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संसद ने आज बांध सुरक्षा विधेयक 2019 पारित कर दिया। राज्‍य सभा में आज इस विधेयक को चर्चा और पारित कराने के लिए पेश किया गया था। सरकार द्वारा इस विधेयक में संशोधन की स्‍वीकृति के बाद इस विधेयक को राज्‍यसभा ने पारित कर दिया। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है। विधेयक में विशिष्‍ट बांध की सुरक्षा के लिए निगरानी, निरीक्षण, कामकाज और रख-रखाव का प्रावधान है। इससे बांधों के सुरक्षित संचालन के लिए संस्‍थागत ढांचा तैयार करने में मदद मिलेगी। केन्‍द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्‍द्र सिंह शेखावत ने विधेयक को सदन में प्रस्‍तुत किया। राज्‍यसभा ने द्रविड़ मुनेत्र कझगम डीएमके के तिरूचि शिवा द्वारा विधेयक को चयन समिति को भेजे जाने का प्रस्‍ताव निरस्‍त कर दिया। 26 सदस्‍यों ने इसके पक्ष में और 80 सदस्‍यों ने इसके विरोध में मतदान किया।

चर्चा का उत्‍तर देते हुए श्री शेखावत ने कहा कि बांध सुरक्षा के नियम जारी करने के उद्देश्‍य से यह विधेयक लाया गया है। उन्‍होंने कहा कि देश में 90 प्रतिशत बांध अंतराज्‍यीय नदियों पर बने हैं और उनकी सुरक्षा अत्‍यंत आवश्‍यक है। श्री शेखावत ने कहा कि बांध के नुकसान से बड़े जानमाल की हानि हो सकती है।

श्री शेखावत ने केन्‍द्रीय जल आयोग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि अब तक 42 बांधों से रिसाव की घटना हुई है और भविष्‍य में इस तरह की घटना को रोकने के लिए आवश्‍यक प्रयास किए जाने की जरूरत है। उन्‍होंने कहा कि यह विधेयक इसी दिशा में काम करने के लिए लाया गया है। उन्‍होंने कहा कि 14 ऐसे बांध उन राज्‍यों में स्थित हैं जिनका मालिकाना हक दूसरे राज्‍यों के पास है। उन्‍होंने कहा कि केन्‍द्र इन बांधों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करेगा।

उन्‍होंने कहा कि विधेयक से पानी का अधिकार, बांधों का प्रबंधन और बिजली उत्‍पादन जैसे राज्‍य सरकारों के किसी भी अधिकार का हनन नहीं होगा।

इससे पहले, विधेयक पर चर्चा करते हुए कांग्रेस पार्टी के शक्ति सिंह गोहिल ने इस विधेयक के द्वारा केन्‍द्र सरकार पर राज्‍यों के अधिकारों के हनन का आरोप लगाया। उन्‍होंने विधेयक को विचार करने के लिए चयन समिति के पास भेजने का सुझाव दिया। उन्‍होंने कहा कि केन्‍द्र को यह विधेयक लाने का कोई अधिकार नहीं है, क्‍योंकि यह विषय राज्‍यों से संबंधित है और बांध का निर्माण तथा प्रबंधन राज्‍यों का अधिकार है।

श्री के जे अल्‍फॉन्‍स ने कहा कि पानी जीवन का अभिन्‍न अंग है और यह विधेयक देश की संघीय भावना को प्रदर्शित करता है। उन्‍होंने कहा कि विधेयक से राज्‍यों को मजबूती मिलेगी और इसके साथ ही केन्‍द्र भी सशक्‍त होगा।

तृणमूल कांग्रेस के मोहम्‍मद नदीमुल हक ने भी विधेयक को चयन समिति के पास भेजने का सुझाव दिया।

द्रविड़ मुनेत्र कझगम-डीएमके के टी के एस इलांगोवन ने भी विधेयक को चयन समिति के पास भेजने का समर्थन किया। बीजू जनता दल के प्रसन्‍ना आचार्य ने भी सरकार से विधेयक से संबंधित कुछ चिंताओं का निवारण करने को कहा। आम आदमी पार्टी, राष्‍ट्रीय जनता दल और अखिल भारतीय अन्‍ना द्रविड़ मुनेत्र कझगम सहित अन्‍य पार्टियों के सदस्‍यों ने भी चर्चा में भाग लिया।