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प्रवीण कुमार

भारत के सबसे पुराने कारोबारी समूह के सुप्रीमो और टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा नहीं रहे। 86 साल की उम्र में देश के बिजनेस कैपिटल मुम्बई स्थित ब्रीच कैंडी अस्पताल में आखिरी सांस तो ली, लेकिन अपनी उस अधूरी ख्वाहिश के साथ। आखिर क्या थी वो अधूरी ख्वाहिश? क्या आप इस बात की कल्पना कर सकते हैं कि जो इंसान कारोबार की दुनिया में बेहद कामयाब रहा हो, एक-दो नहीं पूरे चार प्यार के किस्से रहे हों और जब बात शादी पर आए तो वह अटक जाए? जी हां, कुछ ऐसी ही कहानी है कारोबारी दुनिया के बेताज बादशाह रतन टाटा की।

रतन टाटा के बारे में कहा जाता है कि उन्हें बचपन से ही कम बातचीत पसंद थी। वे केवल औपचारिक और जरूरी बात ही किया करते थे। वे बुक लवर थे और उन्हें सक्सेस स्टोरीज पढ़ना बेहद पसंद था। एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा भी था कि रिटायरमेंट के बाद वे अपने इस शौक को समय दे रहे हैं। इस सबके पीछे ऐसा माना जाता है कि बचपन में उनके माता और पिता अलग हो गए थे। दादी ने उनकी परवरिश की थी जिनसे उनका लगाव इस कदर था कि एक शादी तो इसी चक्कर में होते-होते रह गई।

यूं तो रतन टाटा की जिंदगी तमाम उन किस्सों से भरी पड़ी है जो जीवन को संवारने के लिए प्रेरित करती है, लेकिन हम यहां उसी प्यार के कुछ किस्सों को बताना चाहते हैं जो शादी में नहीं बदल सकी। रतन टाटा ने एक साक्षात्कार में इस बात का उल्लेख किया था कि उन्हें चार बार प्यार हुआ, लेकिन कोई एक शादी में परिणत नहीं हो सकी।

रतन टाटा के पास सब कुछ था, लेकिन एक दर्द उन्हें सालता था और इसका जिक्र उन्होंने अपने मैनेजर शांतनु की स्टार्टअप Goodfellows की ओपनिंग के दौरान किया था। तब उन्होंने कहा था, ‘आप नहीं जानते कि अकेले रहना कैसा होता है? जब तक आप अकेले समय बिताने के लिए मजबूर नहीं होते तब तक अहसास नहीं होगा।’

एक साक्षात्कार में रतन टाटा कहते हैं, उन्हें भी प्यार हुआ था, लेकिन उनकी लव स्टोरी शादी के मुकाम तक नहीं पहुंच सकी। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि शादी नहीं करने का फैसला उनके लिए ठीक ही साबित हुआ, क्योंकि अगर उन्होंने शादी कर ली होती तो स्थिति काफी जटिल होती। बावजूद इसके अगर आप पूछें कि क्या मैंने कभी दिल लगाया था तो आपको बता दूं कि मैं चार बार शादी करने के लिए गंभीर हुआ और हर बार किसी न किसी डर से मैं पीछे हट गया।

प्यार का शादी में तब्दील न होने की इन कहानियों में सबसे गंभीर लव स्टोरी रतन टाटा के अमेरिका में रहने से जुड़ी है। अमेरिका के लॉस एंजेलिस में रहने वाली एक लड़की से उन्हें प्यार हुआ। यह प्यार इतना परवान चढ़ा कि रतन टाटा उससे शादी करने वाले थे, लेकिन तभी उनकी दादी की तबीयत खराब होने की उन्हें खबर मिली। अचानक उन्हें भारत लौटना पड़ा। उन्हें लगा कि उनकी प्रेमिका भी उनके साथ भारत जाएगी लेकिन 1962 में भारत-चीन के बीच चल रहे युद्ध की वजह से लड़की के परिवार वालों ने उसे भारत आने की इजाजत नहीं दी। कुछ साल बाद अमेरिका में ही उसने किसी और से शादी कर ली। दरअसल, दादी नवाजबाई टाटा ने ही बचपन में उनकी परवरिश की थी, लिहाजा वह वह तुरंत भारत लौट आए थे शादी के बंधन में बंधने से पहले ही प्यार की इस कहानी का भी The End हो गया।

