
‘शेपिंग हिस्ट्री, फीडिंग द फ्यूचर’ थीम के साथ आलू की विरासत, पोषण और खाद्य सुरक्षा में भूमिका को दी जा रही मान्यता
AMN / NEW DELHI
३० मई को दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय आलू दिवस मनाया गया।— एक ऐसा दिन जो हमारे रसोई घरों से लेकर खेतों तक की एक आम लेकिन अत्यंत महत्वपूर्ण फसल, आलू को समर्पित है। इस वर्ष का थीम है “Shaping History, Feeding the Future” (इतिहास को आकार देना, भविष्य को पोषण देना), जो आलू की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पोषण संबंधी महत्ता को रेखांकित करता है।
भारत, जहां ‘आलू’ लगभग हर घर का अहम हिस्सा है, इस वैश्विक आयोजन में गर्व के साथ शामिल हो रहा है। भारत आलू उत्पादन में दुनिया में दूसरे स्थान पर है, और वैश्विक खाद्य आपूर्ति में इसकी महत्वपूर्ण भागीदारी है। हमारे खेतों से लेकर थालियों तक, आलू भारतीय खानपान और कृषि व्यवस्था की रीढ़ बन चुका है।
एक ऐसी फसल जो स्वाद और संस्कृति दोनों में बसी है
करीब 7,000 साल पहले एंडीज पर्वत की तलहटी में पहली बार उगाया गया आलू आज पूरी दुनिया की रसोई का हिस्सा बन चुका है। भारत में आलू ने हर क्षेत्रीय व्यंजन में अपनी जगह बना ली है — चाहे वो पंजाबी आलू पराठा हो, बंगाली आलू पोस्टो, दक्षिण भारतीय मसाला डोसा या फिर चटपटी आलू टिक्की।
स्वाद ही नहीं, आलू पोषण का भी भंडार है। इसमें विटामिन, खनिज और कार्बोहाइड्रेट प्रचुर मात्रा में होते हैं, जिससे यह विशेष रूप से कम आय वाले समुदायों के लिए एक सुलभ और संतुलित आहार बनता है।
खाद्य सुरक्षा का मजबूत स्तंभ
आज जब जलवायु परिवर्तन और वैश्विक भूख जैसी समस्याएं चुनौती बनकर खड़ी हैं, आलू को “फसल का भविष्य” माना जा रहा है। यह कम पानी में भी उगता है, जल्दी तैयार होता है और विविध जलवायु में पनप सकता है — यानी एक भरोसेमंद और टिकाऊ खाद्य स्रोत।
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) ने आलू को सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (SDGs) को प्राप्त करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली फसल माना है।
भारत: उत्पादन में अग्रणी, नवाचार में सक्रिय

भारत हर साल 50 मिलियन टन से अधिक आलू का उत्पादन करता है, मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार और पंजाब जैसे राज्यों में। देश ने सेंट्रल पोटैटो रिसर्च इंस्टीट्यूट (CPRI) जैसे संस्थानों के माध्यम से अनुसंधान और नवाचार में भी काफी प्रगति की है, जिससे अधिक उपज देने वाली, रोग प्रतिरोधक और जलवायु-अनुकूल किस्में विकसित हो रही हैं।
रोज़गार और ग्रामीण अर्थव्यवस्था का आधार
भारत के लाखों छोटे और सीमांत किसान आलू की खेती से अपनी आजीविका चलाते हैं। यह फसल न केवल खेतों में, बल्कि प्रसंस्करण उद्योग, कोल्ड स्टोरेज, परिवहन, और स्ट्रीट फूड जैसे क्षेत्रों में भी रोज़गार पैदा करती है।
सरकार द्वारा कोल्ड स्टोरेज सुविधाएं, बेहतर बीज वितरण और बाज़ार तक पहुंच के लिए विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिससे किसानों को अच्छा लाभ मिल सके।
एक आम फसल, असाधारण योगदान
अंतरराष्ट्रीय आलू दिवस के मौके पर यह जरूरी है कि हम इस ‘आम’ लेकिन असाधारण फसल के महत्व को समझें। यह सिर्फ स्वाद और परंपरा की बात नहीं है — यह एक भविष्य की फसल है, जो दुनिया को भूख और कुपोषण से लड़ने में मदद कर सकती है।
आज जब आप किसी भी रूप में आलू का स्वाद लें — उबला, भुना, तला या मसालेदार — तो एक पल के लिए इस सादा-सी लगने वाली लेकिन बेहद महत्वपूर्ण फसल और हमारे किसानों के प्रति कृतज्ञता जरूर महसूस करें।
