संयुक्त राष्ट्र की 10 से अधिक एजेंसियों ने इसराइल-फ़लस्तीन संकट के दूसरे महीने में प्रवेश करने से ठीक पहले, ग़ाज़ा में तत्काल मानवतावादी युद्धविराम लागू करने की अपील दोहराई है, ताकि ज़रूरतमन्दों तक जीवनरक्षक सहायता पहुँचाई जा सके.

दक्षिणी ग़ाज़ा पट्टी की ख़ान यूनिस सिटी में बच्चे पानी भर रहे हैं.

यूएन एजेंसियाँ अपने इस वक्तव्य के ज़रिये ‘बस, अब बहुत हो चुका’ सन्देश के लिए एकजुट हुई हैं.  

मानवीय सहायता मामलों में संयोजन के लिए यूएन अवर महासचिव मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने ग़ाज़ा में हमास द्वारा 7 अक्टूबर से बंधक बनाकर रखे गए 240 बंधकों को तत्काल, बिना किसी शर्त के रिहा किए जाने की अपील की है.   

उत्तरी ग़ाज़ा में बीती रात हवाई कार्रवाई में भीषण धमाकों की ख़बरों के बीच, यूएन एजेंसी के शीर्ष अधिकारियों ने ज़ोर देकर कहा कि सभी पक्षों को अन्तरराष्ट्रीय मानवतावादी और मानवाधिकार क़ानूनों के तहत तयशुदा दायित्वों का सम्मान करना होगा. 

उन्होंने कहा कि आम लोगों और अस्पतालों, शरण स्थलों, और स्कूलों समेत बुनियादी ढाँचे की रक्षा की जानी होगी.

यूएन एजेंसियों ने अपने संयुक्त वक्तव्य में, ग़ाज़ा में बड़ी संख्या में आम लोगों के मारे जाने और पट्टी के 22 लाख निवासियों तक भोजन, दवा, बिजली व ईंधन आपूर्ति ना हो पाने पर गहरा क्षोभ प्रकट किया है.

ग़ाज़ा में स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, 7 अक्टूबर के बाद से अब तक 9,770 लोग मारे जा चुके हैं, जिनमें चार हज़ार से अधिक बच्चे और ढाई हज़ार से अधिक महिलाएं हैं.

ग़ाज़ा में 2,260 लोग लापता बताए गए हैं, जिनमें 1,270 बच्चे हैं. लापता लोगों के ध्वस्त इमारतों के मलबे में दबे होने की आशंका व्यक्त की गई है.

मानवीय सहायता अधिकारियों ने कहा कि एक पूरी आबादी घेराबन्दी की शिकार है और हमले झेल रही है. उसे जीवित रहने के लिए अति आवश्यक सामग्री की सुलभता नकार दी गई है और उन्हें घरों, आश्रय स्थलों, अस्पतालों और उपासना स्थलों पर बमबारी का सामना करना पड़ रहा है.

“यह अस्वीकार्य है.”

स्वास्थ्य देखभाल केन्द्रों पर हमले

 यूएन एजेंसी के अनुसार, रविवार शाम तक, पिछले 24 घंटों में अस्पतालों के नज़दीकी इलाक़ों में इसराइली हवाई हमले जारी हैं, जिनमें इंडोनेशियाई अस्पताल, अल क़ुद्स अस्पताल समेत अन्य देखभाल केन्द्र हैं.  

इस कार्रवाई में लोग हताहत हुए हैं और इमारतों को क्षति पहुँची है. इसराइली सेना का दावा है कि इन इलाक़ों से हथियारबन्द गुट के सदस्यों द्वारा गोलीबारी की जा रही थी. 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 4 नवम्बर तक स्वास्थ्य केन्द्रों पर 100 से अधिक हमले हो चुके हैं, जिनमें एक हज़ार से अधिक लोगों की या तो मौत हुई है या वे घायल हुए हैं. 

यूएन मानवीय सहायता एजेंसी ने बताया कि ग़ाज़ा में लोग हवाई कार्रवाई के बावजूद, बेकरी के बाहर ब्रैड लेने के लिए क़तार में प्रतीक्षा कर रहे हैं, जबकि इस इलाक़े में बिजली व्यवस्था बेहद ख़राब है.

अनेक इमारतों की छतों पर लगाए गए सौर ऊर्जा पैनल, इसराइली कार्रवाई में बर्बाद हो गए हैं, और अस्पतालों, जल शोधन संयंत्रों और खाद्य उत्पादन के लिए ज़रूरी ऊर्जा का एक स्रोत ख़त्म हो गया है.

घायलों के लिए कोई स्थान सुरक्षित नहीं

ग़ाज़ा में 35 में से 14 अस्पतालों में कामकाज ठप हो चुका है. 7 अक्टूबर के बाद से अब तक 23 हज़ार लोग घायल हुए हैं, जिन्हें उपचार की आवश्यकता है.

UNOCHA ने बताया कि शुक्रवार को ऐम्बुलेंस के क़ाफ़िले पर किए गए हमले के बाद, दोहरी नागरिकता वाले लोगों और घायलों को रफ़ाह चौकी के ज़रिये बाहर ले जाने पर पूर्णतया रोक लगा दी गई है.

सप्ताहांत के दौरान, उत्तरी ग़ाज़ा से मरीज़ों को बाहर भेजे जाने की सूचना प्राप्त नहीं हुई, जिसकी एक वजह हमास, इसराइल और मिस्र के बीच सहमति नहीं हो पाना है. 

इस बीच, फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन एजेंसी (UNRWA) के शिविरों में भारी भीड़ है और 149 केन्द्रों पर सात लाख से अधिक लोगों ने शरण ली है. इन शिविरों में श्वसन तंत्र, दस्त और चिकन पॉक्स समेत अनेक बीमारियों के मामले सामने आने की रिपोर्टें मिल रही हैं.

उत्तरी इलाक़े में पहुँचना सम्भव नहीं

UNRWA ने कहा है कि उसके केन्द्र बारम्बार इसराइली गोलाबारी की चपेट में आए हैं और अब ये वहाँ शरण लेने वाले लोगों के लि सुरक्षित नहीं हैं. 

शनिवार को, ग़ाज़ा सिटी के उत्तर में जबालिया कैंप में UNRWA के एक स्कूल पर हुई एक कार्रवाई में 15 लोग मारे गए और 70 घायल हुए.  

यूएन एजेंसी ने बताया कि ग़ाज़ा सिटी और उत्तरी ग़ाज़ा गवर्नरेट में स्थित उसके 57 केन्द्रों पर एक लाख 60 हज़ार से अधिक विस्थापित लोगों ने शरण ली हुई थी, मगर फिर 12 अक्टूबर को इसराइली प्रशासन द्वारा वहाँ से दक्षिणी ग़ाज़ा में जाने के लिए आदेश जारी किया गया. 

UNRWA ने चेतावनी जारी की है कि इन आश्रय स्थलों तक पहुँचना या आन्तरिक रूप से विस्थापितों की मदद कर पाना अभी सम्भव नहीं है, और वहाँ मौजूद लोगों की आवश्यकताओं या परिस्थितियों के बारे में जानकारी नहीं है.

7 अक्टूबर के बाद से अब तक, यूएन एजेंसी UNRWA के 89 कर्मचारी अपनी जान गँवा चुके हैं, जोकि किसी एक हिंसक टकराव के दौरान मारे जाने वाले संयुक्त राष्ट्र कर्मचारियों की सबसे बड़ी संख्या है. इनमें से अनेक यूएन स्टाफ़ अपने परिजनों के साथ मारे गए हैं.