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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से संकट के समय एक दूसरे की मदद के लिए संस्थागत दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया है। श्री मोदी ने कहा कि कोविड महामारी ने हमें सतर्क किया है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र जैसे वैश्विक संगठन हर क्षेत्र में संसाधनों को अंतिम छोर तक ले जाने में नेतृत्व कर सकते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि आपसी सहयोग और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण से जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटा जा सकता है। प्रधानमंत्री मोदी ने आज हैदराबाद में संयुक्त राष्ट्र विश्व भू-स्थानिक अंतर्राष्ट्रीय कांग्रेस को वीडियो क्रॉन्फ्रेंस के माध्यम से संबोधित किया। उन्होंने कहा कि सरकार देश के अंतिम छोर के व्यक्ति को सशक्त करने के लिए अंत्योदय की भावना पर तेजी से काम कर रही है। प्रौद्योगिकी को जन कल्याणकारी बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि 45 करोड़ लोगों को बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराई गईं हैं और 13 करोड़ 50 लाख लोगों का बीमा कराया गया है। समावेश और प्रगति को आगे बढ़ाने में भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी को महत्वपूर्ण बताते हुए श्री मोदी ने प्रधानमंत्री गतिशक्ति मास्टर प्लान और डिजिटल महासागर प्लेटफॉर्म जैसे कार्यक्रमों के उदाहरण दिये। उन्होंने कहा कि भू-स्थानिक डेटा का संग्रह, उत्पादन और डिजिटलीकरण अब लोकतांत्रिक हो गया है।
इससे पहले, केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने संयुक्त राष्ट्र विश्व भू-स्थानिक अंतर्राष्ट्रीय कांग्रेस का उद्धाटन किया। उन्होंने सुझाव दिया कि उभरते भू-स्थानिक सूचना क्षेत्र में सभी हितधारकों को अनुसंधान को मजबूत करना चाहिए। श्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि इन प्रयासों में भारत महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भू-स्थानिक अर्थव्यवस्था अपनी तेज वृद्धि के कारण वर्ष 2025 तक 63 हजार करोड़ रुपये के आकड़े को पार कर जाएगी। उन्होंने कहा कि भारत ने कोविड की चुनौतियों से निपटने में भू-स्थानिक सूचनाओं का सर्वश्रेष्ठ उपयोग किया है।
संयुक्त राष्ट्र और विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष विभाग द्वारा आयोजित द्वितीय संयुक्त राष्ट्र विश्व भू-स्थानिक सूचना कांग्रेस में दो हजार से अधिक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। नीति निर्माताओं, वैज्ञानिकों और भू-स्थानिक सूचनाओं पर काम करने वाले स्टार्ट-अप्स और गैर सरकारी संगठनों को एक मंच प्रदान करने के लिए पांच दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। अगले चार दिन प्रौद्योगिकी के बेहतर उपयोग में आने वाली चुनौतियों और भविष्य की योजनाओं पर विचार-विमर्श किया जाएगा।
इससे पहले, डॉ जितेंद्र सिंह ने एक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया जिसमे भू-स्थानिक सूचना क्षेत्र में उभरती प्रौद्योगिकियों को प्रदर्शित किया गया है। नेशनल रिमोट सेंसिंग एजेंसी, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन जैसे सरकारी संगठनों के अलावा अन्य स्टार्ट-अप्स ने अपने उत्पाद और कार्यक्रम प्रदर्शित किये है।
सम्मेलन से अलग डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि भू-स्थानिक सूचनाओं से जमीनी स्तर पर पारदर्शिता आई है। उन्होंने बताया कि प्रशासनिक उद्देश्यों के लिए 45 लाख किलोमीटर से अधिक ग्रामीण राजमार्गों की मैपिंग की गई है, जलाशयों, हरित क्षेत्रों, भूखंडों और संरचनाओं की भी मैपिंग की गई है। श्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि 2 लाख से अधिक ग्राम पंचायतों के मानचित्रण से लोगों को कई प्रकार से लाभ होगा।