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नई दिल्ली

संसद के बजट सत्र के तीसरे दिन सोमवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा हुई। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में कुछ भी नया नहीं था।

 हम बेरोजगारी की सार्वभौमिक समस्या से निपटने में सक्षम नहीं: राहुल गांधी

नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर अपनी बात रखते हुए कहा, “मैंने राष्ट्रपति का अभिभाषण सुना। मुझे कहना चाहिए कि मैंने राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान उस पर अपना ध्यान बनाए रखने के लिए संघर्ष किया, जो कहा जा रहा था, मैंने पहले भी लगभग यही अभिभाषण सुना है, यह वही चीजें हैं, जो सरकार ने की हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “यह राष्ट्रपति का वह अभिभाषण नहीं है, जिसकी मुझे उम्मीद थी। मेरे मन में सवाल आया कि ‘इंडिया गठबंधन’ की सरकार होती तो राष्ट्रपति का अभिभाषण कैसा होता। इस देश का भविष्य भारत के युवाओं द्वारा तय किया जाएगा। मुझे लगता है कि हम जो भी कहें, वह युवाओं को ध्यान में रखकर ही कहना चाहिए।

उन्होंने कहा, हमारे सामने सबसे पहली बात यह है कि भले ही हम आगे बढ़े हैं और आगे भी बढ़ रहे हैं, लेकिन हम बेरोजगारी की सार्वभौमिक समस्या से निपटने में सक्षम नहीं हैं। न तो यूपीए सरकार और न ही आज की एनडीए सरकार ने इस देश के युवाओं को रोजगार के बारे में कोई स्पष्ट जवाब दिया है।”

‘मैन्यूफैक्चरिंग’ 60 साल में निचले स्तर पर है: राहुल गांधी

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने ‘मेक इन इंडिया’ की जो बात की, वह एक अच्छा आइडिया है। परिणाम आपके सामने है, साल 2014 में विनिर्माण जीडीपी 15.3 फीसदी से गिरकर आज जीडीपी के 12.6 फीसदी पर आ गया है, जो 60 वर्षों में विनिर्माण का सबसे कम हिस्सा है। मैं प्रधानमंत्री को दोष नहीं दे रहा हूं, यह कहना उचित नहीं होगा कि उन्होंने प्रयास नहीं किया। मैं कह सकता हूं कि प्रयास किया, लेकिन वे असफल रहे हैं।”

राहुल गांधी ने लोकसभा में कहा, “लोग एआई के बारे में बात करते हैं, लेकिन यह समझना महत्वपूर्ण है कि एआई अपने आप में बिल्कुल निरर्थक है क्योंकि एआई डेटा के ऊपर काम करता है। डेटा के बिना एआई का मतलब कुछ भी नहीं है और अगर हम आज डेटा को देखते हैं, तो एक बात है जो बहुत स्पष्ट है। प्रत्येक डेटा का एक टुकड़ा जो विश्व में उत्पादन प्रणाली से बाहर आता है। इस डेटा का फोन को बनाने के लिए इस्तेमाल किया गया, जो कि इलेक्ट्रिक कारों को बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।”

उन्होंने आगे कहा, “आज धरती पर मूल रूप से सभी इलेक्ट्रॉनिक्स बनाने के लिए उपयोग किया जाने वाला डेटा चीन के स्वामित्व में है। जबकि, खपत डेटा संयुक्त राज्य अमेरिका के स्वामित्व में है। इस क्षेत्र में चीन, भारत से कम से कम 10 साल आगे है। चीन पिछले 10 सालों से बैटरी, रोबोट, मोटर, ऑप्टिक्स पर काम कर रहा है और हम पीछे हैं। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि हमारी बैंकिंग प्रणाली पर दो-तीन कंपनियों द्वारा कब्जा न की जाए, जो मूल रूप से आपको उत्पादन प्रणाली बनाने की अनुमति नहीं देती हैं।”

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा, “मुझे याद है कि चुनाव से पहले आप सभी (बीजेपी) ‘400 पार’ कह रहे थे और कह रहे थे कि आप इसे (संविधान का हवाला देते हुए) बदल देंगे। फिर मुझे यह देखकर खुशी हुई कि प्रधानमंत्री अंदर आए और फिर उन्हें संविधान के सामने अपना सिर झुकाने के लिए मजबूर होना पड़ा। यह सभी कांग्रेसियों के लिए गर्व का क्षण था। मुझे पता है कि आरएसएस ने इसे कभी स्वीकार नहीं किया। मोहन भागवत ने कहा है कि भारत को 1947 में आजादी नहीं मिली। उन्होंने कहा है कि यह निरर्थक है। हम आपके सपने को कभी पूरा नहीं होने देंगे। यह संविधान हमेशा भारत पर राज करने वाला है।”

राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव से पहले दो चुनाव आयुक्त लाए जाने पर भी सवाल उठाया और कहा कि कैलकुलेटेड रणनीति थी। चुनाव आयोग में हमें न्याय नहीं मिलेगा। उन्होंने भगवान शिव का जिक्र करते हुए कहा कि देश को पुरानी विरासत से जुड़े रहने की जरूरत है। आप सरदार पटेल का जिक्र करते हो लेकिन उनके मूल्यों को रोज कुचलते हो। आप भगवान बुद्ध की बात करते हो, लेकिन उनके मूल्यों को नहीं मानते।

राहुल गांधी ने चीन के भारतीय जमीन पर कब्जा करने का आरोप लगाते हुए कहा कि पीएम ने इसे खारिज किया लेकिन सेना ने कहा कि चार हजार स्क्वायर किलोमीटर जमीन पर चीन काबिज है। राहुल गांधी ने चीफ आर्मी स्टाफ के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि चीन हमारे देश की जमीन पर काबिज है। ये फैक्ट है। फैक्ट ये है कि वॉर इंडस्ट्रियल सिस्टम पर निर्भर है और इसमें वह हमसे आगे हैं और यही वजह है कि चीन हमारे यहां बैठा है और मेक इन इंडिया फेल रहा है।

राहुल गांधी ने लोकसभा में आरक्षण का भी मुद्दा उठाया। राहुल गांधी ने कहा, “हमने तेलंगाना में जाती आधारित जनगणना कराई है। वहां जो दिखा वे हैरान करने वाल है। तेलंगाना में लगभग 90% आबादी दलित, आदिवासी, पिछड़े और अल्पसंख्यकों की है और मुझे यकीन है कि पूरे देश में यही कहानी है। अगर हम इस देश के सबसे बड़े कॉरपोरेट्स को देखें, तो उनमें से कोई भी ओबीसी, दलित या आदिवासी के स्वामित्व में नहीं है। किसी भी नए विकास प्रतिमान के केंद्र में एक नए प्रतिमान की वास्तुकला होती है और नए प्रतिमान की वास्तुकला तभी बनाई जा सकती है जब जातिगत संवेदना को सामने रखा जाए।”

नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा कि लोकसभा चुनाव और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के बीच की कुछ महीनों की अवधि में ही राज्य में हिमाचल प्रदेश की आबादी के बराबर मतदाताओं की संख्या बढ़ गई और ऐसे में निर्वाचन आयोग को प्रदेश के विपक्षी दलों को मतदाता सूची से जुड़े आंकड़े उपलब्ध कराने चाहिए।

उन्होंने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए यह भी कहा कि वह आरोप नहीं लगा रहे हैं, लेकिन आयोग को इस पर जवाब देना चाहिए।

राहुल गांधी ने कहा, ‘‘मैं इस सदन का ध्यान महाराष्ट्र चुनाव से जुड़े कुछ डेटा की ओर खींचना चाहता हूं। लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव के बीच, हिमाचल प्रदेश की जनसंख्या के बराबर लोगों को महाराष्ट्र की मतदान सूची में जोड़ा गया। लगभग 70 लाख नए वोटर अचानक आ गए।’’

उनका कहना था कि महाराष्ट्र में जितने वोटर पांच साल में नहीं जुड़े, उससे ज्यादा वोटर पांच महीने में जुड़ गए।

राहुल गांधी ने दावा किया, ‘‘शिरडी की एक इमारत में 7,000 वोटर जोड़े गए…दिलचस्प बात यह है कि नए मतदाता ज्यादातर उन निर्वाचन क्षेत्रों में जुड़े जहां भाजपा को बढ़त मिली।’’

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘मैं आरोप नहीं लगा रहा हूं। बस यह कह रहा हूं कि निर्वाचन आयोग को महाराष्ट्र चुनाव का डेटा कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (एसपी) को उपलब्ध कराना चाहिए।’’

इससे पहले कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने निर्वाचन आयोग से ‘मतदाताओं की संख्या’ में बढ़ोतरी को लेकर जवाब मांगा था।

कांग्रेस ने पहले दावा किया था कि पांच महीने की अवधि में महाराष्ट्र में आश्चर्यजनक ढंग से 50 लाख से अधिक मतदाता बढ़ गए।

निर्वाचन आयोग ने बीते दिसंबर में कहा था कि राज्य में मतदाताओं के नाम न तो मनमाने ढंग से जोड़े गए हैं और न ही हटाए गए हैं।

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