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विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत ने हमेशा मानवीय कानूनों की आवश्‍यकता पर जोर दिया है। उसने कहा है कि इस्राइल-हमास संघर्ष में नागरिक हताहत नहीं होने चाहिएं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता अरिंदम बागची ने  संवाददाताओं के एक सवाल के जवाब में कहा कि भारत ने हमेशा मानवीय राहत सहायता उपलब्‍ध कराने और तनाव कम करने की आवश्‍यकता को रेखांकित किया है। भारत ने 38 टन राहत सामग्री भेजी है तथा और सहायता भेजने के लिए तैयार है।

एक अन्‍य प्रश्‍न के उत्‍तर में प्रवक्‍ता ने कहा कि भारत ने सभी देशों द्वारा, राजनयिक संबंधों पर वियना संधि का सम्‍मान करने की आवश्‍यकता दोहराई है ताकि राजनयिक अपने दायित्‍वों का निर्वहन कर सकें। श्री बागची ने बताया कि कनाडा में भारतीय उच्‍चायोग और वाणिज्‍य दूतावास नियमित रूप से काउंसलर शिविर आयोजित करता है। पेंशनभोगियों को जीवन प्रमाण पत्र उपलब्‍ध कराने के लिए ऐसा ही एक शिविर रविवार को वैंकूवर में आयोजित किया गया था । उन्‍होंने कहा कि कुछ कट्टरपंथी तत्‍वों द्वारा परेशानी पैदा करने की कोशिशों के बावजूद इसका आयोजन सफलतापूर्वक किया गया।

म्‍यामां में विद्रोहियों द्वारा मिजोरम में भारत के साथ लगती सीमा पर नियंत्रण की खबरों पर जारी स्थिति पर श्री बागची ने कहा कि भारत, सीमा के निकट इस प्रकार की गतिविधियों से चिन्तित है। उन्‍होंने कहा कि म्‍यामां के मौजूदा हालात पर भारत की स्थिति स्‍पष्‍ट है। उन्‍होंने कहा कि भारत, हिंसा  समाप्‍त करने और रचनात्‍मक बातचीत के जरिये स्थिति का समाधान चाहता है। श्री बागची ने म्‍यामां में शांति, स्थिरता और लोकतंत्र की बहाली के लिए भारत के आह्वान को दोहराया। उन्‍होंने कहा कि मौजूदा संघर्ष जब से शुरू हुआ है, बडी संख्‍या में म्‍यामां के नागरिक भारत में शरण ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि संबंधित पड़ोसी राज्यों में स्थानीय अधिकारी मानवीय आधार पर स्थिति को उचित रूप से संभाल रहे हैं। भारत उन लोगों को वापसी की सुविधा भी दे रहा है जो उस देश में वापस जाना चाहते हैं

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