अशफाक कायमखानी/ जयपुर
शब्दो को नाप तोल कर मिठ्ठी वाणी मे भाषण देकर श्रोताओ के दिलो को भेदकर ठण्डक पहुंचा कर आकर्षित करने की कला की माहिर हाल ही मे भारतीय प्रशासनिक सेवा मे चयनित होने वाली झुंझूनु जिले के नुआं गावं के हर दिल अजीज अशफाक हुसैन IAS की बेटी फराह हुसैन के होने वाले सम्मान समारोह मे मुस्लिम छात्राओ की भीड़ भी उमड़ कर उनसे मिल व भाषण सुनकर इतनी प्रभावित हो रही है कि हर एक लड़की अब फराह हुसैन बनने को को बेताब है।
घर-घर मे लड़कियो व उनके परिजनो मे फराह के भाषण के वो बोल जिसमे जीवन मे गोल तय करके कड़ी मेहनत करके सफालता पाने के इरादो की कामयाबी को अल्लाह पाक पर छोड़ने पर बेहतर रजल्ट आने की चर्चा अक्सर होने लगी है। परिजन अपनी बेटियो को फराह के रास्ते पर चलने को कहते है,तो लड़कीयां आपस मे कहती है कि एक फराह हुसैन नही, अब तो घर घर से फराह निकलना होगा।
हसंमुख स्वभाव व अवाम मे जल्द घुलमिल जाने वाली फराह हुसैन की मकबूलियत से इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि राजस्थान के मुस्लिम परिवारो मे वालदेन अपनी पढ रही बेटियो को खुसी के मारे फराह नाम से भी पुकारने लगे है।
कुल मिलाकर यह है कि फराह का चयनित होना तुफान आना तो नही है।लेकिन फराह को आदर्ष मानकर जो घर घर की लड़कीया लक्ष्य तय करके मेहनत करना जो शुरु किया है, उससे अगले चंद सालो मे कामयाबी का तुफान आना इंशाकल्ला तय है।वही वालदेन को बेटियो को आला से आला शेक्षणिक इदारो से आला मयारी तालीम दिलाने के लिये कमर कस के आगे आकर अवामी माहोल बनाना होगा।
हालाकि हिन्दी माध्यम से पाई तालीम लड़कीया भी भारतीय प्रशासनिक सेवा परीक्षा का किला भेद पाने मे सफल हो जाती होगी लेकिन मेरा मानना है कि अंग्रेजी माध्यम की आला शेक्षणिक इदारे से तालीम पाकर इस सेवा के किले को भेद पाना काफी आसान माना जाता है।वही स्कूली शिक्षा के बाद सीकर के चांद मोहम्मद रंगरेज की होनहार बेटी नेहा फरीन सहित अनेको ने दिल्ली की नामी कोलेजो मे प्रवेश लेकर लक्ष्य अभी से तय कर लिया है।