ASHU SAXENA / NEW DELHI
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को निरस्त करने और उसकी जगह ‘विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) विधेयक, 2025’ लाने के केंद्र सरकार के प्रस्ताव के खिलाफ राजनीतिक हलकों में नाराजगी बढ़ती जा रही है।
इसी कड़ी में आरजेडी के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने गुरुवार को सभी सांसदों को एक विस्तृत पत्र लिखकर इस कदम का विरोध करते हुए इसे गरीबों के हितों पर कुठाराघात बताया है।
मनोज झा ने मनरेगा को लेकर राज्यसभा सांसदों को लिखा पत्र
मनोज झा ने अपने पत्र की शुरुआत गांधीजी के ‘ताबीज’ की याद दिलाते हुए की। उन्होंने लिखा कि हममें से कई लोगों को अपनी स्कूल की किताबों का पहला पन्ना याद होगा, जिस पर गांधीजी का ताबीज छपा था। उन्होंने हमसे कहा था कि हम उस सबसे गरीब और कमजोर इंसान का चेहरा याद रखें जिसे हमने देखा है और खुद से पूछें कि जो काम हम करने वाले हैं, क्या वह उस इंसान के लिए फायदेमंद होगा?
क्या इससे उसे अपनी जिंदगी पर दोबारा कंट्रोल मिल पाएगा? उनका मानना था कि अगर हमारा काम इस कसौटी पर खरा उतरता है, तो सारे शक दूर हो जाएंगे। वह ताबीज पब्लिक लाइफ के हर फैसले में गाइड करने के लिए था। मैं आज आपको उसी सिद्धांत को ध्यान में रखकर लिख रहा हूं।
उन्होंने कहा कि 15 दिसंबर को सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम को खत्म करने और उसकी जगह विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) बिल, 2025 लाने के लिए एक बिल पेश किया, जबकि लोकसभा में देर रात तक इस पर चर्चा हुई। मैं आपसे हमारे सदन में इस कदम का विरोध करने का आग्रह करता हूं।
मनोज झा ने कहा कि यह अपील किसी पार्टी के पक्ष में नहीं है। मनरेगा 2005 में सभी प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के समर्थन से लागू किया गया था। तब सदन ने एक साझा संवैधानिक ज़िम्मेदारी को माना था कि सम्मान के साथ काम करने का अधिकार हमारे लोकतंत्र का एक जरूरी हिस्सा है। संविधान का अनुच्छेद 41 राज्य को काम के अधिकार को सुरक्षित करने और बेरोज़गारी और ज़रूरतमंदों को पब्लिक मदद देने का निर्देश देता है। मनरेगा ने इस निर्देश को एक कानूनी गारंटी में बदल दिया। प्रस्तावित बिल उस गारंटी को खत्म कर देता है।
‘मोदी सरकार का दावा गुमराह करने वाला’
उन्होंने कहा कि सरकार का दावा है कि नया फ्रेमवर्क 100 दिनों के बजाय 125 दिनों का काम देगा। यह दावा गुमराह करने वाला है। मनरेगा, जो डिमांड पर आधारित था, उसके उलट नया बिल रोजगार को केंद्र सरकार के फंड और प्रशासनिक फैसलों पर निर्भर बनाता है। इसका कवरेज अब यूनिवर्सल नहीं है, बल्कि केंद्र सरकार द्वारा नोटिफाइड इलाकों तक ही सीमित है। ऐसे समय में जब मनरेगा मजदूरों को भी अपर्याप्त फंडिंग के कारण सालाना सिर्फ 50-55 दिन का काम मिलता था, बिना पक्के संसाधनों के अतिरिक्त दिनों का वादा भरोसेमंद नहीं है। इसके अलावा, प्रस्तावित लागत-बंटवारे की व्यवस्था, जिसमें राज्यों को 40 प्रतिशत खर्च उठाना होगा, कई राज्यों पर एक असहनीय बोझ डालेगी, जिससे लोगों को बाहर किया जाएगा और काम कम होगा।
आरजेडी सांसद ने कहा कि मनरेगा में कमियां हैं, लेकिन वे लागू करने में नाकामियों के कारण हैं, न कि कानून की वजह से। दो दशकों से ज्यादा समय में इसने मुश्किल समय में जरूरी मदद दी है, वर्कफोर्स में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाई है और काम को एक अधिकार के तौर पर, न कि एहसान के तौर पर, मानने के सिद्धांत को बनाए रखा है। इसे मजबूत किया जा सकता था और किया जाना चाहिए था। बिना सलाह-मशविरे या सहमति के इसे खत्म करना सुधार नहीं है, यह संवैधानिक जिम्मेदारी से पीछे हटना है।
आरजेडी सांसद ने आगे कहा कि मैं आपसे अपील करता हूं कि लोकतांत्रिक सहमति और नैतिक स्पष्टता से बने इस कानून का बचाव करें। आइए, हम इस सिद्धांत पर कायम रहें कि हर हाथ को काम मिलना चाहिए और हर मजदूर को सम्मान मिलना चाहिए। हमारे देश के सबसे गरीब नागरिक हमारे फैसलों को देख रहे हैं।
