन के 48 विधायकों के अलावा इंडिया गठबंधन के माकपा, आम आदमी पार्टी के एक-एक विधायक ने उमर अब्दुल्ला सरकार का समर्थन किया है। जबकि पांच निर्दलीय विधायकों ने भी समर्थन के पत्र दिए हैं। उमर बुधवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। राजभवन की तरफ से उमर अब्दुल्ला को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया है।

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