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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि भारत ने तपेदिक के विरूद्ध वैश्विक संघर्ष में कई नई पहल की हैं। आज वाराणसी में विश्व तपेदिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्री मोदी ने कहा कि सार्वजनिक भागीदारी की मजबूती के साथ सरकार के सतत प्रयास से देश में तपेदिक के मरीजों की संख्या में कमी आ रही है। तपेदिक के विरूद्ध संघर्ष में सरकार की उपलब्धियों के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि आज तपेदिक के इलाज की अस्सी प्रतिशत दवाईयां देश में ही बन रही हैं। प्रयोगशालाओं की संख्या बढाई गई है और मरीजों को आयुष्मान भारत योजना के दायरे में लाया गया है। श्री मोदी ने कहा कि कई कार्यक्रमों के अंतर्गत करीब 75 लाख तपेदिक मरीजों के खातों में दो हजार करोड से अधिक रुपये भेजे गए हैं।
इस अवसर पर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने बताया कि देश में प्रतिवर्ष 24 लाख लोगों में तपेदिक का पता चलता है और करीब 94 हजार लोगों की इस बीमारी से मृत्यु हो जाती है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान के बाद विदेशों में रह रहे बच्चों और भारतीयों सहित हजारों स्वयं सेवक नी-अक्षय मित्र बनने के लिए आगे आए हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि देश में बीस प्रतिशत तपेदिक मरीज उत्तर प्रदेश में रहते हैं और पिछले पांच वर्षों में करीब सोलह लाख नब्बे हजार मरीजों को वित्तीय सहायता के रूप में चार सौ बीस करोड से अधिक रुपये मिल चुके हैं।
कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने तपेदिक उन्मूलन की दिशा में प्रगति के लिए चुनिंदा राज्यों और जिलों को पुरस्कार प्रदान किए। श्री मोदी बाद में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय परिसर में एक हजार सात सौ अस्सी करोड रुपये से अधिक की कई परियोजनाओं की आधारशिला रखेंगे। कुछ प्रमुख विकास परियोजनाओं में वाराणसी कैंट स्टेशन से गोदौलिया तक यात्री रोपवे परियोजना, ईसारवर गांव में एलपीजी बोटलिंग संयंत्र, भेलूपुर जल उत्पादन परिसर में दो मेगावाट सौर ऊर्जा परियोजना और कोनिया पंपिंग स्टेशन पर आठ सौ किलोवाट की सौर ऊर्जा परियोजना शामिल हैं।