सुधीर कुमार / SDHIR KUMAR

नीतीश कुमार के लिए ये चुनाव उनके राजनीतिक जीवन का आखिरी पड़ाव है तो दूसरी तरफ तेजस्वी और राहुल के लिए ये चुनाव एक लिटमस टेस्ट है वही इस चुनाव में ताल ठोक रहें प्रशांत किशोर एकिसके लिए  वोट कटुआ साबित होंगे
या किंगमेकर बनेगे एयह यक्ष प्रश्न बना हुआ है। गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने दो चरणों में बिहार चुनाव क्रमशः 6 और 11  नवम्बर को करवाने  की घोषणा की है ए मतगणना १४ नवम्बर को होगा।


क्या कहते है आंकड़े
पिछले बिहार विधान सभा चुनाव में  तेजस्वी की अगुआई वाली महागठबंधन ने जबर्दस्त प्रर्दशन किया था ए बिहार के कुल ३८ जिलों में से आठ ज़िलों में राजग का खाता भी नहीं खुला था लेकिन असरुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने मुस्लिम बहुल सीमांचल में शानदार प्रदर्शन कर महागठबंधन को सत्ता से दूर कर दिया। २०२० विधान सभा चुनाव में राजग को १२५ सीटों  पर कामयाबी मिलीए वही महागठबंधन ११० सीट जीत पाई थी।

दक्षिण बिहार बनाम उत्तरी बिहार
याद रहे कि २०२० विधानसभा चुनाव में दक्षिण बिहार की ६ ज़िलें ए  आरा बक्सर जहानाबाद औरंगाबाद रोहतास और कैमूर  में राजग खाता भी नहीं खोल पाई थी क्योकि ये वो क्षेत्र जो करीब दो दशक तक जाति के नाम नरसंहार की गवाह रही जिनमे सैकड़ों लोगों की जान चली गई ए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी इस इलाके में सक्रिय हैं हालांकि   उन्हे २०२० से पहले के चुनावो
में कामयाबी नहीं मिली थी लेकिन महागठबंधन में साथ जाने के बाद जहाँ ये पार्टी १२ सीट जीतने में कामयाब रही साथ ही सहयोगी दलों को करीब करीब सत्ता के मुहाने पर ला दिया था।
वही उत्तरी बिहार राजग का गढ़ रहा है ए शिवहर और किशनगंज को छोड़ शेष सभी ज़िलों में ज़बरदस्त कामयाबी मिली थी।

चिराग ,उपेंद्र कुशवाहा और मुकेश साहनी फैक्टर

२०२० के विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान कम सीट मिलने की वजह से १३० विधान सभा में अपने उम्मीदवार उतार दिए थे ए जिनमे उन्हें महज एक सीट पर ही कामयाबी मिली थी लेकिन उनके इस फैसले से जद यू को करारी हार मिली थी राज्य की पच्चीस सीटों पर नीतीश की पार्टी दूसरे नंबर पर थी अगर चिराग की पार्टी का मत जोड़ दिया जाये तो कहानी अलग ही होती।
नीतीश कुमार से मनमुटाव के चलते उपेंद्र कुशवाहा ने भी राजग से अलग चुनाव लड़ा था ए इस वजह से कोइरी वोटो में बिखराव  देखने को मिला जिसके चलते राजग गठबंधन को भारी नुकसान हुआ। पिछले चुनाव में मुकेश सहनी राजग खेमे में थे ,लेकिन इस बार वो महागठबंधन के साथ है ,आमतौर पर निषाद वोटर राजग के साथ रहे है , लेकिन मुकेश सहनी
के महागठबंधन में जाने के बाद निषाद वोटरों का क्या रुख रहता है इससे पर्दा १४ नवम्बर को ही उठेगा।