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वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने जी-20 में भारत को वैश्विक दक्षिण की आवाज बताया है। नई दिल्ली में रायसीना डायलॉग में श्रीमती सीतारामन ने कहा कि छोटी, उभरती और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के ऋण का मुद्दा सर्वसम्मति से पूरी गंभीरता के साथ उठाया गया था।

श्रीमती सीतारामन ने बहुपक्षीय संस्थानों के सुधार की आवश्यकता को भी दोहराया। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि इस प्रक्रिया में कोई देरी नहीं होनी चाहिए। वित्‍त मंत्री ने कहा कि बहुपक्षीय विकास संस्थानों को 21वीं सदी की चुनौतियों का जवाब देने के लिए भारत के पास एक विशेषज्ञ पैनल है।

श्रीमती सीतारामन ने देश के सतत आर्थिक विकास के लिए जिम्मेदार कई कारकों की ओर भी ध्यान आकर्षित किया। इनमें अच्छी तरह से प्रशिक्षित युवा, कैप्टिव बाजार के लिए मध्यम वर्ग, प्रौद्योगिकी संचालित निवेश, सार्वजनिक बुनियादी ढांचा और कानून का शासन शामिल हैं। उन्होंने कहा कि देश में व्‍यवसाय में सुगमता के लिए मौजूदा लोकतांत्रिक ढांचे की भी बड़ी भूमिका है।