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AMN /नई दिल्ली

उत्तर भारत के कई राज्यों में भीषण गर्मी ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, पंजाब और राजस्थान के कुछ हिस्सों में तापमान 47 डिग्री सेल्सियस से अधिक दर्ज किया गया, जो इस मौसम की अब तक की सबसे खतरनाक स्थिति मानी जा रही है।

सोमवार को पंजाब के बठिंडा में अधिकतम तापमान 47.6°C, जबकि राजस्थान के गंगानगर में 47.4°C दर्ज किया गया। यह तापमान सामान्य से काफी अधिक है और इसके चलते कई स्थानों पर स्वास्थ्य आपातकाल जैसे हालात बनते जा रहे हैं।

अगले तीन दिनों तक राहत की उम्मीद नहीं: मौसम विभाग

IMD ने अगले तीन दिनों तक उत्तर और मध्य भारत के इन राज्यों में भीषण लू (Heat Wave) की स्थिति बने रहने की चेतावनी दी है:

  • राजस्थान
  • हरियाणा
  • दिल्ली
  • पंजाब
  • उत्तर प्रदेश
  • मध्य प्रदेश
  • हिमाचल प्रदेश
  • जम्मू-कश्मीर

इसके अलावा, मौसम विभाग ने यह भी कहा है कि दिल्ली, चंडीगढ़, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में कुछ स्थानों पर गर्म रातें (Warm Nights) रह सकती हैं, जिससे रात में भी तापमान में कोई खास गिरावट नहीं होगी।

स्वास्थ्य संकट और एहतियात की सलाह

चिकित्सकों ने लोगों को सलाह दी है कि वे दोपहर के समय धूप में निकलने से बचें, खूब पानी पिएं और भारी शारीरिक श्रम से बचें। बुजुर्गों, बच्चों और मजदूरों के लिए यह मौसम विशेष रूप से खतरनाक हो सकता है।

कई राज्यों के अस्पतालों को लू से संबंधित आपात स्थितियों के लिए तैयार रहने को कहा गया है। साथ ही, स्थानीय प्रशासन को निर्देश दिए गए हैं कि ठंडी छांव वाले स्थल, पेयजल की उपलब्धता और बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की जाए।

दक्षिण भारत में भारी बारिश का अनुमान

जहां एक ओर उत्तर भारत गर्मी से झुलस रहा है, वहीं दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में अगले दो दिनों के दौरान भारी बारिश की संभावना जताई गई है। बारिश के ये क्षेत्र हैं:

  • तमिलनाडु
  • पुडुचेरी
  • कराईकल
  • केरल
  • माहे
  • आंध्र प्रदेश
  • यनम

इन क्षेत्रों में दक्षिण-पश्चिमी हवाओं के चलते तेज वर्षा हो सकती है, जिससे स्थानीय स्तर पर जलभराव की स्थिति भी बन सकती है।

जलवायु परिवर्तन का प्रभाव

मौसम विशेषज्ञों और पर्यावरण वैज्ञानिकों के अनुसार, यह असामान्य और लंबी गर्मी जलवायु परिवर्तन और वैश्विक तापवृद्धि (Global Warming) का ही हिस्सा है। इस तरह की चरम मौसमी घटनाएं आने वाले समय में और भी तीव्र होंगी। विशेषज्ञों ने जलवायु-संवेदनशील नगरीय योजना और हरित बुनियादी ढांचे पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत बताई है।

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