
पेरिस, 22 जुलाई 2025
यूनेस्को ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस निर्णय पर गहरा खेद जताया है, जिसके तहत संयुक्त राज्य अमेरिका दिसंबर 2026 के अंत तक यूनेस्को से दोबारा हट जाएगा। यह निर्णय बहुपक्षीयता की मूल भावना के खिलाफ है और विशेष रूप से उन अमेरिकी साझेदारों को प्रभावित कर सकता है, जो वर्ल्ड हेरिटेज सूची में स्थलों के नामांकन, क्रिएटिव सिटी स्टेटस और यूनिवर्सिटी चेयर्स के लिए प्रयासरत हैं।
यूनेस्को की महानिदेशक ने कहा कि यह फैसला अपेक्षित था और संगठन ने पहले ही इसके लिए तैयारी कर रखी थी। 2018 के बाद से यूनेस्को ने बड़े पैमाने पर संरचनात्मक सुधार किए हैं और अपने वित्तीय स्रोतों में विविधता लाई है। अब अमेरिका का योगदान यूनेस्को की कुल बजट का केवल 8% है, जबकि पहले यह 40% तक था। इसके बावजूद संगठन की कुल बजट में वृद्धि हुई है और उसे सदस्य देशों और निजी दानदाताओं से स्थिर समर्थन मिला है। इन दानदाताओं की स्वैच्छिक सहायता 2018 के बाद दोगुनी हो चुकी है।
यूनेस्को की ओर से यह भी स्पष्ट किया गया है कि इस समय संगठन में किसी छंटनी की योजना नहीं है। 2017 में राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा पहली बार यूनेस्को से हटने के बाद भी, संगठन ने शांति और सांस्कृतिक पुनर्निर्माण के क्षेत्र में अपने कार्यों को और तेज किया। मूसुल शहर के पुनर्निर्माण, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की एथिक्स पर वैश्विक दिशानिर्देश, और यूक्रेन, लेबनान तथा यमन जैसे संघर्ष-ग्रस्त क्षेत्रों में शिक्षा और संस्कृति को बढ़ावा देने के कार्यक्रम सफलतापूर्वक संचालित किए गए।
महानिदेशक ने कहा कि अमेरिका के हटने के पीछे दिए गए कारण वही हैं जो 7 साल पहले थे, जबकि अब परिस्थितियाँ बदल चुकी हैं। यूनेस्को अब एक ऐसा मंच बन चुका है जहाँ बहुपक्षीय वार्ता और व्यावहारिक समाधान संभव हैं। साथ ही, यूनेस्को द्वारा यहूदी नरसंहार (होलोकॉस्ट) की शिक्षा और यहूदी-विरोधी घृणा के विरुद्ध कार्यों को वैश्विक सराहना मिली है, जिसमें अमेरिकी यहूदी संगठनों की भूमिका भी प्रमुख रही है।
यूनेस्को ने अब तक 85 देशों में शिक्षकों को प्रशिक्षण देकर होलोकॉस्ट और जनसंहार की शिक्षा देने हेतु कार्यक्रम चलाए हैं और घृणा फैलाने वाली भाषा का मुकाबला किया है।
हालाँकि अमेरिका का यह निर्णय संगठन के संसाधनों को प्रभावित करेगा, फिर भी यूनेस्को अपने मिशन को जारी रखेगा। संगठन का उद्देश्य है कि दुनिया के सभी राष्ट्र इसमें भाग लें — और अमेरिका के लिए दरवाज़े हमेशा खुले हैं। हम अमेरिकी शिक्षाविदों, निजी संगठनों और नीति-निर्माताओं के साथ मिलकर कार्य करना जारी रखेंगे।
