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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विश्व स्वास्थ्य सभा के 78वें सत्र में भारत के अनुकरणीय, मानक और टिकाऊ स्वास्थ्य मॉडल के दृष्टिकोण को रेखांकित किया

SUDHIR KUMAR

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज कहा कि स्वस्थ दुनिया का भविष्य समावेशी, और एकीकृत दृष्टिकोण तथा परस्‍पर सहयोग पर निर्भर करता है। उन्होंने ग्‍लोबल साउथ के देशों के विशेष रूप से स्वास्थ्य चुनौतियों से प्रभावित होने का जिक्र करते हुए कहा कि इससे निबटने के लिए भारत का दृष्टिकोण एक अनुकरणीय, मानक और टिकाऊ मॉडल प्रदान करता है। 

प्रधानमंत्री स्विट्जरलैंड के जिनेवा में आयोजित विश्व स्वास्थ्य सभा के 78वें सत्र को वर्चुअल माध्‍यम से संबोधित कर रहे थे। यह सत्र 19 से 27 तारीख तक आयोजित किया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने देश भर में स्वास्थ्य और आरोग्‍य केंद्रों का एक विशाल नेटवर्क बनाया है। दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना आयुष्मान भारत देश में चलाई जा रही है जिसका लाभ 58 करोड लोगों को मिल रहा है। इन लोगों को मुफ्त इलाज दिया जा रहा है। 

प्रधानमंत्री ने देश के हजारों स्वास्थ्य और आरोग्‍य केंद्रों के व्यापक नेटवर्क का जिक्र करते हुए कहा  कि इनमें कैंसर, मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों की शुरुआती जांच की सुविधा मिल रही है। उन्‍होंने हजारों सार्वजनिक दवा कंपनियों की भूमिका को भी रेखांकित किया जो काफी कम कीमतों पर उच्च गुणवत्ता वाली दवाइयाँ उपलब्ध करा रही हैं। स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में प्रौद्योगिकी की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने गर्भवती महिलाओं और बच्चों के टीकाकरण को ट्रैक करने वाले डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म और अद्वितीय डिजिटल स्वास्थ्य पहचान प्रणाली जैसी भारत की डिजिटल पहलों को रेखांकित किया। 

श्री मोदी ने भारत की निःशुल्क टेलीमेडिसिन सेवा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसमें  34 करोड से अधिक परामर्श दिए गए हैं। टेलीमेडिसिन के जरिए डाक्‍टर सबकी पहुंच में हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की स्वास्थ्य पहलों के कारण लोगों को कम खर्च पर अच्‍छी स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं मिल रही हैं। इस वर्ष की थीम, ‘स्वास्थ्य के लिए एक विश्व’ पर प्रकाश डालते हुए, श्री मोदी ने कहा कि यह थीम वैश्विक स्वास्थ्य के लिए भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है। उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन और उसके सभी सदस्य देशों को अंतर-सरकारी निकाय संधि की सफल वार्ता के लिए बधाई दी। श्री मोदी ने कहा कि यह  भविष्य की महामारियों से लड़ने के लिए अधिक वैश्विक सहयोग के माध्यम से साझा प्रतिबद्धता को दर्शाती है। 

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