प्रवीण कुमार

भारत से अमेरिका भेजे जाने वाले उत्पादों पर 27 अगस्त 2025 से 50 प्रतिशत टैरिफ का सफर लागू हो गया है। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की रिपोर्ट पर भरोसा करें तो ट्रम्प प्रशासन का यह नया टैरिफ भारत के लगभग 5.4 लाख करोड़ के निर्यात को प्रभावित कर सकता है।

भारत दुनिया भर में कुल 38 लाख करोड़ के उत्पाद निर्यात करता है। इसमें 20 प्रतिशत से अधिक के उत्पाद सिर्फ अमेरिका में बिकते हैं। केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, भारत पर 50 प्रतिशत अमेरिकी टैरिफ लगने के बाद करीब 4.22 लाख करोड़ रुपए से अधिक का भारतीय निर्यात प्रभावित होगा क्योंकि भारत के कुल निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी करीब 7.59 लाख करोड़ रुपये का है।

एक अनुमान के मुताबिक, 50 प्रतिशत के ट्रम्प टैरिफ से अमेरिका में बिकने वाले मशीनरी और कलपुर्जे, कपड़े, जेम्स-ज्वेलरी, फर्नीचर, सी-फूड जैसे भारतीय उत्पाद महंगे हो जाएंगे। इससे इनकी मांग में 70 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है और चीन, वियतनाम और मेक्सिको जैसे कम टैरिफ वाले देश इन्हीं उत्पादों को अमेरिका में सस्ते दाम पर बेच सकेंगे।

भारत सरकार की आधिकारिक वेबसाइट niryat.gov.in पर जो जानकारी उपलब्ध है उसके मुताबिक, वित्त वर्ष 2024-25 के आंकड़ों से हम इस बात को समझ सकते हैं कि आखिर भारत किन प्रोडक्ट्स के निर्यात के लिए अमेरिका पर निर्भर हैं और अगर अमेरिका में ये प्रोडक्ट्स नहीं बिकते हैं तो फिर भारत के पास क्या विकल्प हैं?

भारत के मशीनरी और कुलपुर्जों के कुल निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी 16.43 प्रतिशत (1.68 लाख करोड़) है जो अन्य देशों के मुकाबले सबसे ज्यादा है। टॉप-5 देशों की बात करें तो 7.1 प्रतिशत के साथ यूएई दूसरे नंबर पर, 4.89 प्रतिशत के साथ सऊदी अरब तीसरे नंबर पर, 3.81 प्रतिशत के साथ सिंगापुर चौथे और 3.62 प्रतिशत के साथ जर्मनी पांचवें नंबर है। इस सिग्मेंट में कुल निर्यात की बात करें तो यह करीब 10.22 लाख करोड़ है जो भारत के निर्यात का सबसे बड़ा हिस्सा है।

पेट्रोलियम उत्पाद के कुल निर्यात की बात करें तो इसमें अमेरिका पर भारत की निर्यात निर्भरता 7 प्रतिशत के करीब है, जबकि कुल निर्यात 5.27 लाख करोड़ की है। इसमें 22.01 प्रतिशत के साथ नीदरलैंड पहले नंबर पर है जबकि 10.62 प्रतिशत के साथ यूएई दूसरे, 8.34 प्रतिशत के साथ सिंगापुर तीसरे, 7.40 प्रतिशत के साथ ऑस्ट्रेलिया चौथे और 6.83 प्रतिशत के साथ अमेरिका पांचवें नंबर पर है।

इलेक्ट्रॉनिक गुड्स के कुल निर्यात की बात करें तो अमेरिका पर निर्यात निर्भरता 37.86 प्रतिशत है। टॉप-5 देशों की बात करें तो 9.46 प्रतिशत के साथ दूसरे नंबर पर यूएई, 7.39 प्रतिशत के साथ नीदरलैंड तीसरे, 4.73 प्रतिशत के साथ यूके चौथे और 3.84 प्रतिशत के साथ इटली पांचवें नंबर पर है। इस सिग्मेंट में भारत 3.38 लाख करोड़ का निर्यात करता है।

