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प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने विश्‍व को खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए डिजिटल और नवाचारी प्रौद्योगिकी के साथ किसानों को सशक्‍त बनाने की बात कही। उन्‍होंने वीडियो कॉन्‍फ्रेन्‍स के माध्‍यम से हैदराबाद में आयोजित कृषि मंत्रियों की बैठक में भागीदारी करने वाले जी20 के प्रतिनिधियों को संबोधित किया। देश के अनुभव को साझा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत बुनियादी स्‍तर से भविष्‍य के लिए प्रौद्योगिकी और पशु कृषि को बढावा देने वाली नीति का पालन कर रहा है। उन्‍होंने कहा कि भारत के किसान कृत्रिम उर्वरक का इस्‍तेमाल नहीं कर रहे हैं। यहां के किसान मृदा संरक्षण, जैविक उर्वरक संवर्धन और बड़े स्‍तर पर प्रौद्योगिकी का इस्‍तेमाल कर रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि भारत के किसान खेती के लिए सौर ऊर्जा और अनुकूल संसाधनों का इस्‍तेमाल कर रहे हैं। अंतर्राष्‍ट्रीय मोटे अनाज वर्ष का उल्‍लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि मोटा अनाज आमतौर पर स्‍वास्‍थ्‍य के लिए लाभदायक है। भारत उत्‍कृष्‍टता, अनुसंधान और प्रौद्योगिकी के केन्‍द्र में मोटे अनाज का एक संस्‍थान विकसित कर रहा है। उन्‍होंने बेहतर मृदा स्थिति और अन्‍य अभ्‍यासों को अपनाने की आवश्यकता की बात कही। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने सतत और समावेशी वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए सम्मिलित दृष्टिकोण पर प्रतिनिधियों को विचार-विमर्श करने के लिए प्रेरित भी किया है। उन्‍होंने प्रतिनिधियों से वैश्विक उर्वरक आपूर्ति श्रृंखला और मृदा फसल स्‍वास्‍थ्‍य तथा पैदावार को सशक्‍त बनाने के तरीके तलाशने के लिए भी कहा।

जी 20 कृषि मंत्री की बैठक के दूसरे दिन के विचार-विमर्श में कार्यकारी समूह के विचारों पर भी चर्चा होगी। यह बैठक कल भी जारी रहेगी। इस बैठक में लगभग दो सौ प्रतिनिधि सदस्‍य और आमंत्रित देश तथा कृषि अनुसंधान के सभी अंतरराष्ट्रीय संगठन भागीदारी कर रहे हैं।