इंद्र वशिष्ठ,
लखनऊ की सीबीआई अदालत ने उतर प्रदेश पुलिस के कुंडा के तत्कालीन डीएसपी जिया उल हक की हत्या के मामले में 10 अपराधियों को आजीवन कारावास और 1.95 लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है।
सीबीआई मामलों के विशेष न्यायाधीश ने कुंडा के तत्कालीन डीएसपी जिया उल हक की 2 मार्च 2013 में हुई हत्या के मामले में 09.10.2024 को 10 आरोपियों : फूल चंद यादव, पवन यादव, मंजीत यादव, घनश्याम सरोज, राम लखन गौतम, छोटे लाल यादव, राम आश्रय ,मुन्ना लाल पटेल, शिव राम पासी, और जगत बहादुर पाल उर्फ बुल्ले पाल को आजीवन कारावास एवं कुल 1.95 लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।
02.03.2013 को तत्कालीन सर्किल अफसर ( सीओ) कुंडा, जिया उल हक अपनी पुलिस पार्टी के साथ नन्हे यादव प्रधान की हत्या से उत्पन्न कानून व्यवस्था की स्थिति से निपटने हेतु बलीपुर गांव स्थित नन्हे यादव प्रधान के घर गए थे। मृतक नन्हे यादव प्रधान के परिवार के सदस्यों एवं उनके समर्थकों ने पुलिस पार्टी पर लाठी, डंडा व अन्य घातक हथियारों से हमला किया। भीड़ ने सीओ कुंडा जिया उल हक को पहले लाठी-डंडों से पीटा, फिर गोली मार कर हत्या कर दी। जबकि अन्य पुलिसकर्मी वहां से भाग गए।
जांच पूरी होने के पश्चात, सीबीआई ने दिनाँक 07.06.2013 को फूलचंद यादव, पवन कुमार यादव, योगेन्द्र यादव उर्फ बब्लू, मंजीत यादव, घनश्याम सरोज, राम लखन गौतम, छोटे लाल यादव, राम आश्रय, मुन्ना पटेल, शिव राम पासी, जगत बहादुर पाल उर्फ बुल्ले पाल एवं सुधीर यादव, के विरूद्ध सीबीआई मामलो की अदालत, लखनऊ में आरोप पत्र दायर किया। आरोपियों में से एक योगेन्द्र यादव उर्फ़ बब्लू की विचारण के दौरान मृत्यु हो गई, इसलिए उसके विरुद्ध आरोप समाप्त कर दिए गए। अन्य 10 आरोपियों को दोषी ठहराया गया जबकि एक आरोपी सुधीर यादव को बरी कर दिया गया।
इस हत्याकांड का आरोप उत्तर प्रदेश सरकार में तत्कालीन कैबिनेट मंत्री राजा भैया, उनके करीबी गुलशन यादव समेत कई लोगों पर लगा था। सीबीआई ने राजा भैया, गुलशन यादव, हरिओम, रोहित, संजय को क्लीन चिट दे थी।
सीओ जियाउल हक की पत्नी परवीन की ओर से एफआईआर दर्ज कराई गई थी। इसमें 5 आरोपी थे- गुलशन यादव, हरिओम श्रीवास्तव, रोहित सिंह, संजय सिंह उर्फ गुड्डू और रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया।
तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार ने तिहरे हत्याकांड की जांच सीबीआई को सौंपी थी। इस घटना के बाद राजा भैया ने अखिलेश सरकार से इस्तीफा दे दिया था।
जियाउल हक की पत्नी परवीन की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर पर सीबीआई ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट 2013 में ही दाखिल कर दी थी। हालांकि, इस क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ परवीन फिर से कोर्ट चली गई थीं। कोर्ट ने क्लोजर रिपोर्ट को खारिज़ कर दिया था। सीबीआई ने राजा भैया की मांग पर नार्को टेस्ट भी कराया था।
जियाउल के परिजनों ने बताया था कि कुंडा में तैनाती के बाद से ही राजा भैया की ओर से कई मामलों को लेकर उन पर दबाव बनाया जा रहा था