प्रवीण कुमार
भारतीय जनता पार्टी ने विपक्षी दलों के साझा मंच इंडिया के ओबीसी कार्ड की काट निकाल ली है. जातीय
जनगणना को लेकर कांग्रेस पार्टी जिस तरह का माहौल पूरे देश में बना रही है, उसे काउंटर करने के लिए
बीजेपी ने एक खास तरह की रणनीति बनाई है. केंद्रीय गृह मंत्री और बीजेपी नेता अमित शाह ने ‘पीएम
विश्वकर्मा योजना’ के जरिए समाज के पिछड़ा और अति-पिछड़ा वर्ग को साधने और 2024 फतह करने के लिए
24 चुनिंदा नेताओं की एक टीम बनाई जिसे ‘टीम 24’ नाम दिया गया है.
‘टीम 24’ के इन नेताओं की जिम्मेदारी होगी कि वह पीएम विश्वकर्मा योजना से होने वाले लाभ और भविष्य के
लाभार्थी वर्ग तक अपनी पहुंच बनाएं. टीम के कोर मेंबर के तौर पर बीजेपी के पांच राष्ट्रीय महामंत्री सुनील
बंसल, विनोद तावड़े, तरुण चुग, डॉ. राधामोहन अग्रवाल और दुष्यंत गौतम के अलावा ओबीसी मोर्चा के
राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. के. लक्ष्मण, बीएल वर्मा, श्रीकांत शर्मा, संगम लाल गुप्ता, विप्लव देव, लॉकेट चैटर्जी जैसे
नेताओं को शामिल किया गया है.
अमित शाह की बैठक में क्या-क्या हुआ इस बारे में बीजेपी के विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि ‘पीएम विश्वकर्मा
योजना’ के तहत अगले 5 सालों में लगभग 30 लाख लाभार्थियों को फायदा दिया जाना तय हुआ है. यानी हर
साल लगभग 6 लाख लाभार्थी इससे प्रत्यक्ष फायदा उठाने वाले हैं. इस योजना से फायदा उठाने वाली कामगार
जातियों के बीच जन-जागरण और इससे होने वाले लाभ को लेकर जागरूकता फैलाने का काम तेजी से बीजेपी
को करना है. बैठक में यह भी तय किया गया है कि बीजेपी की ‘टीम 24’ के नेता राज्यवार व क्षेत्रवार इलाके के
कार्यकर्ताओं के साथ लोहार, सुनार, नाई, बुनकर, केवट/मल्लाह, धोबी, दर्जी जैसी 18 पारंपरिक कामगार
जातियों तक पहुंचने की कोशिश करेंगे.
क्या है पीएम विश्वकर्मा योजना?
15 अगस्त 2023 को लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि विश्वकर्मा
जयंती के दिन 17 सितंबर को 13-15 हजार करोड़ रुपये से ‘विश्वकर्मा योजना’ लॉन्च की जाएगी. इस योजना
का पूरा नाम प्रधानमंत्री विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना है. इसके ज़रिए सरकार आने वाले वर्षों में पारंपरिक
कौशल वाले लोगों की मदद करेगी. प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद अगले ही दिन 16 अगस्त को केंद्रीय कैबिनेट
ने इस योजना को मंजूरी भी दे दी और योजना के लिए 13 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है.
योजना अगले पांच साल यानी 2023-2024 से 2027-2028 तक लागू रहेगी. योजना के तहत तहत कारीगरों
और हस्तशिल्प श्रमिकों को विश्वकर्मा प्रमाण पत्र और पहचान पत्र मिलेगा. पात्र लोगों को पहले चरण में एक
लाख तक का ब्याज़मुक्त लोन मिलेगा. इसके बाद दूसरे चरण में पांच फीसदी की रियायती ब्याज़ दर के साथ दो
लाख रुपए मिलेंगे. जिन लोगों को इस योजना का लाभ मिलेगा उसमें बढ़ई, सुनार, कुम्हार, मूर्तिकार/पत्थर
गढ़ने वाले, चर्मकार (मोची), राजमिस्त्री, बुनकर/चटाई/झाड़ू बनाने वाले, रस्सी कातने वाले/बेलदार, पारंपरिक
खिलौना निर्माता, नाई, हार बनाने वाले, धोबी, दर्ज़ी, मछली पकड़ने का जाल बनाने वाला, नाव बनाने वाले,
कवच बनाने वाला, लोहार, ताला बनाने वाले, कुल्हाड़ियों और अन्य उपकरण वाले कर्मकार शामिल हैं.
कुल मिलाकर देखा जाए तो एक तरह से विपक्षी दलों के साझा मंच इंडिया में शामिल तमाम राजनीतिक दलों
के दिग्गज नेताओं द्वारा जातीय जनगणना को लेकर पूरे देश में जिस तरह से माहौल बनाया जा रहा है और
कांग्रेस नेता राहुल गांधी जिस तरह से खुलकर ओबीसी का कार्ड खेल रहे हैं उसी कार्ड को सीधे तौर पर काटने
का प्रयास बीजेपी ‘टीम 24’ के जरिये करने की कोशिश करेगी. पीएम विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना की
आड़ इसलिए लिया गया है क्योंकि ओबीसी के तहत जो जातियां आती हैं उसमें से अधिकांश जातियां इस
योजना के तहत भी आ जाएंगी. अब 2024 के चुनाव में इंडिया अलायंस का ओबीसी कार्ड बाजी मारता है या
फिर बीजेपी की विश्वकर्मा योजना गुल खिलाती है यह तो अभी भविष्य के गर्भ में है, लेकिन इतना जरूर है कि
इंडिया की ओबीसी पॉलिटिक्स ने बीजेपी को बैकफुट पर तो ला ही दिया है.