मृगेंद्र चतुर्वेदी

जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेमीकंडक्टर निर्माण को राष्ट्रीय प्राथमिकता बताया, तब बहुतों ने इसे एक कठिन सपना माना लेकिन आज वो सपना साकार होता दिख रहा है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा संकल्प लिया-देश में सेमीकंडक्टर चिप निर्माण को बढ़ावा देना। क्योंकि ये छोटी सी दिखने वाली चिप्स, असल में आज की दुनिया के हर डिजिटल उपकरण की ‘धड़कन’ हैं—चाहे वो मोबाइल हो, लैपटॉप, कार, या फिर रक्षा प्रणाली। इसी विजन को आगे बढ़ाते हुए, हाल ही में केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने उत्तर प्रदेश के जेवर में भारत के छठे सेमीकंडक्टर संयंत्र का उद्घाटन किया। इस संयंत्र को HCL और Foxconn मिलकर विकसित कर रहे हैं।
क्या है सेमीकंडक्टर चिप और क्यों है ये जरूरी?
सेमीकंडक्टर चिप्स वेफर जैसे पदार्थों से बनती हैं, जो इलेक्ट्रॉनिक्स को ‘सोचने’ और ‘निर्णय लेने’ की क्षमता देती हैं। मोबाइल फोन से लेकर मेट्रो ट्रेन तक-हर स्मार्ट टेक्नोलॉजी इन चिप्स पर निर्भर करती है। भारत अब तक इस तकनीक के लिए बड़े पैमाने पर आयात पर निर्भर था, लेकिन यह नया संयंत्र इस परिदृश्य को बदलने जा रहा है।
क्या है इस संयंत्र की क्षमता?
- हर महीने 20,000 वेफर्स का उत्पादन होगा।
- 3.6 करोड़ डिस्प्ले ड्राइवर चिप्स तैयार होंगी।
इसका उपयोग स्मार्टफोन, लैपटॉप, गाड़ियों, मेडिकल डिवाइसेज़ जैसी आधुनिक तकनीकों में होगा।
रोजगार और नवाचार का केंद्र
यह परियोजना 2,000 प्रत्यक्ष नौकरियां और हज़ारों अप्रत्यक्ष अवसर पैदा करेगी। इससे भारत में उन्नत तकनीकों जैसे कंपाउंड सेमीकंडक्टर्स, सेंसर और माइक्रोचिप असेम्बली का विकास होगा।
सेमीकंडक्टर मिशन और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम
2021 में शुरू हुआ भारत सेमीकंडक्टर मिशन (BSM), जिसकी कुल लागत लगभग ₹76,000 करोड़ है, इसी उद्देश्य से बना है, जिसका उद्देश्य भारत को एक ग्लोबल सेमीकंडक्टर हब बनाना है । इस मिशन के तहत
- गुजरात (Dholera),
- असम (Jagiroad), और अब उत्तर प्रदेश (Jewar) में आधुनिक चिप निर्माण इकाइयां विकसित की जा रही हैं।
वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति
सेमीकंडक्टर निर्माण में भारत का यह कदम न केवल आयात पर निर्भरता घटाएगा, बल्कि भारत को वैश्विक सप्लाई चेन में एक अहम स्तंभ बनाएगा। प्रधानमंत्री मोदी का कहना है—“जहां चिप्स हैं, वहीं भविष्य की चाबी है।” और भारत अब उस चाबी को खुद गढ़ रहा है। जेवर में बन रही यह यूनिट केवल एक फैक्ट्री नहीं, बल्कि भारत के डिजिटल भविष्य की नींव है। तकनीक, रोज़गार और आत्मनिर्भरता के संगम से यह पहल आने वाले वर्षों में भारत को न सिर्फ चिप्स का निर्माता बनाएगी, बल्कि वैश्विक इनोवेशन का नेतृत्वकर्ता भी।