बिहार में जाति आधारित सर्वे रिपोर्ट जारी होने के बाद राजनीतिक दलों की ओर से मिली जुली प्रतिक्रिया आयी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण दिन है जब गांधी जयंती के दिन जाति गणना की रिपोर्ट जारी की गयी है। इससे जातियों की आर्थिक सामाजिक स्थिति के अनुरुप उनके कल्याण के लिए योजनाएं बनाने में मदद मिलेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कल इस रिपोर्ट को राज्य में 9 दलों के समक्ष रखा जायेगा। प्रस्तुतिकरण के दौरान जाति गणना के सामाजिक आर्थिक परिणामों पर भी चर्चा होगी। इधर, राष्ट्रीय जनता दल के नेता और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने कहा कि जाति गणना में वैज्ञानिक तरीके से आकलन किया गया है। इससे उन पिछड़े समूहों को लाभ होगा जिन्हे सरकार की ओर से लाभ नहीं मिला है।
राज्य में सबसे बड़े विपक्षी दल भाजपा ने रिपोर्ट को आधा अधूरा बताया है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि जाति आधारित गणना में सामाजिक आर्थिक पिछड़े पन के आंकड़े नहीं जारी किये गये हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा जाति आधारित गणना में अपनायी गयी तकनीक और प्रक्रिया का अध्ययन करेगी इसके बाद पार्टी की ओर से पूर्ण रुप से प्रतिक्रिया दी जायेगी। जाति आधारित गणना बिहार में लोकसभा चुनाव से पहले एक महत्वपूर्ण मुद्दा बनता जा रहा है। राज्य के अधिकारियों ने कहा है कि बिहार जाति गणना कराने वाला देश का पहला राज्य बना है।