इंद्र वशिष्ठ
दिल्ली पुलिस ने हाल ही में बंदूक के 2251 कारतूस पकड़े हैं। इस मामले में देहरादून के रॉयल गन हाऊस के मालिक परीक्षित नेगी को भी गिरफ्तार किया गया है। गन हाऊस के मालिक की गिरफ्तारी से एक बार फिर यह साबित हो गया कि गन हाऊस वाले अपराधियों की बंदूकों के लिए कारतूस सप्लाई करते हैं।
अवैध बंदूकों का कारोबार ऐसे गन हाऊस वालों के कारण ही फल फूल रहा है।दिल्ली पुलिस के अनुसार परीक्षित नेगी अन्य गन हाऊसों से और अन्य स्त्रोतों से भी कारतूस लेता था। परीक्षित अपने रिकॉर्ड में हेराफेरी कर आपस में एक गन हाऊस से दूसरे गन हाऊस में कारतूसों की खरीद/बिक्री दिखाता था। जबकि कारतूसों को महंगे दामों पर बदमाशों को बेचता था। 6 अगस्त 2022 को पूर्वी जिला पुलिस ने जौनपुर के अजमल और राशिद को रायफल/ पिस्तौल के 2251 कारतूसों के साथ पकड़ा। ये दोनों देहरादून के परीक्षित नेगी से कारतूस लाए थे और लखनऊ में जौनपुर के ही सद्दाम को देने जा रहे थे। सद्दाम को पकड़ा गया, तो पता चला कि मेरठ जेल में बंद एक बदमाश और जौनपुर के एक बदमाश के लिए ये कारतूस खरीदे गए थे।लाइसेंसी हथियार के कारतूस परीक्षित को मुहैया कराने के आरोप में दिल्ली के यमुना विहार निवासी कामरान और रुड़की के नासिर को भी गिरफ्तार किया गया है। परीक्षित से पूछताछ में पता चला है कि वह पहले भी हजारों कारतूस बदमाशों को बेच चुका है।
देसी पिस्तौल खिलौना बन जाएगी-
दिल्ली में हत्या, हत्या की कोशिश, लूट की वारदात के दौरान अपराधियों द्वारा गोली मारने / चलाने के मामले लगातार हो रहे है । हालांकि पुलिस भी पहले के मुकाबले अवैध हथियार ज्यादा पकड़ भी रही है । इसके बावजूद अवैध बंदूकों के कारोबार पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। इसकी मुख्य वजह है बदमाशों को होने वाली कारतूस की सप्लाई। जिस दिन बदमाशों को पिस्तौल के लिए कारतूस मिलने बंद हो जाएंगॆ उस दिन बदमाशों के पास मौजूद पिस्तौल सिर्फ एक खिलौना भर बन कर रह जाएगी। इस एक कदम से ही अवैध बंदूक के कारोबार को नेस्तनाबूद तक किया जा सकता है ।
तमंचा देसी, गोली असली
–देसी यानी अवैध पिस्तौलों मे इंडियन आर्डिनेंस फैक्टरी के या विदेशी कारतूस का ही इस्तेमाल किया जाता है। यह खुलासा चौंकाने वाला है। क्योंकि विदेशी या इंडियन आर्डिनेंस फैक्टरी के कारतूस लाइसेंसशुदा हथियार डीलर द्वारा लाइसेंसशुदा हथियारधारी को ही बेचे जाते है। अवैध पिस्तौलों के कारोबार पर रोक लगानी है तो कारतूस की सप्लाई पर रोक लगाने का पुख्ता इंतजाम करना चाहिए। इससे ही संगीन अपराध को कंट्रोल करने पर जबरदस्त असर पड़ेगा।
दिल्ली पुलिस द्वारा बरामद अवैध पिस्तौलों के मामलों की एक स्टडी में भी यह निष्कर्ष निकला था कि हथियार डीलर और लाइसेंसशुदा हथियारधारी के एक-एक कारतूस का पूरा/पुख्ता हिसाब लिया जाना चाहिए है। पुलिस का मानना है कि अपराधियों को कारतूस की सप्लाई रोकने के लिए यह कदम उठाना सबसे जरूरी है। दिल्ली पुलिस के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार ने स्टडी के आधार पर केंद्र सरकार को इस बारे में कई सुझाव दिए थे ।
हथियार डीलर शक के घेरे में –
