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उच्चतम न्यायालय ने कथित माओवादी संपर्क को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जी.एन. साईबाबा और अन्य को रिहा करने के बॉम्बे उच्च न्यायालय का आदेश निरस्त कर दिया है। उच्चतम न्यायालय ने हाईकोर्ट से एक अलग पीठ गठित कर इस मामले पर फिर विचार करने को कहा है। न्यायमूर्ति एम.आर. शाह की अध्यक्षता वाली पीठ महाराष्ट्र सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी गई थी। माओवादिओं के साथ संपर्क के आरोप में गढ़चिरौली की अदालत ने जी.एन. साईबाबा और चार अन्य को गैर-कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम 1967 के तहत आजीवन कारावास की सजा दी थी। इसके खिलाफ बॉम्बे उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ में अपील की गई थी और पीठ ने इन्हें बरी किए जाने का आदेश दिया था।