रतन टाटा ने फेसबुक पेज ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे पर भी अपनी इस लव स्टोरी का पूरी दुनिया के सामने खुलासा किया था। लॉस एंजेलिस के दिनों को याद करते हुए रतन बहुत भावुक हो गए थे। तब उन्होंने कहा था- वे बेहद अच्छे दिन थे। काफी अच्छा वक्त गुजर रहा था। बेहद खूबसूरत मौसम था। मेरे पास अपनी गाड़ी थी और मुझे अपनी नौकरी से प्यार भी।

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में इस बात का दावा भी किया गया है कि रतन टाटा कभी अभिनेत्री सिमी ग्रेवाल के करीब आए थे। एक वक्त था जब वो बॉलीवुड एक्ट्रेस सिमी ग्रेवाल को डेट कर रहे थे। सिमी ग्रेवाल ने अपने एक पुराने इंटरव्यू में रतन टाटा के साथ रिलेशनशिप में होने की बात मानी भी थी। अब जबकि रतन टाटा नहीं रहे, उनको याद करते हुए सिमी ग्रेवाल ने रतन टाटा के साथ अपनी एक पुरानी तस्वीर शेयर करते हुए लिखा- “वो कहते हैं आप चले गए हैं…तुम्हारे जाने का दुख सहन कर पाना बहुत मुश्किल है…बहुत मुश्किल…अलविदा मेरे दोस्त।

सिमी ग्रेवाल ने साल 2011 के एक इंटरव्यू में रतन टाटा के साथ रिलेशनशिप में होने की बात मानी थी। तब सिमी ने कहा था, “रतन और मेरा रिश्ता काफी पुराना है। वे एक परफेक्ट जेंटलमैन हैं। उनका सेंस ऑफ ह्यूमर काफी बढ़िया है और वो काफी विनम्र हैं। पैसा कभी उनके लिए प्रेरक शक्ति नहीं रहा। वह भारत में इतने निश्चिंत नहीं होते हैं जितना विदेश में होते हैं।” हालांकि दोनों का रिश्ता आगे क्यों नहीं बढ़ा, इसकी जानकारी बहुत पुख्ता तौर पर कभी सामने नहीं आई।

रतन टाटा को कुत्तों से प्यार इस कदर तक था कि जब भी वो अपने दफ्तर बॉम्बे हाउस पहुंचते थे, सड़क के आवारा कुत्ते उन्हें घेर लेते थे और उनके साथ लिफ्ट तक जाते थे। इन कुत्तों को अक्सर बॉम्बे हाउस की लॉबी में टहलते देखा जाता था जबकि आम इंसानों को वहां प्रवेश की अनुमति तभी दी जाती थी, जब या तो वो कंपनी के कर्मचारी हों या उनके पास मिलने की पूर्व अनुमति हो।

रतन टाटा के डॉगी प्रेम का एक और किस्सा बड़ा मशहूर है। 6 फरवरी, 2018 की तारीख। ब्रिटेन के राजकुमार चार्ल्स को बकिंघम पैलेस में रतन टाटा को परोपकारिता के लिए ‘रौकफेलर फाउंडेशन लाइफटाइम अचीवमेंट’ अवॉर्ड देना था। लेकिन समारोह से कुछ घंटे पहले रतन टाटा ने बकिंघम पैलेस में कार्यक्रम के आयोजकों को सूचित किया कि वह वहां नहीं पहुंच सकते क्योंकि उनका कुत्ता टीटो अचानक बीमार हो गया है। जब राजकुमार चार्ल्स को ये खबर पहुंचाई गई तो पता है उनकी प्रतिक्रिया क्या थी? उन्होंने कहा- ये असली मर्द की पहचान है। तो ऐसे थे रतन टाटा! (लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।)