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WEB DESK

वॉशिंगटन — अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा ईरान के परमाणु संवर्धन केंद्रों पर सैन्य हमले के आदेश देने को लेकर शनिवार को अमेरिकी कांग्रेस के दोनों दलों के कई सांसदों ने इस कदम की वैधता पर गंभीर सवाल उठाए।

हालांकि रिपब्लिकन पार्टी के शीर्ष नेताओं और कई सदस्यों ने ट्रंप के इस फैसले का समर्थन किया, लेकिन कुछ रिपब्लिकन सांसदों ने भी डेमोक्रेट नेताओं के साथ मिलकर इसे अमेरिकी संविधान के खिलाफ बताया।

ओहायो से रिपब्लिकन सांसद वॉरेन डेविडसन, जो आम तौर पर ट्रंप के करीबी माने जाते हैं, ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “भले ही राष्ट्रपति ट्रंप का फैसला सही साबित हो, लेकिन इसे संविधान के अनुरूप ठहराना मुश्किल है। मैं उनके आज रात के संबोधन का इंतज़ार कर रहा हूँ।”

केंटकी से रिपब्लिकन सांसद थॉमस मैसी ने भी ट्रंप की घोषणा पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, “यह संविधान सम्मत नहीं है।” मैसी ने इसी सप्ताह एक द्विदलीय प्रस्ताव पेश किया था जिसमें मांग की गई कि ईरान के खिलाफ कोई भी सैन्य कार्रवाई तभी हो सकती है जब अमेरिकी कांग्रेस द्वारा युद्ध की स्पष्ट घोषणा या विशेष सैन्य कार्रवाई की अनुमति दी जाए।

शनिवार रात व्हाइट हाउस से अपने संक्षिप्त संबोधन में ट्रंप ने हमलों का बचाव किया, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि बिना कांग्रेस की अनुमति के उन्होंने यह कदम किस संवैधानिक अधिकार के तहत उठाया।

डेमोक्रेट पार्टी की तरफ से इस कार्रवाई की तीखी आलोचना हुई। वरमोंट से निर्दलीय सीनेटर बर्नी सैंडर्स ने ओक्लाहोमा के टुलसा शहर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए ट्रंप के फैसले को “घोर असंवैधानिक” बताया। सैंडर्स ने कहा, “अमेरिका को युद्ध में झोंकने का अधिकार केवल अमेरिकी कांग्रेस के पास है। राष्ट्रपति के पास यह अधिकार नहीं है।” उनकी बातों के दौरान भीड़ से “अब और युद्ध नहीं चाहिए!” के नारे गूंजने लगे।

न्यूयॉर्क से डेमोक्रेट सांसद एलेक्ज़ान्द्रिया ओकासियो-कोर्टेज़ ने तो इसे राष्ट्रपति के लिए महाभियोग की स्थिति तक बता दिया। उन्होंने लिखा, “कांग्रेस की अनुमति के बिना ईरान पर बमबारी का राष्ट्रपति का यह फैसला पूरी तरह असंवैधानिक और गंभीर संवैधानिक उल्लंघन है। उन्होंने अमेरिका को एक ऐसे युद्ध में झोंकने का खतरा पैदा कर दिया है जो पीढ़ियों तक हमें उलझाए रख सकता है।”

इस मुद्दे ने एक बार फिर अमेरिकी राष्ट्रपति के युद्ध संबंधी अधिकारों और कांग्रेस की भूमिका को लेकर पुरानी बहस को नए सिरे से तेज कर दिया है।

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