
AMN / नई दिल्ली
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन भारत के 15वें उपराष्ट्रपति चुने गए। उन्होंने विपक्षी गठबंधन INDIA ब्लॉक के प्रत्याशी और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी सुधर्शन रेड्डी को हराया।
परिणाम और मतदान
चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के बाद राज्यसभा के महासचिव एवं रिटर्निंग ऑफिसर पीसी मोदी ने राधाकृष्णन की जीत की घोषणा की। एनडीए प्रत्याशी को 452 वोट मिले, जबकि सुधर्शन रेड्डी को 300 वोट प्राप्त हुए। परिणाम को औपचारिक रूप से भारत निर्वाचन आयोग को भेजा जाएगा।
उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए कुल 781 सांसदों का निर्वाचन मंडल बनाया गया था, जिसमें लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य शामिल थे। मतदान सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक चला। कांग्रेस के अनुसार विपक्ष के लगभग 315 सांसदों ने मतदान किया।
उम्मीदवारों का परिचय
एनडीए ने 17 अगस्त को सीपी राधाकृष्णन को उम्मीदवार घोषित किया था। राधाकृष्णन इस समय महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं और तमिलनाडु की ओबीसी जाति गोंडर–कोंगु वेलालर समुदाय से आते हैं। वे दो बार कोयंबटूर से लोकसभा सांसद रह चुके हैं और भारतीय जनता पार्टी की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष भी रहे हैं। उनकी उम्मीदवारी को एनडीए की उस रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है जिसका उद्देश्य दक्षिण भारत और पिछड़े वर्गों में राजनीतिक आधार मजबूत करना है।
वहीं, विपक्ष ने बी सुधर्शन रेड्डी को प्रत्याशी बनाया था। वे तेलंगाना से ताल्लुक रखने वाले सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश हैं। विपक्ष ने उनकी उम्मीदवारी को संवैधानिक गरिमा और न्यायिक अनुभव का प्रतीक बताया।
राजनीतिक पृष्ठभूमि
राधाकृष्णन की जीत के साथ एनडीए ने एक और संवैधानिक पद पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली है। मौजूदा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के बाद राधाकृष्णन की नियुक्ति से राज्यसभा में सरकार का प्रभाव और अधिक गहरा होगा।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राधाकृष्णन की उम्मीदवारी दरअसल दक्षिण भारत में एनडीए की रणनीति का हिस्सा थी, जहाँ बीजेपी को अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाई है। ओबीसी पृष्ठभूमि से आने वाले राधाकृष्णन की जीत यह संदेश भी देती है कि सत्ता पक्ष सामाजिक न्याय और पिछड़े वर्गों की प्रतिनिधित्व को प्राथमिकता देना चाहता है।
विपक्षी INDIA ब्लॉक के लिए यह चुनाव अधिकतर प्रतीकात्मक लड़ाई थी। सुधर्शन रेड्डी की छवि और अनुभव का सम्मान विपक्ष ने अवश्य पेश किया, लेकिन संसदीय गणित की कमी के चलते वे वास्तविक चुनौती नहीं दे सके। फिर भी, इस प्रक्रिया के ज़रिए विपक्ष ने लोकतांत्रिक विविधता और एकजुटता का संदेश देने का प्रयास किया।
आगे की राह
नए उपराष्ट्रपति के तौर पर सीपी राधाकृष्णन अब राज्यसभा के सभापति भी होंगे। मौजूदा राजनीतिक माहौल में, जहाँ सरकार के सुधारात्मक एजेंडे और विपक्ष के दबाव में टकराव बढ़ सकता है, वहाँ उनकी निष्पक्षता और संसदीय संचालन क्षमता पर सबकी नज़र रहेगी।
राधाकृष्णन की यह जीत न केवल एनडीए की राजनीतिक बढ़त को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि भारतीय राजनीति में क्षेत्रीय और सामाजिक प्रतिनिधित्व अब केंद्रीय मुद्दा बन चुका है।
