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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने देश में तनाव और दबाव को खत्म करने की संस्कृति विकसित करने की अपील की। उपराष्ट्रपति ने नई दिल्ली में विश्व होम्योपैथी दिवस के अवसर पर वैज्ञानिक सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद यह बात कही। इस शिखर सम्‍मेलन का आयोजन आयुष मंत्रालय के अंतर्गत केंद्रीय होम्‍योपैथी अनुसंधान परिषद नई दिल्‍ली द्वारा किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि स्वास्थ्य देखभाल केवल चिकित्सा उपचार तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसमें एक व्यक्ति की शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक सेहत और एक समुदाय का सामाजिक और आर्थिक परिवेश भी शामिल होता है। उपरा‍ष्‍ट्रपति ने कहा कि भारत की जी20 की अध्‍यक्षता का आदर्श वाक्य ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य है और बिना स्वास्थ्य के कोई भविष्य नहीं हो सकता है।

उन्होंने कहा कि उपचार के रूप में होम्योपैथी का दो शताब्दियों से अधिक का समृद्ध इतिहास है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि आज विश्व स्वास्थ्य संगठन ने होम्योपैथी को दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी और सबसे तेजी से बढ़ती चिकित्सा प्रणाली के रूप में स्वीकार किया है और 80 से अधिक देशों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है।

इस अवसर पर केंद्रीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, आयुष राज्य मंत्री डॉ. मुंजपारा महेंद्रभाई भी उपस्थित रहे। यह दिवस हर वर्ष दस अप्रैल को होम्‍योपैथी के संस्‍थापक डॉ. क्रिश्वियन फ्रेडरिक सैमुअल हैनीमैन की जयंती के उपलक्ष्‍य में मनाया जाता है।