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इंद्र वशिष्ठ

देश की राजधानी की पुलिस की हालत ऐसी है, कि दिल्ली पुलिस के एक दर्जन से अधिक थानों के पास अपना भवन/इमारत/परिसर ही नहीं है। किराए के परिसरों में 13 थाने चल रहे हैं। हर महीने लाखों रुपए इनके किराए के रूप में ही देने पड़ते हैं। एक थाने का मासिक किराया तो साढ़े सात लाख रुपए से भी ज्यादा है। 


राज्य सभा में सांसद धीरज प्रसाद साहू और सांसद डा. अमी याज्ञिक ने गृहमंत्री से सवाल पूछा कि क्या यह सच है कि दिल्ली पुलिस को हर साल पर्याप्त धनराशि आवंटित की जाती है लेकिन कई थाने अभी भी किराए के परिसर में हैं? दिल्ली पुलिस के पास अपना भवन नहीं होने के क्या कारण हैं और क्या ऐसे थानों का निर्माण कार्य पूरा करने के लिए कोई समय सीमा है ?गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्य सभा में बताया कि दिल्ली पुलिस देश की राजधानी में कानून और व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी निभाती है। दिल्ली पुलिस को अपनी जिम्मेदारी प्रभावी ढंग से निभाने में सक्षम बनाने के लिए, सरकार अनुमानित आवश्यकताओं के अनुसार हर साल पर्याप्त धन प्रदान करती है। दिल्ली पुलिस ने सूचित किया है कि कुल 225 थानों में से केवल 13 थाने किराए के परिसर में चल रहे हैं।आवश्यकता के अनुसार एक थाने की स्थापना और उसके बुनियादी ढांचे का विकास एक निरंतर और सतत प्रक्रिया है।


मासिक किराए के साथ किराए के परिसर में चलने वाले 13 थानों का विवरण पेश है – भारत नगर थाना, किराया 76,922 रुपए, शाहबाद डेयरी थाना किराया 1,36,164 रुपए,थाना शाहबाद डेयरी के लिए निर्मित अतिरिक्त  क्षेत्र का किराया 36,581 रुपए, प्रेम नगर थाना किराया 1,45,200 रुपए, स्वरुप नगर थाना किराया 1,28,944 रुपए, भलस्वा डेयरी थाना किराया 2,23,733 रुपए, जैतपुर थाना किराया 7,56,000 रुपए, सोनिया विहार थाना किराया 2,38,823 रुपए, फ़तेहपुरी बेरी थाना किराया 2,47,987 रुपए, छावला थाना किराया 59,787 रुपए , करावल नगर थाना किराया 2,30,000 रुपए, निहाल विहार थाना किराया 2,69,865 रुपए, रणहौला थाना किराया‌ 1,67,400 रुपए, तिगड़ी थाना  किराया 2,50,000 रुपए मासिक है।