भारत के ड्रग्स एंड फार्मास्युटिकल्स के कुल निर्यात की बात करें तो इसमें अमेरिका की हिस्सेदारी 34.58 प्रतिशत है। टॉप-5 देशों पर निर्यात निर्भरता की बात करें तो यूके को 3 प्रतिशत, ब्राजील को 2.25 प्रतिशत, फ्रांस को 2.25 प्रतिशत और साउथ अमेरिका को 1.87 प्रतिशत निर्यात किया जाता है। इस सिग्मेंट में कुल निर्यात की बात करें तो यह करीब 2.66 लाख करोड़ का है।

भारत के जेम्स एंड ज्वेलरी के कुल निर्यात की अमेरिका पर 33.33 प्रतिशत की निर्भरता बताई गई है। 26.05 प्रतिशत के साथ दूसरे नंबर पर यूएई, 15.32 प्रतिशत के साथ हांगकांग तीसरे नंबर पर, 5.36 प्रतिशत के साथ बेल्जियम चौथे और 3.06 प्रतिशत के साथ यूके पांचवें नंबर का देश है जहां भारत का माल निर्यात होता है। कुल निर्यात की बात करें तो यह करीब 2.61 लाख करोड़ का है।

ट्रम्प की टैरिफ का भारत पर क्या असर पड़ेगा?

CNBC की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत से अमेरिका को सबसे ज्यादा ज्वेलरी, कपड़े, मशीनरी और केमिकल एक्सपोर्ट किए जाते हैं। 50 प्रतिशत टैरिफ से अमेरिका में ये चीजें महंगी हो जाएंगी और वहां से ऑर्डर मिलने कम हो जाएंगे। ऑर्डर कम होने से कंपनियों को अपना उत्पादन घटाना पड़ेगा, लिहाजा इन सेक्टरों में छंटनी हो सकती है, नौकरियां जाने का खतरा बढ़ सकता है।

ट्रम्प टैरिफ का दूसरा साइड इफैक्ट यह होगा कि इससे सरकार की कमाई और जीडीपी दोनों घटेगी। निश्चित तौर पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगने से अमेरिका को होने वाला निर्यात कम होगा जिससे सरकार को निर्यात से होने वाली कमाई में कमी आएगी। विशेषज्ञों की मानें तो इससे भारत की जीडीपी ग्रोथ 0.2 प्रतिशत से 0.6 प्रतिशत तक कम हो सकती है।

अमेरिकी निर्भरता कम करना बड़ी चुनौती?

भारत की सरकार को अमेरिका पर निर्भरता कम करने के लिए यूरोप, रूस या अन्य देशों में व्यापार को बढ़ाना होगा। यह एक बड़ी चुनौती होगी। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की बात करें तो उसके मुताबिक, ट्रम्प के टैरिफ हमले के बाद भारत के वाणिज्य मंत्रालय ने लगभग 50 देशों के लिए नई निर्यात रणनीति बनाई है। इसके तहत भारत अब चीन, मिडिल ईस्ट और अफ्रीका के बाजारों पर फोकस करेगा।

मालूम हो कि आइसलैंड, लिकटेंस्टीन, नॉर्वे और स्विट्जरलैंड के साथ भारत पहले ही व्यापार समझौता कर चुका है जो आगामी 1 अक्टूबर से लागू होगी। ब्रिटेन के साथ डील अगले साल यानी अप्रैल-2026 से लागू हो सकती है। ओमान, चिली, पेरू, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और यूरोपीय संघ से बातचीत निरंतर जारी है।

इसके अलावा भारत सी-फूड के लिए रूस, यूके, यूरोपीय यूनियन, नॉर्वे, स्विट्जरलैंड और दक्षिण कोरिया पर फोकस कर रहा है। वहीं हीरे और आभूषण के लिए वियतनाम, थाईलैंड, मलेशिया और अफ्रीका जैसे बाजारों की ओर रुख कर रहा है।

कुल मिलाकर देखें तो सबसे पहले निर्यात का जो सबसे बड़ा सिग्मेट मशीनरी कुलपुर्जे को है जो करीब 10 लाख करोड़ से ऊपर का है और उसमें अमेरिका की 1.68 लाख करोड़ की जो बड़ी हिस्सेदारी है उससे निजात पाना होगा। हालांकि भारत की चुनौतियां यहीं खत्म नहीं होने वाली क्योंकि ट्रम्प की नजर उन तमाम देशों पर होगी जिससे भारत या तो ट्रेड डील कर चुका है या फिर करने की योजना बना रहा है।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)