
इंद्र वशिष्ठ, / NEW DELHI
दिल्ली पुलिस कमिश्नर सतीश गोलछा ने पद संभालने के बाद आईपीएस अफसरों से कहा कि अब अगर कोई भी पुलिसकर्मी रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया, तो जिले का डीसीपी और एसएचओ भी इसके लिए जिम्मेदार होंगे। लेकिन कमिश्नर की इस बात का भी निरंकुश, बेखौफ भ्रष्ट पुलिसकर्मियों पर कोई असर नहीं हुआ।
उत्तर पश्चिम जिले के डीसीपी भीष्म सिंह की नाक के नीचे ही अशोक विहार थाने के बेखौफ, निरंकुश पुलिसकर्मियों ने वसूली करके साबित कर दिया कि कमिश्नर और डीसीपी उनके ठेंगे पर हैं।
सीबीआई ने 25 अगस्त को अशोक विहार थाने में चिट्ठा मुंशी हवलदार राजकुमार मीणा को एक लाख रुपये रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया। हवलदार राजकुमार मीणा ने सब- इंस्पेक्टर विशाल की ओर से रिश्वत ली थी। एसआई विशाल भनक लगते ही भाग गया। डीसीपी दफ़्तर और अशोक विहार थाना एक ही इमारत में है।
डीसीपी भीष्म सिंह ने बताया कि एसएचओ का काम देख रहे एटीओ इंस्पेक्टर राजीव को लाइन हाज़िर कर दिया गया है। हवलदार राजकुमार मीणा और एसआई विशाल को सस्पेंड कर दिया गया है। एसएचओ कुलदीप शेखावत के पिता की मृत्यु हो गई। वह 19 अगस्त से छुट्टी पर अपने घर जयपुर गया हुआ है।
ओमप्रकाश शर्मा ने 25 अगस्त को सीबीआई को दी शिकायत में कहा है कि 3/4 दिन पहले उसे एसआई विशाल ने फोन करके थाने बुलाया। वह थाने में पहले एसएचओ कुलदीप से मिला। इस बात से ओमप्रकाश की विश्वसनीयता पर ही सवालिया निशान लग जाता है क्योंकि जब एसएचओ राजस्थान गया हुआ है तो ऐसे में एसएचओ थाने में ओमप्रकाश के सामने मौजूद/उपलब्ध कैसे हो सकता है ?
वजीर पुर गांव निवासी ओमप्रकाश शर्मा के ख़िलाफ़ त्रीनगर निवासी सूरज गोयल ने पुलिस में शिकायत की है। आरोप है कि सूरज ने ओमप्रकाश की दुकान को खरीदने के लिए उसे 17 लाख रुपये दिए। रकम सूरज ने सीधे ओमप्रकाश के बैंक अकाउंट में दी है। लेकिन ओमप्रकाश ने उसे दुकान नहीं दी और न ही उसके पैसे वापस कर रहा। पैसे वापस मांगने पर धमकी देता है। इस मामले में एसआई विशाल जांच अधिकारी है।
ओम प्रकाश ने सीबीआई में शिकायत की कि उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज नही करने के लिए सब- इंस्पेक्टर विशाल और हवलदार राजकुमार मीणा ने तीन लाख रुपये रिश्वत मांगी है। बाद में दो लाख रुपये लेने को तैयार हो गए।ओमप्रकाश दीप मार्केट एसोसिएशन का पूर्व अध्यक्ष है। उसने डीडीए की मिलीभगत से इस मार्केट में छत पर अवैध रूप से कब्जा करके अपना निजी दफ़्तर बनाया हुआ है।
दीप/सेंट्रल मार्केट की पार्किंग फ्री है। लेकिन वहां पर मार्केट एसोसिएशन द्वारा रखे लोगों द्वारा पार्किंग के पैसे लोगों से वसूले जाते हैं। पैसे न देने पर लोगों के साथ बदतमीजी और हाथापाई की जाती है।पुलिस को इस अवैध वसूली की शिकायत भी की गई है। लेकिन पुलिस और मार्केट एसोसिएशन की सांठगांठ के कारण अवैध वसूली जारी है। डीसीपी भीष्म सिंह को अवैध पार्किंग वसूली में शामिल लोगों के ख़िलाफ़ जबरन वसूली का मामला दर्ज करके उन्हें गिरफ्तार करना चाहिए।
10 लाख रुपये लेते नारकोटिक्स ब्यूरो के दो इंस्पेक्टर गिरफ्तार
इंद्र वशिष्ठ,
सीबीआई ने 10 लाख रुपये की रिश्वतखोरी के मामले में लखनऊ स्थित सेंट्रल नारकोटिक्स ब्यूरो (सीबीएन) के इंस्पेक्टर महिपाल सिंह, इंस्पेक्टर रवि रंजन और निजी नर्सिंग होम के मालिक गयासुद्दीन अहमद को गिरफ्तार किया है।
सीबीआई ने 26.08.2025 को लखनऊ स्थित सेंट्रल नारकोटिक्स ब्यूरो (सीबीएन) के आरोपी इंस्पेक्टर महिपाल सिंह, इंस्पेक्टर रवि रंजन , तीन निजी व्यक्तियों (एक निजी नर्सिंग होम के मालिक सहित) और अन्य अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया। यह मामला विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर तुरंत दर्ज किया गया। सूचना मिली थी कि सेंट्रल नारकोटिक्स ब्यूरो (सीबीएन), लखनऊ के आरोपी इंस्पेक्टर महिपाल सिंह, इंस्पेक्टर रवि रंजन और अन्य अज्ञात व्यक्ति निजी नर्सिंग होम, लखनऊ के मालिक गयासुद्दीन अहमद को प्रतिबंधित दवा खरीदने के झूठे मामले में फंसाने की धमकी देकर उससे रिश्वत की मांग करके भ्रष्ट आचरण में लिप्त हैं।
सीबीआई ने निजी नर्सिंग होम के मालिक गयासुद्दीन अहमद द्वारा सेंट्रल नारकोटिक्स ब्यूरो के आरोपी अधिकारियों को दी गई 10 लाख रुपये की रिश्वत बरामद कर ली है। सीबीएन के दोनों रिश्वतखोर इंस्पेक्टरों और रिश्वत देने वाले गयासुद्दीन अहमद (निजी नर्सिंग होम के मालिक) को गिरफ्तार कर लिया गया है।