विकसित भारत – ग्राम कल्याण विधेयक 2025 पर आज सदन में जवाब देंगे केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान
केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान आज सदन में विकसित भारत- रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) की गारंटी: विकसित भारत – ग्राम कल्याण विधेयक 2025 पर चर्चा का जवाब देंगे। लोकसभा में कल देर रात तक इस विधेयक पर चर्चा पूरी होने तक बैठक जारी रही।
नया अधिनियम बीस साल पुराने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 का स्थान लेगा। विधेयक का उद्देश्य वर्ष 2047 तक विकसित भारत की राष्ट्रीय भविष्य योजना के अनुरूप ग्रामीण विकास ढांचा स्थापित करना है। योजना के तहत श्रमिकों को दी जाने वाली राशि के लिए केंद्र सरकार 60 प्रतिशत और राज्य सरकार 40 प्रतिशत का योगदान देगी। पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों में यह अनुपात 90 और 10 प्रतिशत का होगा।
राज्य सरकार बेरोजगारी भत्ता और मुआवजा देना जारी रखेगी। इस विधेयक में लेन-देन के लिए बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण, योजना और निगरानी के लिए भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी, वास्तविक समय निर्धारण के लिए मोबाइल एप्लिकेशन-आधारित डैशबोर्ड और साप्ताहिक सार्वजनिक प्रकटीकरण प्रणालियों का प्रावधान किया गया है। इसके अंतर्गत सभी कार्यों को विकसित भारत राष्ट्रीय ग्रामीण अवसंरचना में शामिल किया जाएगा, जिससे ग्रामीण क्षेत्र में सार्वजनिक कार्यों के लिए एकीकृत राष्ट्रीय ढांचा तैयार होगा।
जल संबंधी कार्यों, मुख्य ग्रामीण अवसंरचना, आजीविका संबंधित अवसंरचना और मौसम की विषम स्थिति के प्रभाव कम करने और आपदा तैयारियों के उद्देश्य से विशेष कार्यों के माध्यम से जल सुरक्षा को विषयगत प्राथमिकता दी जाएगी। इस दृष्टिकोण से देश भर में उत्पादक, संवहनीय, परिस्थिति अनुकूल और परिवर्तनकारी ग्रामीण परिसंपत्तियों का निर्माण सुनिश्चित होगा।
लोकसभा में विकसित भारत-जी राम जी विधेयक पेश करते हुए कृषि और किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि यह विधेयक गांवों में विकास सुनिश्चित करेगा। उन्होंने कहा कि विधेयक में रोजगार के दिनों की गारंटी 100 से बढ़ाकर 125 दिन करने का प्रस्ताव है। श्री चौहान ने कहा कि यह विधेयक महात्मा गांधी के आत्मनिर्भर, विकसित और निर्धनता मुक्त गांवों के निर्माण के दृष्टिकोण को पूरा करेगा।
चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस सांसद जय प्रकाश ने कहा कि यूपीए सरकार के दौरान जब राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी विधेयक संसद में पेश किया गया था, तब भारतीय जनता पार्टी ने इसका विरोध किया था। उन्होंने कहा कि तत्कालीन कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार ने सभी दलों की सहमति और उनके सुझावों को ध्यान में रखते हुए विधेयक पारित किया था। उन्होंने खाद्यान्न के न्यूनतम समर्थन मूल्य-एमएसपी पर सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार रोजगार गारंटी के लिए कानून लाई थी, लेकिन एनडीए सरकार ने एमएसपी की कानूनी गारंटी सुनिश्चित करने का कोई विधेयक पारित नहीं किया है।
भाजपा के बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि महात्मा गांधी के स्वप्न को साकार करने के लिए विकसित भारत – रोजगार एवं आजीविका मिशन (ग्रामीण)-जी राम जी विधेयक लाया गया है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक रोजगार की वैधानिक गारंटी सुनिश्चित करेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी विधेयक के जरिए भ्रष्टाचार किया। अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं ने भी चर्चा में भाग लिया।
