
AMN / NEW DELHI
नई दिल्ली: वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में भारत की GDP 7.8% की दर से बढ़ी है। यह पिछले पाँच तिमाहियों में सबसे तेज़ वृद्धि है। पिछले साल की इसी अवधि में यह दर 6.5% थी, जबकि पिछली तिमाही (जनवरी-मार्च 2025) में 7.4% की वृद्धि दर्ज की गई थी।
कृषि और उद्योग में सुधार
कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में 3.7% की वृद्धि हुई है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह केवल 1.5% थी। बेहतर मॉनसून और अनुकूल मौसम ने कृषि उत्पादन को मज़बूती दी है।
विनिर्माण क्षेत्र में 7.7% और निर्माण क्षेत्र में 7.6% की वृद्धि दर्ज हुई।
सेवा क्षेत्र, जो अर्थव्यवस्था का सबसे बड़ा हिस्सा है, में 9.3% की तेज़ वृद्धि दर्ज की गई, जो पिछले साल की 6.8% दर से काफी अधिक है।
निवेश और सरकारी खर्च
आँकड़े दिखाते हैं कि निवेश और सार्वजनिक व्यय में भी सुधार हुआ है।
- सकल स्थायी पूँजी निर्माण (GFCF) में 7.8% की बढ़ोतरी हुई, जबकि पिछले साल यह 6.7% थी।
- सरकारी अंतिम उपभोग व्यय (GFCE) में 9.7% वृद्धि दर्ज हुई, जो पिछले साल की 4% वृद्धि से दोगुने से अधिक है।
हालाँकि, निजी अंतिम उपभोग में वृद्धि धीमी रही। यह इस तिमाही में 7% पर रही, जो पिछले साल 8.3% थी।
RBI और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों का दृष्टिकोण
यह आँकड़ा भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के 6.5% के अनुमान से कहीं अधिक है। RBI ने पूरे वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 6.5% वृद्धि दर का अनुमान बरकरार रखा है।
RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि बेहतर मॉनसून, कम मुद्रास्फीति, मज़बूत पूँजीगत व्यय और अनुकूल वित्तीय परिस्थितियाँ विकास की गति को बनाए रखेंगी।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भी भारत के मजबूत आर्थिक दृष्टिकोण की पुष्टि की है। IMF का अनुमान है कि 2025-26 में भारत दुनिया की एकमात्र बड़ी अर्थव्यवस्था होगी, जिसकी वृद्धि दर 6% से अधिक रहेगी, जबकि वैश्विक व्यापार पर शुल्क तनाव और अनिश्चितताओं का दबाव बना हुआ है।
