सप्ताह के पहले कारोबारी दिन घरेलू शेयर बाजार में कमजोरी देखने को मिली। सोमवार को निवेशकों ने चौथी तिमाही के मिश्रित नतीजों, अमेरिका-भारत व्यापार वार्ता की अनिश्चितता और वैश्विक संकेतों के बीच मुनाफावसूली को तरजीह दी, जिससे प्रमुख सूचकांकों में जोरदार गिरावट दर्ज की गई।

बीएसई सेंसेक्स 572 अंक यानी 0.70% की गिरावट के साथ 80,891 पर बंद हुआ, जबकि एनएसई निफ्टी-50 156 अंक या 0.63% की गिरावट के साथ 24,681 पर आकर थमा। इन गिरावटों ने पिछले हफ्तों की स्थिरता को तोड़ते हुए बाजार में बढ़ती अनिश्चितता को उजागर कर दिया।

गिरावट का असर अधिकांश क्षेत्रों पर देखा गया, विशेष रूप से आईटी, मेटल, एफएमसीजी और बैंकिंग शेयरों में बिकवाली हावी रही। बाजार विश्लेषकों का मानना है कि कुछ दिग्गज कंपनियों के उम्मीद से कमजोर तिमाही नतीजों ने निवेशकों को निराश किया है, जिसके चलते सेंटीमेंट कमजोर रहा।

बीएसई मिडकैप इंडेक्स में भी 0.7% से अधिक की गिरावट आई, जबकि स्मॉलकैप इंडेक्स ने सबसे ज्यादा चोट झेली और इसमें 1.3% की गिरावट देखी गई। यह गिरावट छोटे निवेशकों की सतर्कता को दर्शाती है, जिन्होंने हाल के महीनों में इस श्रेणी को ऊपर तक पहुंचाया था।

इस बीच, अमेरिका के फेडरल रिजर्व की आगामी मौद्रिक नीति बैठक को लेकर भी बाजार में बेचैनी है। निवेशक यह जानने को उत्सुक हैं कि क्या फेड अब भी ब्याज दरों को ऊंचा बनाए रखेगा या नरमी के संकेत देगा। साथ ही, भारत-अमेरिका व्यापार समझौतों पर जारी अनिश्चितता ने भी बाजार में दबाव बढ़ाया है, खासकर निर्यात आधारित कंपनियों पर।

रुपया भी डॉलर के मुकाबले कमजोर रहा, जिससे आयात पर निर्भर क्षेत्रों जैसे तेल एवं गैस, एविएशन आदि पर अतिरिक्त दबाव बना। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FII) द्वारा लगातार निकासी से भी गिरावट को बल मिला।

विशेषज्ञों का मानना है कि निकट भविष्य में बाजार में उतार-चढ़ाव बना रहेगा। जब तक कॉरपोरेट नतीजों में कोई बड़ा पॉजिटिव ट्रिगर नहीं आता या वैश्विक स्तर पर स्पष्टता नहीं मिलती, तब तक निवेशक सतर्क रुख अपना सकते हैं।