पुलिस का मानना है कि अवैध पिस्तौलों के धंधे को बढ़ावा देने में कुछ हथियार डीलर भी शामिल हो सकते है। पुलिस ने तफ्तीश में पाया कि मुंगेर(बिहार) , मध्य प्रदेश,उत्तर प्रदेश या किसी भी राज्य की बनी अवैध पिस्तौलों में विदेशी या इंडियन आर्डिनेंस फैक्टरी के कारतूस का ही हमेशा इस्तेमाल किया गया है। प्रयोगशाला की जांच में भी यह स्पष्ट पाया गया कि बरामद कारतूस देसी यानी अवैध रुप से बने हुए नहीं है बल्कि इंडियन आर्डिनेंस फैक्टरी के बने हुए या विदेशी है। लाइसेंसशुदा हथियार डीलर ही, लाइसेंसशुदा हथियारधारक को कारतूस बेचते है। ऐसे में इन दोनों के माध्यम से ही कारतूस अपराधियों के पास पहुंचने की संभावना अधिक है। अनेक गन हाउस वालोंं की गिरफ्तारी से भी इस बात की पुष्टि हो जाती है।इसलिए अवैध हथियार के धंधे को खत्म करना है तो अपराधियों तक कारतूसों की सप्लाई रोकना सबसे जरूरी है।
एक-एक गोली का पुख्ता हिसाब –
लाइसेंसशुदा हथियार डीलर और लाइसेंसशुदा हथियारधारी के कारतूस अपराधियों तक न पहुंचे, इसे रोकने के लिए एक पुख्ता निगरानी और जांच व्यवस्था बनाने की जरुरत है हथियार डीलर ने लाइसेंसशुदा हथियारधारी को ही कारतूस बेचे है इसकी पुष्टि/तस्दीक लाइसेंसशुदा हथियारधारक से करने की व्यवस्था की जानी चाहिए। पुलिस को स्टडी में पता चला कि इंडियन आर्डिनेस फैक्टरी से मिलने वाले कारतूस के कोटे को कुछ हथियार डीलर उसी राज्य या दूसरे राज्य के हथियार डीलरों को बेच देते है। इससे इस कोटे के दुरूपयोग और कारतूसों के अपराधियों के पास पहुंच जाने की संभावना रहती है। सरकार को इंडियन आर्डिनेस फैक्टरी के कारतूस के कोटे को आपस में दूसरे हथियार डीलरों को बेचने पर रोक लगानी चाहिए। इससे कारतूस की कालाबाजारी और कारतूस अपराधियों के पास पहुंचना बंद होगा। लाइसेंसशुदा हथियारधारी के कारतूसों का भी पुख्ता हिसाब होना/देखना चाहिए और इस्तेमाल किए कारतूस के खाली खोखे को जमा कराने पर ही ओर कारतूस दिए जाने चाहिए ।
कारतूस रोकने से अपराध पर असर पड़ेगा-
पुलिस ने यह भी पाया कि मेरठ, कानपुर, झारखंड और उत्तर-पूर्वी राज्यों के कुछ हथियार डीलर दूसरे राज्यों के हथियार डीलरों से कारतूस की बड़ी खेप/कोटा खरीदते है। पुलिस का मानना है कि इसके बाद कुछ हथियार डीलर अपने बिक्री रजिस्टर में हेराफेरी करके उन कारतूस को मोटा मुनाफा पाने के लिए अपराधियों को बेच देते है। पुलिस का मानना है कि केंद्र सरकार यदि उपरोक्त कदम उठाए तो इंडियन आर्डिनेस फैक्टरी के कारतूसों को अपराधियों के पास पहुंचने से रोका जा सकता है। इससे संगीन अपराध को कंट्रोल करने पर जबरदस्त असर पड़ेगा। क्योंकि यह देखा गया है कि उम्दा किस्म के कारतूस अवैध रूप से बनाना असंभव और मुश्किल है।
राज्य पिस्तौलों की पूरी जांच कराए-
केंद्र सरकार को सभी राज्यों को खासकर पंजाब, हरियाणा,उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और बिहार को यह निर्देश देने चाहिए कि बरामद होने वाले सभी पिस्तौलों(मैगजीन वाली)और रिवाल्वर की प्रयोगशाला में बैलेस्टिक के अलावा फिजिक्स डिवीजन से भी पूरी जांच जरूर कराई जानी चाहिए। ऐसे पिस्तौल की पूरी जांच कराने से यह पता चल सकता है। कि क्या वह किसी एक फैक्टरी में मशीनों से बनाया गया है। सीबीआई इन पिस्तौलों की बनावट आदि का मुआयना और स्टडी करे और मुंगेर में वैध हथियार फैक्टरियों में मौजूद मशीनों से उसकी मिलान करके देखे। मुंगेर की बंदूक बनाने वाली वैध फैक्टरियों पर प्रशासन को कड़ी निगरानी औऱ समय-समय पर अचानक छापा मार कर चेकिंग करनी चाहिए। ताकि पता चल सके कि वहां पर अवैध हथियार तो नहीं बनाए जा रहे।