AMN / नई दिल्ली

कांग्रेस ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के खिलाफ याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि शीर्ष अदालत ने स्पष्ट, मजबूत और साहसिक तरीके से संविधान की रक्षा की है। लड़ाई जारी रहेगी, हम जनता के वोट का अधिकार छिनने नहीं देंगे।

मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने यह भी कहा कि यह फैसला आशा की एक किरण भी है। साथ ही कांग्रेस ने कहा कि अब चुनाव आयोग की धांधली खुलकर सामने आएगी। एसआईआर के नाम पर जो वोट चोरी का खेल किया गया है, उसकी सारी पोल खुल जाएगी।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट में लिखा, ‘‘करोड़ों जागरूक नागरिकों, कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी के अभियान को उच्चतम न्यायालय के हस्तक्षेप से पहली सफलता मिली है। निर्वाचन आयोग के इस तर्क को कि आधार व मतदाता कार्ड मतदान के लिए मान्य नहीं है, उसे एसआईआर के केस में उन 65 लाख लोगों के लिए अब माननीय उच्चतम न्यायालय ने मान्यता दे दी है।’’

खड़गे के अनुसार, बिहार में एसआईआर के दौरान जो 65 लाख लोग मतदाता सूची से बाहर हुए हैं, उनका डेटा अब चुनाव आयोग को सार्वजनिक करना पड़ेगा जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी। उन्होंने कहा, ‘‘हम जनहित में दिए गए माननीय उच्चतम न्यायालय के फ़ैसले का स्वागत करते हैं। लड़ाई जारी रहेगी, हम जनता के “वोट का अधिकार” छिनने नहीं देंगे।’’

वहीं, कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने भारत के संविधान को स्पष्ट, मजबूत और साहसिक तरीके से बरकरार रखा है। यह प्रधानमंत्री और उनके समर्थकों की चालों से हमारे गणराज्य को बचाने की एक लंबी लड़ाई है, लेकिन बिहार एसआईआर मुद्दे पर आज का उच्चतम न्यायालय का फैसला उम्मीद की एक किरण है।’’ उन्होंने कहा कि यह एक पहला लेकिन बहुत बड़ा कदम है।

गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को बिहार के विशेष गहन पुनरीक्षण मामले में निर्वाचन आयोग को एसआईआर के बाद मसौदा मतदाता सूची से हटाए गए 65 लाख मतदाताओं की पहचान 19 अगस्त तक उजागर करने और 22 अगस्त तक अनुपालन रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है। साथ ही कोर्ट ने आयोग को प्रक्रिया में आधार को मान्यता देने का भी निर्देश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने एसआईआर में बीजेपी की साजिश का किया पर्दाफाश: तेजस्वी यादव

पटना – बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर सुप्रीम कोर्ट के ताज़ा आदेश ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता और बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने इस आदेश को बीजेपी और उसके सहयोगियों की “मताधिकार छीनने की साजिश” पर करारा प्रहार बताया है।

तेजस्वी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश विपक्ष के लगातार संघर्ष का परिणाम है, जिसने यह साफ कर दिया कि बिहार में मतदाताओं के नाम काटने और मतदाता सूची में गड़बड़ी की प्रक्रिया में पारदर्शिता लानी होगी। उन्होंने ‘इंडिया’ गठबंधन के नेताओं—राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, ममता बनर्जी, हेमंत सोरेन और शरद पवार—का आभार जताते हुए कहा कि यह “लोकतंत्र की जीत” है।

अदालत के अहम निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को आदेश दिया है कि:

  1. 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाने के कारण बूथ स्तर पर सार्वजनिक किए जाएं।
  2. आधार कार्ड को मान्यता दी जाए।
  3. लोगों को प्रक्रिया की जानकारी देने के लिए विज्ञापन जारी किए जाएं।

तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि एसआईआर के बहाने बीजेपी चुनावी धांधली कर रही है और निर्वाचन आयोग “बीजेपी की बी टीम” की तरह काम कर रहा है। उन्होंने दावा किया कि एनडीए के कई बड़े नेताओं, सांसदों, विधायकों और यहां तक कि मंत्रियों के पास भी अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों में एक से अधिक एपिक आईडी हैं।

उन्होंने पहले भी जेडीयू के एमएलसी दिनेश सिंह और उनकी पत्नी व सांसद वीणा देवी के पास दो-दो अलग मतदाता पहचान पत्र होने का आरोप लगाया था। इस पर निर्वाचन पदाधिकारी ने दोनों को नोटिस जारी कर 16 अगस्त तक जवाब मांगा है।

तेजस्वी ने कहा, “हम एसआईआर के खिलाफ नहीं थे, बल्कि उस गुप्त प्रक्रिया और डाटा छिपाने के खिलाफ थे, जिसे आयोग लागू कर रहा था। अब अदालत ने हमारी मांगों को मानते हुए पारदर्शिता सुनिश्चित की है, और यह जनता की जीत है।”