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प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने करगिल विजय दिवस पर सभी देशवासियों की ओर से करगिल के वीर जवानों को श्रद्धांजलि दी है। उन्‍होंने आकाशवाणी पर मन की बात कार्यक्रम में इन वीर जवानों के साथ-साथ उन वीर माताओं को भी नमन किया जिन्‍होंने मां भारती के इन सच्‍चे सपूतों को जन्‍म दिया। श्री मोदी ने कहा कि 21 वर्ष पहले आज ही के दिन करगिल युद्ध में सेना ने भारत की जीत का झंडा फहराया था।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत उन परिस्थितियों को कभी नहीं भूल सकता जिनके कारण करगिल युद्ध हुआ था। उन्‍होंने कहा कि पाकिस्‍तान ने बड़े-बड़े मनसूबे पाल कर भारत की भूमि हथियाने और अपने यहां चल रहे आंतरिक कलह से ध्‍यान भटकाने के लिए यह दुस्‍साहस किया था।

उन्‍होंने कहा कि भारत तब पाकिस्‍तान के साथ अच्‍छे संबंध बनाने का प्रयास कर रहा था लेकिन उसने पीठ में छुरा घोंपने की कोशिश की। लेकिन इसके बाद भारत की वीर सेना ने जो पराक्रम दिखाया उसने पूरी दुनिया को चकित कर दिया।

प्रधानमंत्री ने देश के नौजवानों से आग्रह किया कि वे बेवसाइट www.gallantryawards.gov.in पर जरूर विजिट करें। इस पर उन्‍हें वीर पराक्रमी योद्धाओं के पराक्रम के बारे में विस्‍तृत जानकारी मिलेगी और इससे उन्‍हें प्रेरणा ‍मिलेगी।

प्रधानमंत्री ने करगिल युद्ध के समय लालकिले से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के भाषण का जिक्र किया, जिसमें उन्‍होंने महात्‍मा गांधी के एक मंत्र की याद दिलाई थी। गांधी जी का मंत्र था कि जब किसी को भी कोई दुविधा हो कि उसे क्‍या करना है, क्‍या नहीं, तो उसे सबसे गरीब और असहा्य व्‍यक्ति के बारे में सोचना चाहिए।

उसे यह सोचना चाहिए कि वह जो करने जा रहा है कि उससे उस व्‍यक्ति की भलाई होगी या नहीं। गांधीजी के इस विचार से आगे बढ़कर अटलजी ने कहा था कि करगिल युद्ध ने हमें एक दूसरा मंत्र दिया है कि कोई महत्‍वपूर्ण निर्णय लेने से पहले हम यह सोचें कि क्‍या हमारा यह कदम उस सैनिक के सम्‍मान के अनुरूप है, जिन्‍होंने उन दुर्गम पहाडियों में अपने प्राणों की आहुति दी थी।

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