नई दिल्ली। उर्दू डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन और यूनाइटेड मुस्लिम ऑफ इंडिया की संयुक्त बैठक का आयोजन दरियागंज में किया गया जिसकी अध्यक्षता मौलाना बुरहान अहमद कासमी ने की है। इस मौके पर ख्वाजा अमीर खुसरो के जन्मदिवस को मानवता को प्रोत्साहित करने वाले दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया गया है।
बैठक में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए मौलाना ने कहा कि बिहार राज्य के कुछ उर्दू भाषी लोगों की तरफ से ख्वाजा अमीर खुसरो का जन्मदिवस उर्दू दिवस के रूप में मनाया जा रहा है जो सही नहीं है।उन्होंने कहा कि अमीर खुसरो के साथ सिर्फ उर्दू भाषा को जोड़ना उनके व्यक्तित्व के साथ नाइंसाफी है।वह कई भाषाओं के विद्वान थे और सबसे बड़ी बात यह कि उन्होंने भारतीय साहित्य, दर्शन, संस्कृति और सभ्यता को परवान चढ़ाने में अहम रोल अदा किया है।इसलिए उनके जन्मदिवस को मानवता को प्रोत्साहित करने वाले दिवस के रुप में मनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बिहार में उर्दू दिवस के रूप में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जोकि अच्छी बात है। लेकिन अमीर खुसरो को उर्दू से जोड़ना बहुत ही नाइंसाफी है।उन्होंने कहा कि बिहार के लोगों को वहां की सरकार के जरिए उर्दू की अनिवार्यता को खत्म किए जाने का फैसला किया गया है,किसकी लड़ाई लड़ने के लिए उन्हें अपनी कमर कसनी चाहिए।बिहार में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज गया है, वहां पर उर्दू भाषी लोगों को चाहिए कि वह वहां की वर्तमान सरकार और तमाम राजनीतिक दलों पर दबाव बनाए की बिहार में पहले से ही चली आ रही उर्दू विषय की अनिवार्यता को दोबारा से बहाल किया जाए और सरकारी आदेश को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाए। इस अवसर पर मौलाना एम रिजवान अख्तर कासमी,सालिक धामपुरी,हकीम अताउर्रहमान अजमली, हकीम सलाहुद्दीन, यूसुफ मलिक, शेख़ लियाकत अली मसूदी, इमरान कन्नोजी आदि ने भाग लिया।
