लखनऊ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी), यानी समान नागरिक संहिता की वकालत किये जाने के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने बीती रात एक आपात बैठक बुलाई। यूनिफार्म सिविल कोड के मुद्दे पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ये मीटिंग करीब 3 घंटे चली। मीटिंग में यूनिफार्म सिविल कोड के कानूनी पहलुओं पर चर्चा की गई। इस दौरान बोर्ड से जुड़े वकीलों ने भी अपनी राय रखी।
मीटिंग में फैसला लिया गया कि बोर्ड अपना एक पूरा ड्राफ्ट तैयार करेगा। इसके बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से जुड़े लोग लॉ कमीशन के अध्यक्ष से मिलने का समय मांगेगे। इस दौरान बोर्ड अपना ड्राफ्ट लॉ कमीशन को देगा। बताया जा रहा है कि शरीयत के ज़रूरी हिस्सों का इस ड्राफ्ट में ज़िक्र होगा। बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान पर ही चर्चा की गई। विपक्ष से भी यूनिफार्म सिविल कोड के मुद्दे को मिलकर संसद में उठाने की गुज़ारिश की जाएगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान के बाद समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लेकर जमकर बवाल शुरू हो गया।
तमाम विपक्षी दलों ने इसे लेकर बीजेपी और मोदी सरकार पर निशाना साधा और कहा कि चुनाव नजदीक आते ही इस मुद्दे को उछाला जा रहा है। विपक्ष ने आरोप लगाया कि महंगाई और बेरोजगारी जैसे असल मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश की जा रही है। प्रधानमंत्री मोदी के बयान पर एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल किया कि प्रधानमंत्री पाकिस्तान से प्रेरणा क्यों ले रहे हैं? ओवैसी ने पूछा कि क्या यूसीसी के नाम पर देश के बहुलवाद और विविधता को छीन लिया जाएगा?
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मध्य प्रदेश में बीजेपी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की वकालत करते हुए सवाल किया था कि ‘‘दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चलेगा?’’ उन्होंने साथ ही कहा कि संविधान में भी सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार का उल्लेख है।
पीएम मोदी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड का विरोध करने वालों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वे लोग अपने हितों को साधने के लिए कुछ लोगों को भड़का रहे हैं। समान नागरिक संहिता का अर्थ है देश के सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून होना, जो धर्म पर आधारित न हो।