मोदी, खड़गे, तेजस्वी और लालू ने संभाला अंतिम मोर्चा

पटना से हमारे संवाददाता

बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान से पहले राज्य की सियासी सरगर्मी अपने चरम पर पहुँच गई है। जैसे-जैसे प्रचार की समय सीमा समाप्त होने को है, सत्ता पक्ष एनडीए और विपक्षी महागठबंधन—दोनों के बड़े नेता और स्टार प्रचारक पूरे राज्य में जनसभाएं और रोड शो कर मतदाताओं को लुभाने में जुटे हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सहरसा और कटिहार में विशाल जनसभाओं को संबोधित करते हुए विपक्षी महागठबंधन पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि “महागठबंधन असंगत विचारधाराओं का गठजोड़ है, जिसे जनता भलीभांति पहचान चुकी है।” प्रधानमंत्री ने दावा किया कि कांग्रेस कभी भी तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनने नहीं देगी, और कहा कि आरजेडी का अतीत भ्रष्टाचार और कुशासन से जुड़ा रहा है। उन्होंने कहा, “बिहार की जनता जंगलराज और घोटालों के दिन नहीं भूल सकती। एनडीए ही विकास, स्थिरता और आत्मनिर्भरता की गारंटी है।”

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शिवहर और सीतामढ़ी में जनसभाएं कर केंद्र सरकार की योजनाओं और राज्य के बाढ़ समस्या के समाधान पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि कोसी–मेची परियोजना किसानों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराएगी और कृषि उत्पादन में वृद्धि करेगी। शाह ने कहा, “मोदी सरकार गरीबों के कल्याण के लिए समर्पित है—प्रधानमंत्री आवास योजना, मुफ्त अनाज और आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं ने करोड़ों परिवारों को राहत दी है।”

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी कई सभाओं में विपक्ष को निशाने पर लिया और कहा कि “आरजेडी-कांग्रेस की सरकारों ने बिहार को अपराध और भय का अड्डा बना दिया था। एनडीए सरकार ने कानून-व्यवस्था बहाल की और राज्य को विकास के रास्ते पर लाया।”

वहीं महागठबंधन की ओर से कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, आरजेडी नेता तेजस्वी प्रसाद यादव, आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने आज कई रैलियों में शक्ति प्रदर्शन किया।

मल्लिकार्जुन खड़गे ने वैशाली जिले के राजापाकर में सभा को संबोधित करते हुए कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बताना चाहिए कि उनके 11 और 20 साल के शासन में कितने युवाओं को रोजगार मिला? बिहार के नौजवानों से किए वादे कहाँ गए?”

प्रियंका गांधी वाड्रा ने सहरसा की रैली में केंद्र सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा कि “एनडीए सरकार संविधान और लोकतंत्र को कमजोर करने की कोशिश कर रही है। अब वक्त है कि जनता संविधान की रक्षा करे और देश को नए रास्ते पर ले जाए।”

तेजस्वी प्रसाद यादव ने पटना जिले के फतुहा में ऐलान किया कि यदि महागठबंधन की सरकार बनती है तो राज्य के हर परिवार से एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि “यह चुनाव रोजगार, शिक्षा और समानता के लिए नई पीढ़ी का संघर्ष है।”

लालू प्रसाद यादव ने पटना में रोड शो कर अपने पारंपरिक समर्थक वर्ग को एकजुट करने का प्रयास किया। उनका रोड शो जनसैलाब में तब्दील हो गया, जिससे कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा देखने को मिली। इसी क्रम में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी महागठबंधन के समर्थन में रैलियां कीं और कहा कि “यह बदलाव का चुनाव है—ऐसा बदलाव जो गरीबों और पिछड़ों को न्याय और अवसर दिलाए।”

कल शाम पहले चरण के प्रचार का शोर थम जाएगा। पहले चरण में 12 जिलों की 94 विधानसभा सीटों पर मतदान होगा। इन क्षेत्रों में मतदाताओं का रुझान, स्थानीय मुद्दे और जातीय समीकरण परिणाम तय करने में अहम भूमिका निभाएंगे।

सभी राजनीतिक दल अब मतदाताओं से अंतिम अपील कर रहे हैं—कहीं विकास के नाम पर तो कहीं बदलाव के नारे के साथ। बिहार का यह चुनाव न सिर्फ राज्य की दिशा तय करेगा, बल्कि आने वाले राजनीतिक समीकरणों की झलक भी पेश करेगा।