संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने ग़ाज़ा में लाखों ज़रूरतमन्दों तक जीवनरक्षक सहायता पहुँचाने के लिए अतिरिक्त धनराशि की आवश्यकता को रेखांकित किया है. इस बीच, ग़ाज़ा पट्टी में हताहत आम नागरिकों की बढ़ती संख्या और क़ाबिज़ पश्चिमी तट में फ़लस्तीनियों के विरुद्ध मानवाधिकार हनन मामलों पर चिन्ता व्याप्त है.
WHO के प्रवक्ता क्रिस्टियान लिन्डमायर ने शुक्रवार को जिनीवा में पत्रकारों को जानकारी देते हुए कहा कि इसराइल में, जहाँ अब तक 1,400 लोगों की मौत हुई है, और ग़ाज़ा में जहाँ हमास द्वारा संचालित मंत्रालय के अनुसार 9,000 से अधिक लोग मारे गए हैं, इनमें 70 प्रतिशत से अधिक महिलाएँ व बच्चे हैं.
उन्होंने कहा कि ये मासूम आम नागरिक हैं, जो यहाँ सब कुछ खो रहे हैं.
यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) की प्रवक्ता लिज़ थ्रोसेल ने कहा कि हाल के दिनों में जबालिया और अर बुरेइज शरणार्थी शिविरों पर इसराइली हवाई कार्रवाई में बड़ी संख्या में आम लोगों के हताहत होने की रिपोर्टें हैं.
इन घटनाओं में अनेक रिहायशी इमारतें ध्वस्त हो गईं, और घनी आबादी वाले इलाक़ों में ऐसे विस्फोटक हथियारों का इस्तेमाल किया गया, जिसके व्यापक क्षेत्र में प्रभाव होते हैं.
“हमारी गम्भीर चिन्ताएँ हैं कि दोनों ओर से पहचान करने और आनुपातिकता बरतने के सिद्धान्तों का अनुपालन नहीं हो रहा है.”
इससे पहले, यूएन मानवाधिकार कार्यालय ने बुधवार को बताया था कि ग़ाज़ा में हताहत होने वाले आम नागरिकों की बड़ी संख्या, और जबालिया शरणार्थी शिविर में इसराइली कार्रवाई से हुई तबाही के स्तर के मद्देनज़र, इन ग़ैर-आनुपातिक हमलों को युद्ध अपराध की श्रेणी में रखा जा सकता है.
बंधकों को रिहा किया जाना ज़रूरी
लिज़ थ्रोसेल ने फ़लस्तीनी हथियारबन्द गुटों से इसराइल पर ताबड़तोड़ रॉकेट हमले तुरन्त रोकने और सभी बंधकों को बिना किसी शर्त के रिहा किए जाने की अपील की है.
इसराइली प्रशासन के अनुसार, 242 लोगों को ग़ाज़ा में बंधक बनाकर रखा गया है, जिनमें इसराइली व विदेशी नागरिक हैं. समाचार माध्यमों के अनुसार, लगभग 30 बंधक बच्चे हैं.
OHCHR प्रवक्ता लिज़ थ्रोसेल ने ध्यान दिलाया कि ग़ाज़ा में सत्तासीन प्रशासन का यह दायित्व है कि स्थानीय लोगों के मानवाधिकारों का सम्मान व रक्षा की जाए.
इसराइल ने बारम्बार यह आरोप लगाया है कि हमास, आम नागरिकों को मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल करता है, और अस्पतालों व अन्य नागरिक प्रतिष्ठानों का भी सैन्य उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
सहायता धनराशि की दरकार
मानवीय सहायता मामलों में संयोजन के लिए यूएन कार्यालय (UNOCHA) के प्रवक्ता येन्स लार्क ने बताया कि ग़ाज़ा में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं.
संयुक्त राष्ट्र और साझेदार संगठनों ने क़ाबिज़ फ़लस्तीनी इलाक़े के लिए अगले सोमवार को एक संशोधित औचक अपील जारी करने की बात कही है, जोकि इस वर्ष की शेष अवधि के लिए है.
इससे पहले, 12 अक्टूबर को 29.4 करोड़ डॉलर की एक अपील जारी की गई थी, जिसके ज़रिये 13 लाख लोगों तक समर्थन पहुँचाने का लक्ष्य था, मगर यह अपर्याप्त बताई गई है. अब 27 लाख लोगों को मदद को भोजन, जल, स्वास्थ्य देखभाल, आश्रय, स्वच्छता व्यवस्था समेत अन्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए 1.2 अरब डॉलर की दरकार है.
इनमें 22 लाख लोग ग़ाज़ा में और पाँच लाख क़ाबिज़ फ़लस्तीनी इलाक़े में बताए गए हैं. अब तक आरम्भिक अपील में प्रस्तावित धनराशि में से केवल 25 प्रतिशत रक़म का ही प्रबन्ध हो पाया है. तीन मुख्य दानदाता हैं: अमेरिका, यूएन केन्द्रीय आपात प्रतिक्रिया कोष, जापान.
यूएन एजेंसी प्रवक्ता येन्स लार्क ने ज़ोर देकर कहा है कि ज़रूरतमन्दों तक सहायता पहुँचाने के लिए लड़ाई में मानवतावादी ठहराव दिए जाने की आवश्यकता है. उन्होंने ध्यान दिलाया कि ऐसी व्यवस्था को पश्चिमोत्तर सीरिया, यमन और अफ़ग़ानिस्तान समेत अन्य सन्दर्भों में लागू किया जा चुका है.
मौजूदा संकट शुरू होने के बाद से अब तक ग़ाज़ा में ईंधन आपूर्ति नहीं हो पाई है, जिसकी क़िल्लत की वजह से जल कुँओं और शोधन संयंत्रों में कामकाज लगभग पूरी तरह से ठप हो रहा है.